नई दिल्ली: चीन एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। खबर आ रही है कि चीन में कोरोना वायरस, टिड्डी और बाढ़ की समस्या से अनाज के उत्पादन में काफी कमी आई है। बताया जा रहा है कि वहां भूखमरी के हालात बने है। पश्चिमी मीडिया में छपी कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इसी भुखमरी के मद्देनज़र ‘क्लीन योर प्लेट कैम्पेन’ फिर से लॉन्च किया है।
इस कैम्पेन में लोगों से खाना न बर्बाद करने के लिए कहा गया है। हालांकि चीनी मीडिया ने इस रिपोर्ट्स को पूरी तरह खारिज कर दिया है। BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में साल 2013 में सबसे पहले ‘क्लीन योर प्लेट कैम्पेन’ शुरू किया गया था।
चाइनीज़ एकेडमी ऑफ़ सोशल साइंसेज़ (CASS) के रुरल डेवेलपमेंट इंस्टिट्यूट और चाइना सोशल साइंसेज़ प्रेस की ओर से 17 अगस्त को संयुक्त रूप से जारी ‘द रुरल डेवलपमेंट रिपोर्ट 2020’ में यह भी कहा गया है कि गेहूं, चावल और मक्के की घरेलू आपूर्ति भी 2025 तक मांग से 25 मिलियन टन कम रहेगी। हालांकि चीन का कहना है कि इस रिपोर्ट को गलत तरीके से प्रचारित किया जा रहा है।
चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, शी ज़िनपिंग ने खाने की बर्बादी को ‘हैरान करने वाला और निराशाजनक’ बताते हुए इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने को कहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा सामाजिक वातावरण तैयार किया जाए जिसमें खाना बर्बाद करने को ‘शर्मिंदगी के नज़रिए’ से देखा जाए।
चीनी कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि चीन में 2019 में कुल अनाज की पैदावर 664 मिलियन टन हुई है। चीनी टीवी चैनल सीजीटीएन के मुताबिक़, इसमें 210 मिलियन टन चावल और 134 मिलियन टन गेहूं है जबकि अभी देश में चावल की खपत 143 मिलियन टन और गेहूं की खपत 125 मिलियन टन है। ग्लोबल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि चीन के लिए महामारी या बाढ़ के कारण खाद्यान्न की कमी होने से ज़्यादा बड़ा संकट खाना बर्बाद करने से उभर सकता है।