श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन कामिका एकादशी मनाई जाती है। कामिका एकादशी विष्णु भगवान की अराधना एवं पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय होता है। मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य से जीवात्मा को पाप से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही मनोवांछित कामनाओं की भी पूर्ति होती है।
कामिका एकादशी के दिन शंख, चक्र गदा धारण करने वाले भगवान विष्णु की श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव और मधुसूदन आदि नामों से भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। भगवान कृष्ण ने कहा है कि कामिका एकादशी के दिन जो व्यक्ति भगवान के सामने घी अथवा तिल के तेल का दीपक जलाता है, उसके पुण्यों की गिनती चित्रगुप्त भी नहीं कर पाते हैं।
कामिका एकादशी तिथि 03 अगस्त दिन मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शुरू होगी। इसका समापन 04 अगस्त दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 17 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार इस वर्ष कामिका एकादशी का व्रत बुधवार 04 अगस्त को रखा जाएगा और उसी दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाएगी।
कामिका एकादशी व्रत विधि
-सुबह जल्दी उठें। शौचादि से निवृत्त होकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
-भगवान विष्णु जी की प्रतिमा को गंगा जल से नहलाएं।
-अब दीपक जलाकर उनका स्मरण करें और भगवान विष्णु की पूजा में उनकी स्तुति करें।
-पूजा में तुलसी के पत्तों का भी प्रयोग करें तथा पूजा के अंत में विष्णु आरती करें।
-शाम को भी भगवान विष्णु जी के समक्ष दीपक जलाकर उनकी आराधना करें।
-विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। द्वादशी के समय शुद्ध होकर व्रत पारण मुहूर्त के समय व्रत खोलें।
-लोगों में प्रसाद बांटें और ब्राह्मणों को भोजन कर कराकर उन्हें दान-दक्षिणा दें।
कामिका एकादशी का शुभ मुहूर्त
कामिका एकादशी व्रत का पारण मुहूर्त गुरुवार 05 अगस्त को है। इस दिन सुबह 05 बजकर 45 मिनट से सुबह 08 बजकर 26 मिनट तक पारण मुहूर्त है। पारण के बाद ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान जरूर करें। इस दिन किये गए दान का विशेष महत्व माना गया है। मान्यता है कि कामिका एकादशी की कथा श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी। इससे पूर्व मुनि वशिष्ठ ने राजा दिलीप को सुनाई थी। जिसे सुनकर उन्हें पापों से मुक्ति मिली और मोक्ष की प्राप्ति हुई।