हिन्दू धर्म की मान्यताओं की अनुसार आपके जीवन में होने वाली सभी घटनाये आपके ग्रहो से जुडी होती है, चाहे वो व्यापर की शुरआत हो, विवाह हो, या विदेश यात्रा। विदेश यात्रा को सात समुन्द्र पार यात्रा भी कहते है और इसका योग बड़ी ख़ास किसमत वालो को होता है। विदेश यात्रा की ख़ास बात यह होती है की जब भी आप कोई भी लंबी यात्रा करते है जिसमें कम से कम तीन पहर लगें हो तो उसे विदेश यात्रा ही माना जाता है।
विदेश यात्रा व्यक्ति की किसमत के साथ गृह,नक्षत्रो,मुहूर्तो पर निर्भर करती है। बता दे कि आपकी कुन्डली मे पंचम, नवम और द्वादश भाव मूल रूप से विदेश यात्रा से ही संबंधित होते हैं। बात अगर ग्रहो की करे तो सबसे महत्वपूर्ण ग्रह क्रूर और पाप ग्रहों की विदेश यात्रा में बड़ी भूमिका निभाते है।
विदेश यात्रा में एक गृह है जिसके होने से ही विदेश जाना संबव हो सकता है वो गृह है राहु, राहु ग्रह व्यक्ति को सबसे ज्यादा विदेश जाने में सहायता करता है। इस ग्रह के साथ अन्य दो गृह शनि और मंगल भी सहायता करते हैं। ध्यान रहे कि शनि की साढ़ेसाती और ढैया भी विदेश यात्रा में सहायता करती है।
क्या बस सकते है दूसरे देश में
यदि आप सोच रहे है कि विदेश की यात्रा के साथ आप को वही रहना है तो इसके लिए भी गृह की कुछ ख़ास बाटे ध्यान में राखी जाती है। सामन्यतः पर शनि या राहु के मजबूत होने पर व्यक्ति घर से दूर जाकर स्थायी रूप से बस जाता है, और सूर्य या चन्द्रमा के कमजोर होने पर भी व्यक्ति विदेश में स्थाई रूप से बस जाता है।
इन खास राशि वाले लोग जा सकते है विदेश यात्रा के लिए वृष, कन्या, मकर, मिथुन, तुला और कुम्भ और इनके विदेश में बसने की सम्भावना भी अधिक होती है- उपाय
– नवम भाव के स्वामी ग्रह को मजबूत करें
– हलके नीले रंग के वस्त्रों का खूब प्रयोग करें
– नदी पार करके कोई यात्रा जरूर कर लें
– शनि के तांत्रिक मंत्र का रोज सायंकाल जाप करें
– मंत्र होगा- “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”