वर्तमान समय में वर्क पैटर्न में बदलाव के चलते स्पाइनल कॉर्ड से संबंधित समस्या देखने को मिलती है, वही लेक ऑफ सेफ्टी और अनियमित गति से ट्रॉमा के केस बड़े हैं – Dr. Ankit Mathur Apollo Rajshree

Suruchi
Published on:

इंदौर। हमारी जीवन शैली में बदलाव और वर्क पेटर्न चेंज होने की वजह से युवा जनरेशन में भी स्पाइन से संबंधित समस्या देखने को मिल रही है। आमतौर पर लोग गलत पोजीशन में घंटो तक बैठे रहते हैं इस वजह से इस प्रकार की समस्या देखने को सामने आती है। इसी के साथ लोगों द्वारा ध्यान नहीं देने पर लैक ऑफ़ सेफ्टी और वाहनों की स्पीड अधिक होने से पहले के मुकाबले हेड इंजरी के केस भी बढ़ गए हैं यह पहले के मुकाबले सीरियस कंडीशन में देखने को मिलते हैं और कई बार यह जानलेवा भी साबित होती है। यह बात डॉक्टर अंकित माथुर ने अपने साक्षात्कार के दौरान कहीं। वह शहर के प्रतिष्ठित राजश्री अपोलो हॉस्पिटल में न्यूरो सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

सवाल. आज के दौर में हेड इंजरी और अन्य प्रकार की किस तरह की चोट देखने को सामने आती है इसका क्या कारण है

जवाब. वाहनों की गति अनियमित होने, हेलमेट और सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं करने से कई बार ऐसे केस सामने आते हैं जो कि ज्यादा सीरियस होते हैं वर्तमान समय में पॉलीट्रोमा के केस बढ़ गए हैं जिसमें शरीर के अन्य हिस्सों में भी चोट देखी जाती है। हेलमेट ना पहनने की वजह से हेड इंजरी के केस ज्यादा देखने को मिलते हैं वही कार में सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं करने से पॉलीट्रोमा के केस ज्यादा देखने को मिलते हैं। आम बोलचाल की भाषा में लोग कहते हैं कि एक्सीडेंट के दौरान सिर से खून निकलने की वजह से यह कम डेंजर होता है लेकिन यह पूरी तरह से भ्रांति है क्योंकि जो खून निकलता है वह बाहरी सरफेस का होता है कई बार अंदर की मार भी जानलेवा हो सकती है।

सवाल. स्पाइनल कॉर्ड से संबंधित समस्या किस वजह से देखने को आती है इससे बचाव के क्या उपाय हैं

जवाब. हड्डियों के बीच में गद्दी होती है जिसे स्लिप डिस्क कहा जाता है। ज्यादा समय तक एक ही पोजीशन में बैठे रहने से इस गद्दी के ऊपर दबाव बढ़ जाता है कई बार ज्यादा दबाव होने की वजह से यह अपनी जगह से खिसक जाती है इस वजह से यह नर्व और स्पाइनल कॉर्ड को दबाना शुरू कर देता है।इस वजह से पैरों में दर्द और कमजोरी की अनुभूति होती है। इस प्रकार की समस्या से बचने के लिए व्यक्ति को हमेशा सही पोस्चर में खड़े रहना और बैठना चाहिए। पोस्चर हमेशा ऐसा होना चाहिए कि उसमें कान कंधे और कूल्हे एक लाइन में हो। वही सारा वेट इक्वली डिस्ट्रीब्यूट हो जाना चाहिए इस समस्या से बचने के लिए रोजाना एक्सरसाइज और अपने बैठने के तरीके में बदलाव जरूरी है।

Read More : 2000 के नोट को वापस लिये जाने के संबंध में RBI गवर्नर का बड़ा बयान, कहा- मैं एक बार फिर आपको बता दूं…

सवाल. क्या पहले के मुकाबले ब्रेन ट्यूमर के केस में बढ़ोतरी हुई है यह किस वजह से होता है

जवाब. पहले के मुकाबले वर्तमान समय में मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है वही जांच करने पर कई बार ब्रेन ट्यूमर के केसेस भी देखने को मिलते हैं कई केस में यह जेनेटिक रूप से सामने आता है वहीं कई बार यह हाई रेडिएशन की वजह से भी लोगों में देखने को मिलता है। कई बार लोगों में रेडियो थेरेपी मिली होती है तो उनमें आगे चलकर इसके चांस बढ़ जाते हैं। ब्रेन ट्यूमर के अगर आंकड़ों की बात की जाए तो यह लगभग एक हजार लोगों में से 1 में देखने को मिलता है।

इसका सही समय पर ट्रीटमेंट ना किए जाने पर यह जानलेवा भी हो सकता है। कई बार ब्रेन ट्यूमर की वजह से पेशंट में मुंह का टेढ़ा होना, आंखों की रोशनी कम होना, बोलने में समस्या होना और अन्य प्रकार की समस्या देखने को सामने आती है। आमतौर पर यह यंग जेनरेशन में देखा जाता है वही 40 की उम्र के बाद भी इसके केस देखने को मिलते है।

सवाल. ब्रेन हेमरेज की समस्या कैसे उत्पन्न होती है क्या लाइफस्टाइल डिसीज है

जवाब. वर्तमान समय में पहले के मुकाबले ब्रेन हेमरेज के केस में भी बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। कई लोगों में खून पतला करने की दवाई चलती है ऐसे में उन में सामान्य व्यक्ति के मुकाबले ब्रेन हेमरेज के चांस बढ़ जाते हैं। कई बार लोगों में खून की धमनियों में त्रुटियां होती है वहीं यह गुब्बारे की तरह फूल जाती है इस वजह से ब्रेन हेमरेज के चांस बढ़ जाते हैं। इसी के साथ लोगों में ब्लड प्रेशर की समस्या की वजह से भी ब्रेन हेमरेज के केस देखने को मिलते हैं।

Read More : Majedar Chutkule: भिखारी से एक आदमी ने पूछा कि कितना कमा लेते हो, जवाब सुन नहीं रोक पाएंगे अपनी हंसी

जब ब्रेन हेमरेज होता है तो मरीज की खून की धमनियों से खून बाहर आकर क्लॉट का रूप ले लेता है और वह मरीज की जान तक भी ले सकता है। यह समस्या कई बार जेनेटिक और म्युटेशनल रूप से देखने को सामने आती है। यह बीमारी लाइफस्टाइल से संबंधित तो नहीं होती है लेकिन लाइफस्टाइल से होने वाली बीमारियां इसका कारण बनती है।

सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और किस कॉलेज से कंप्लीट की है

जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर से पूरी की। इसके बाद जनरल सर्जरी में एमएस की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज मेडिकल साइंस ज़ीबी पंत अस्पताल दिल्ली से किया है। मैंने न्यूरो सर्जरी में स्पेशलाइजेशन जीबी पंत अस्पताल और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज दिल्ली से किया। न्यूरो सर्जरी में देश-विदेश के कई फैलोशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया है। मैंने दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पिटल शहर के मेदांता हॉस्पिटल और शेल्बी हॉस्पिटल मैं अपनी सेवाएं दी है अभी वर्तमान में शहर के प्रतिष्ठित राजश्री अपोलो हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।