नए साल(New Year) में कब मनाया जाएगा मकर संक्रांति का पर्व, इस मंदिर ने बताई सही तारीख, जाने पूरी खबर

Simran Vaidya
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हिन्दू पंचांग के मुताबिक, साल 2023 में मकर संक्रांति का पर्व उदयातिथि के अनुसार रविवार 15 जनवरी को मनाया जाएगा. क्योंकि सूर्य शनिवार 14 जनवरी रात्रि 08:21 पर धनु राशि से भ्रमण कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. मकर संक्रांति का पुण्य काल मुहूर्त 07:15 से 12:30 तक रहेगा और महापुण्य काल मुहूर्त 07:15 से 09:15 तक रहेगा।

इस बार गोरखपुर में 15 जनवरी को खिचड़ी यानी संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. खिचड़ी मेला को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए नियमित बैठक की जा रही हैं. इसी कड़ी में मंगलवार को संस्कृत विद्यापीठ स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोरखनाथ में एक बैठक हुई.

गोरखनाथ मंदिर परिसर में मकर संक्रांति से शुरू होकर एक महीने तक खिचड़ी मेला चलता है, जो कि विश्व प्रसिद्ध है. इस मेले में उत्तर प्रदेश, बिहार से लेकर नेपाल तक के लोग सम्मिलित होते हैं. इस दौरान लोग भगवान गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाते हैं और अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं. इस दिन भोर से ही श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर चावल, पुष्प, फल अर्पित करते हैं और आशीर्वाद मांगते हैं. प्रधान पुरोहित आचार्य रामानुज त्रिपाठी ने कहा कि गोरखपुर में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा.

आखिर क्यों चढ़ाते है भगवान गोरखनाथ को खिचड़ी?

गोरखनाथ मंदिर परिसर के व्यवस्थापक द्वारिका प्रसाद तिवारी बताते हैं कि गोरखपुर बाबा गोरखनाथ की तपोस्थली है. त्रेता युग में भगवान गोरखनाथ यहां पधारे थे और तपस्या की थी. तब यहां सिर्फ जंगल हुआ करता था और वातावरण बहुत शांत था. राप्ती नदी यहीं समीप से बहती थी, इसलिए भगवान गोरखनाथ को यही जगह पसंद आई और वह एकांत जगह पर आकर तपस्या करने लगे.

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कैसे शुरू हुई ये परंपरा?

मंदिर परिसर के प्रबंधक द्वारिका प्रसाद तिवारी आगे बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में ज्वाला देवी माई का मंदिर है. गोरखनाथ भगवान वहीं से पधारे थे. साथ ही ऐसा भी कहते हैं की ज्वाला माई ने गोरखनाथ से कहा था कि हमारे यहां एक दिन रुक कर आरती और भोजन स्वीकार करें. भगवान गोरखनाथ इसके लिए तैयार हो गए. लेकिन उन्होंने कहा कि हम योगी हैं इधर-उधर का भोजन ग्रहण नहीं करते हैं. आप अगर आग्रह करती हैं तो आप पानी गर्म करिए. हम भिक्षासन करेंगे. हम भिक्षा मांगकर अनाज लेकर आएंगे और तब भोजन स्वीकार करेंगे।

जिसके बाद भगवान गोरखनाथ अपने सूक्ष्म शरीर से भ्रमण करते हुए यहां पधारे. यह स्थान उन्हें पसंद आया, रमणीय लगा. यहां उन्होंने अखंड ज्योत प्रज्वलित करी. खप्पर डालकर रहने लगे. आस-पास के लोगों को यह पता चल गया कि यहां कोई योगी आया है, जो भिक्षा मांगने की दृष्टि से यहां पधारा है. इसके बाद लोग मुट्ठी भर चावल डालने लगे. ऐसा कहा जाता है कि भगवान ने भिक्षा लेने के लिए जिस खप्पर का इस्तेमाल किया था, वो न कभी पूर्ण हुआ ना ही कभी खाली.

बाबा के इस चमत्कार से लोग सम्मोहित होने लगे. और इस पर्व की परंपरा आज विशाल रूप ले चुकी है. आज के समय में लाखों लोग भगवान को खिचड़ी चढ़ाने आते हैं और अपनी मनोकामना की पूर्ति रखते हुए हैं. लोग मीठा, गुड़, पुष्प, चावल आदि अनेकों चीज भगवान को समर्पित करते हैं और अपनी मनोकामनाओं को भगवान जे के सामने प्रकट करते हैं और मनोरथ पूर्ण करने की आराधना करते हैं.

CM योगी कर चुके अधिकारियों संग बैठक

गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति पर योजनाबद्ध होने वाले विश्व में प्रसिद्ध खिचड़ी मेले की तैयारियों का निरीक्षण करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि गोरखपुर में होने वाला खिचड़ी मेला उत्सव विश्व प्रसिद्ध है. इसलिए श्रद्धालुओं को गांव-गांव तक परिवहन की सुविधा मिलेगी. मुख्यमंत्री ने परिवहन विभाग को आदेश दिया कि रोडवेज की बसों का अभी से प्रबंध शुरू कर दें.

रेलवे प्रशासन से संवाद कर अलग-अलग स्टेशनों से मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन कराने के साथ ही गोरखपुर स्टेशन व नकहा हाल्ट से इलेक्ट्रिक सिटी बसों की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. इन सुविधाओं की जानकारी अभी से लोगों को दी जानी चाहिए।सीएम योगी ने कहा कि खिचड़ी मेले से न सिर्फ पूर्वी उत्तर प्रदेश बल्कि बिहार, नेपाल समेत देश-दुनिया के सनातन मतावलंबियों की आस्था जुड़ी है.