शंघाई में सम्पन्न तीरंदाजी विश्व कप के अंतिम मुकाबले में भारत के उभरते हुए करिश्माई तीरंदाज प्रथमेश जावकर ने दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी नीदरलैंड के माइक श्लोएसर को पछाड़कर सोना जीता। अपने पूर्ववर्ती मुकाबलों में इंडोनेशिया के धानी दिवा प्रदाना, कोरिया के किम जोंघो, डेनमार्क के मार्टिन डम्सबो और कोरिया के चोई योंगही को हराने वाले प्रथमेश ने इस खेल के महारथी शीर्ष खिलाड़ियों को उलटफेर का शिकार बनाना जारी रखा तथा पुरुष कंपाउंड के व्यक्तिगत फाइनल मुक़ाबले में नीदरलैंड के वरिष्ठ खिलाड़ी को 149-148 से हराया। इस 19 वर्षीय भारतीय खिलाड़ी ने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया और दो बार के विश्व चैंपियन को हराने के लिए केवल एक अंक गंवाया। यह अंक उन्होंने पहले चरण में गंवाया जिसमें दोनों तीरंदाज ने समान 29 अंक बनाए थे। दूसरे, तीसरे और चौथे चरण में दोनों ही तीरंदाज सटीक निशाना लगाने में सफल रहे लेकिन पांचवें चरण में नीदरलैंड का 29 वर्षीय खिलाड़ी लड़खड़ा गया और भारतीय किशोर ने मौका लपकते हुई तीर निशाने पर मारकर विश्व कप में अपना पहला स्वर्ण पदक जीतने में सफलता हासिल की।
8 सितंबर 2003 को जन्मे प्रथमेश ने अपनी स्कूली शिक्षा प्रबोधन विद्यालया जीजामाता नगर बुलढाणा से प्राप्त की, राष्ट्रीय शालेय खेल स्पर्धाओ में उनके बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए उनका चयन उच्च प्रशिक्षण के लिए किया गया। तत्पश्चात महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के पिंपलगांव काले के बापुमिया सिराजोद्दिन पटेल कला, वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय, के छात्र प्रथमेश को उनके प्रशिक्षक और गुरु चन्द्रकान्त इलग ने सटीक निशाना बींधने का गहन प्रशिक्षण दिया। 17 से 20 फरवरी के दौरान हरियाणा के सोनीपत स्थित राष्ट्रीय अकादमी में हुए तीरंदाजी टीम चयन प्रक्रिया में उनके उत्कृष्ठ प्रदर्शन को देखते हुए प्रथमेश का चयन भारतीय तीरंदाजी टीम के लिए किया गया था और आज उन्होने चयनकर्ताओं के निर्णय को सही साबित किया।
पूरे देश के लिए यह अभिमान के पल हैं, सम्पूर्ण स्पर्धा में प्रथमेश ने अपना पूरा ध्यान अर्जुन की तरह निशाने पर ही केद्रित रखा और अपनी एकाग्रता के बलबूते पर यह गौरव हासिल किया। प्रथमेश की वर्तमान वर्ल्ड रेंकिंग 54 है , पिछले दो सालों में उनकी मारक क्षमता 97% रही है और पिछले 15 मुकाबलों में 12 में विजय हासिल की है।