पूर्णिमा एक ऐसा दिन होता है जिस दिन चन्द्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है और पूर्णिमा के दिन को ही चन्द्रमा का दिन भी कहां जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्व रखती है, केवल इस दिन चाँद की पूजा की जाती है। इस बार की पूर्णिमा की ख़ास बात ये है ये पौष का महीना चल रहा है और पौष माह में आयी पूर्णिमा काफी शुभ होती है, इसलिए इसे पौष पूर्णिमा भी कहते है। पूर्णिमा की तिथि बड़ी ही ख़ास होती है क्योकि यह दिन और तिथि दोनों चन्द्रमा को अतिप्रिय होते है। बता दे कि इस बार पौष पूर्णिमा व्रत 28 जनवरी को मनाई जाएगी।
पौष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा का दिन काफी बड़ा मन गयाहै इस दिन चन्द्रमा का अपने पूर्ण आकार में होता है इस पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा भी इसलिए कहा जाता है। बात अगर हिंदू ग्रंथों की जाए तो इस दिन पौष पूर्णिमा को दान-स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने का भी विशेष महत्व बताया गया है। साथ ही इस दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान करना बेहद शुभ बताया जाता है।
हिन्दू धर्मो में पौष पूर्णिमा का महत्व-
वेदो ग्रंथो और हिन्दू धर्मो की मान्यताओं के अनुसार यह माह पौष का होता है इस माह को सूर्य देव का माह माना जाता है। मान्यता है कि इस मास में सूर्य देव की आराधना से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। साथ ही घर में सुख,समृद्धि, शांति सभी बानी रहती है।
क्या होती है पौष पूर्णिमा के व्रत की पूजा विधि-
इस बार पौष पूर्णिमा की तिथि 28 जनवरी 2021 गुरुवार को 01:18 से आरंभ होकर 29 जनवरी 2021 शुक्रवार को 12:47 तक रहेगी, इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को प्रातःकाल स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें साथ ही पवित्र नदी या कुंड में स्नान करना होता है और उससे पहले वरुण देव को प्रणाम करे एवं स्नान के पश्चात सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद भगवान मधुसूदन की पूजा विधि विधान पूर्वक करनी चाहिए।