कुणाल मिश्र। तो इस बार बारी थी गोल्डन गैंग के साथ यात्रा की… इंदौर से बस खंडवा के लिए और फिर खंडवा से मंगला एक्सप्रेस। मुकाम था भटकल जो मुरुदेश्वर से 15 किलोमीटर दूर था। पूरे रास्ते खूब खूब गप्पे लड़ाते, जमाने भर के विषयों पर ज्ञान का आदान प्रदान करते, कभी गाते बजाते तो कभी ताश खेलते,समय कैसे कटा, पता ही नहीं चला।बुरहानपुर पर रात को रेल्वे स्टेशन पर भाई सुमित गुप्ता का भाभी के साथ पान लेकर आना और हम सभी को खिलाना,रत्नागिरी राजस्थानी होटल से चढ़ी बैंगन मसाला सब्जी का स्वाद और भटकल से मुरुदेश्वर 15 किलोमीटर का ऑटो रिक्शा का रोमांचक सफ़र याद रहेगा।कोंकण रेल्वे में यात्रा करते खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यावली तो मन को बाग
बाग कर रही थी। मुरुदेश्वर में ठिकाना बना RNS रिसोर्ट होटल जो मुरुदेश्वर का सबसे शानदार होटल है।अपने कमरे से समुद्र के इठलाती बलखाती लहरों को एकटक देखते रहना आनंददायक अनुभव रहा।
आज पहले दिन हम निकल पड़े विश्व प्रसिद्ध जोग वाटर फॉल।भारत के प्रथम पांच जलप्रपातों में से एक कर्नाटक का यह वाटर फॉल बहुत ही खूबसूरत है।जितना खूबसूरत यह वाटर फॉल है उतना ही खूबसूरत यहां तक पहुंचने का रास्ता था।घना जंगल बादलों से अठखेलियाँ खेल रहा था।चारों और छाई हुई धुन्ध वातावरण को रोमांटिक बना रही थी। जोग फॉल… यह मेरी यहां दूसरी विजिट थी,पहली मार्च के दिनों में तो अब सावन के प्यार भरे मौसम में। यहां पहुंचे तो गाइड नागराज जी का साथ मिला उन्होंने बताया कि जोग प्रपात कर्नाटक में शरावती नदी पर बना है। इसके चार छोटे-छोटे प्रपातों को राजा, राकेट, रोरर और दाम ब्लाचें नाम दिया गया है। इसका जल 253 मीटर याने लगभग 850 फ़ीट की ऊँचाई से गिरता है।फाल की चौड़ाई लगभग 1550 फ़ीट है और यहां से 5387 घन फ़ीट पानी प्रति सेकंड बहता है।
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परम पिता परमेश्वर की बनाई इस सृष्टि को देख आनंद से भाव विभोर था। ऐसा लग रहा था कि मैं बादलों में हूँ और वहां से नीचे यह जन्नत के बड़े ही खूबसूरत दृश्य को देख रहा हूँ। करीब करीब 1 घंटे तक जोग फॉल के इस अद्भुत स्वर्गीय दृश्य को मैं अपनी आँखों में कैद करता रहा।मन भर ही नहीं रहा था, सच किसी बहते प्रपात को इस तरह से निहारने का मौका मिलना सौभाग्यशाली लोगों के नसीब में होता है।इतने नज़दीक थे हम कि चारों प्रपातों की पहाड़ की ऊंचाई से नीचे ताल तक पहुंचने की पूरी यात्रा को साक्षात देख रहे थे।किस तरह पानी कहीं चट्टानों में अंदर जाकर फिर बाहर निकलकर अलग अलग धाराओं में विभाजित हो रहा था,कहीं रास्ते में आ रही चट्टानों पर गिरकर फिर से एक नए छोटे से नए प्रपात में परिवर्तित हो जाना,कुल मिलाकर बड़ा सुन्दर दृश्य,चारों ओर फैली हरियाली, पानी की बेलगाम फुहारें, पहाड़ों के बीच नीचे उतरने के लिए बनी 1400 सीढिया और पहाड़ की तलहटी में झरनों के सामने बना विश्राम शेड और यही जैसे सब कुछ न हो तो टॉप और बॉटम के बीच में बन रहा सुंदर सा सतरंगी इंद्रधनुष(रेनबो)।
गूंगे व्यक्ति की जो हालत गुड़ का स्वाद बताते हुए होती है वही इस जलप्रपात की खूबसूरती का वर्णन करने में महसूस हो रही है। सच में इस विशाल जलप्रपात के सौंदर्य को साक्षात देखकर ही महसूस किया जा सकता है। मन नहीं भरा था पर समय की मजबूरी थी इसलिए यहां से नागराज जी के साथ तलाकले डेम के बेक वाटर क्षेत्र में और सघन जंगलों के बीच पहुंचे।जहां जोग वाटर फाल पर आज हजारों की संख्या में पर्यटकों का तातां लगा हुआ था वहीं 15 किलोमीटर अंदर जाने पर जंगल रिसोर्ट पर नाम मात्र के 50 पर्यटक मौजूद थे।जमकर फोटोग्राफी की यहां के बहुत ही सुंदर नजारों के बीच खूब खूब लड़ झगड़कर। बेक वाटर में करीब 45 मिनिट की स्पीड बोट से टापुओं की सैर हमेशा के लिए स्मृति पटल पर अंकित हो गई। धन्यवाद गाइड भाई नागराज, जोग फाल क्षेत्र को इतने सुंदर और अद्भुत तरीके से हम लोगों को परिचित कराने के लिए।
इस खूबसूरत यात्रा के खूबसूरत गोल्डन गैंग के साथी और सखियां…. अनिता संग मनोज उपरीत, सपना संग प्रेमेंद्र पटेल, मोनिका संग तुषार नीमा, मनीषा संग प्रताप दुबे, अनुभा संग आशीष जैन, प्रिया संग पंकज नीमा, रोनित, पीयू, आयु, स्मिता संग कुणाल मिश्र