नितिनमोहन शर्मा
सत्ता में शामिल पुराने दूल्हों को फिर से सत्ता सुंदरी के साथ पाणिग्रहण करने के लिए इस बार कुंडली का मिलान आवश्यक हो गया हैं। कुंडली मिलेगी तो ही पुराने दूल्हे फिर से चुनावी घोड़ी चढ़ पाएंगे। अन्यथा सत्ता सुंदरी के लिए नए दुल्हे घोड़ी चढ़ेंगे। कुंडली दूल्हों के कामकाज की बन रही है। सब ग्रह योग ठीक रहे तो ही टिकट की हल्दी लगेगी। पिछली बार जैसा नही की ‘ मामा ‘ के दम पर ब्याह करने मैदान में उतर गए और सत्ता की दुल्हनियां कोई ओर ले गया। घुड़ चढ़ाई की ये कहानी भाजपा में शुरू हो गई है।
अगली बार फिर से हमे ही टिकट मिलेगा….ऐसी उम्मीद पाले भाजपा के विधायकों के लिए अभी ‘ दिल्ली दूर ‘ है। विधायकों का अगला टिकट उनका मैदानी कामकाज तय करेगा। विधायक का अपने विधनासभा क्षेत्र में किया गया कामकाज, सक्रियता और लोकप्रियता ही टिकट का पैमाना बनेगी। इसके लिए भाजपा संगठन अपने विधायकों की गुपचुप कुंडली तैयार कर रहा है। कुंडली के ग्रह योग तय करेंगे कि ‘माननीय’ फिर से ताल नगरी भौपाल पहुचेंगे या नही?
कुंडली मिलाने का ये काम भाजपा में आरएसएस की तरफ से आये क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल की कड़ी निगरानी में चल रहा है।
संगठन की अब तक की एक्सरसाइज बता रही है कि इस बार भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व 2018 वाली गलती नही दोहराना चाहता। तब केंद्रीय नेतृत्व ने नीचे से गई रिपोर्ट के मद्देनजर राज्य से उम्मीद की थी कि कुछ विधायकों के टिकट कटना चाहिए। लेकिन तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चोहान ने वीटो का इस्तेमाल करते हुए ऐसा नही किया। नतीजे में पार्टी ने बहुत महीन अंतर से राज्य की सत्ता खो दी थी।
इस बार जामवाल की तैनाती ने ये काम वक्त से पहले शुरु हो गया ताकि जब टिकट कटे तो विधायक को कुंडली सामने रख बताया जा सके कि आपकी कुंडली में इस बार राजयोग नही है। सूत्रों का तो अभी से ये कहना है कि इस बार संगठन के निशाने पर वो विधायक है जो लगातार टिकट पा रहे हैं लेकिन मैदानी परफॉर्मेंस कमजोर है। वो चेहरे भी बदले जा सकते है जिन्हें देख मतदाता ऊब चुका हैं।
ये सब एक्सरसाइज रातापानी की बैठक में तय की गई रणनीति का हिस्सा है। रातापानी के जंगलों में चुनिदा नेताओ साथ हुई क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल की बैठक में ये अहम बिंदु तय किये गए थे। इस पर फ़ौरन अमल भी शुरू हो गया। सूत्रों मुताबिक कुंडली तैयार होते ही संगठन प्रभारियों को भेजी जायेगीं। उसके बाद पार्टी के बड़े नेताओं के सम्बंधित विधानसभा क्षेत्रों में दौरे होंगे। इसके लिए दीपावली का इंतजार था।
दीप पर्व की समाप्ति के बाद पार्टी और सन्गठन के बड़े नेताओं के ऐसे विधानसभा क्षेत्र के दौरे होंगे जहा के विधायक का परफॉर्मेंस कमजोर है या फ़िर वो विधानसभा क्षेत्र जहा बीते विधनासभा में भाजपा चुनाव हार गई थीं। इसमे उन विधायकों के इलाके भी है जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गये है।
मिशन 2023: बैठक के बाद बदले शिवराज
भाजपा का संगठन इलेक्शन मोड पर आ गया हैं। आगाज रायसेन के जंगल में मौजूद रातापानी में हुई बैठक से हुआ है। उसके बाद से लगातार भाजपा संगठन प्रभारियों, प्रदेश नेतृत्व ओर सरकार के नुमाइंदों के बीच बैठकों के दौर चल रहे है। स्वयम सरकार के मुखिया की बॉडी लेंग्वेज रातापानी की बैठक के बाद पूरी तरह बदल गई है। अफसरशाही के हावी होने की लगातार दिल्ली पहुंची शिकायतो के बाद इन दिनों शिवराज सिंह के निशाने पर अफसर ही है। सूत्र इसे भी मिशन 2023 को फतह करने की रणनीति से जोड़ रहे है। सीएम की वर्तमान की वर्किंग जनता से सीधे जुड़ जो रही है और अमला भी रोज डॉट फटकार सुन मैदान में दौड़ रहा है।
इस बार नए चेहरों पर भी दांव..!!
विधायको की कुंडली बनाने का काम भाजपा के नए दावेदारो के लिए मौका बनने वाला है। जामवाल की अगुवाई में बन रही कुंडली के बाद सम्बंधित विधायक के पास टिकट लाना आसान नही रहना है। जोर जमावट से टिकट लाने वालो के लिए इस बार न दिल्ली के समीकरण काम आने वाला है न भौपाल की सरकार का साथ। 2018 में ‘ सरकार’ भरोसे वे विधायक भी टिकट पा गए थे जिनके इलाके के नेता कार्यकर्ता चीख चीखकर कह रहै थे कि यहां टिकट बदलो नही तो हार जायँगे। फिर भी ‘सरकार’ के ऐसे लाडले विधायक टिकट ले आये और हुआ वही जो कार्यकर्ताओं ने आगाह किया था। पार्टी चुनाव हार गई। सत्ता से महज आधा दर्जन विधायकों की कमी से मात खा गईं। इसमें से अकेले 4 तो इंदौर के ही थे। नतीजतन इस बार नए चहेरों की उम्मीदें उजली हो चली है।