देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में दुखद निधन हो गया। इस महान नेता को अंतिम विदाई देने के लिए भारत सरकार ने सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। उनके निधन के पश्चात, राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया है। इस शोक के दौरान पूरे देश में सभी निर्धारित सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ संपन्न किया जाएगा।
क्या है होता हैं राजकीय शोक?
जब देश के लिए योगदान देने वाले किसी बड़े नेता, कलाकार, या अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तित्व का निधन होता है, तो उनके सम्मान में राजकीय शोक की घोषणा की जाती है। यह निर्णय केंद्र या राज्य सरकार द्वारा लिया जाता है। पहले, यह अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास था, लेकिन वर्तमान में केंद्र और राज्य सरकारें अपने स्तर पर राजकीय शोक घोषित कर सकती हैं।
राजकीय शोक के दौरान सरकारी कार्यालयों और संस्थानों में लगे राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है। इस दौरान सरकारी और औपचारिक कार्यक्रम स्थगित रहते हैं, और सार्वजनिक मनोरंजन के आयोजनों पर रोक लगाई जाती है। यह समय पूरी तरह से दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देने और उनके योगदान को याद करने के लिए समर्पित होता है।
क्या इस दौरान सरकारी छुट्टी होती है?
सामान्यत: राजकीय शोक के दौरान सरकारी छुट्टी का प्रावधान नहीं होता। केंद्र सरकार के 1997 के नोटिफिकेशन के अनुसार, राजकीय शोक के समय सरकारी संस्थानों और स्कूलों में कार्य सामान्य रूप से चलता है। हालांकि, अगर किसी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का निधन उनके पद पर रहते हुए होता है, तो उस स्थिति में छुट्टी की घोषणा की जा सकती है।
कितने दिनों का होता है राजकीय शोक ?
राजकीय शोक की अवधि घटना की गंभीरता और दिवंगत व्यक्ति की प्रतिष्ठा के आधार पर तय की जाती है। उदाहरणस्वरूप, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर सात दिनों का शोक घोषित किया गया था, जबकि मुलायम सिंह यादव जैसे प्रमुख नेता के निधन पर तीन दिन का शोक रखा गया।
डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति के एक महान व्यक्तित्व थे, जिनका आर्थिक सुधारों में योगदान अमूल्य रहा है। प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल को उनके कुशल नेतृत्व और नीतिगत फैसलों के लिए हमेशा याद किया जाएगा।