लखनऊ। यूपी की 12 विधान परिषद सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया आज से शुरू हो रही है, जो की 18 जनवरी तक जारी रहेगी। इन MLC सीटों के लिए राजनितिक दलों ने अपनी कमर कसना शुरू कर दी है। इसी कड़ी में भाजपा के खाते में 10 सीटें पक्की मानी जा रही है वही समाजवादी पार्टी को 1 सीट मिलने की उम्मीद है, साथ ही कांग्रेस और भासपा एक भी सीट जीतने की स्थिति में नहीं है।
वही अब सवाल यह है कि, MLC की 12 सीटों पर किसका अधिकार होगा, वही अभी कोई भी सियासी दल अपने बल पर यह सीट जीतने की हालत में नहीं है। वही अगर सपा दूसरा और बीजेपी 11वीं सीट पर अपना उम्मीदवार उतारती है तो छोटे दलों की भूमिका अहम होगी।
आपको बता दें कि, उत्तरप्रदेश के विधानसभा में अभी भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल को मिला कर कुल 319 विधायक हैं। जिसमें से सपा के 48 सदस्य हैं, बसपा के 18 सदस्य है जिसमें से 5 ने बीते नवंबर में हुए राज्यसभा चुनाव के बाद पार्टी का हाथ छोड़ दिया था। बसपा ने अपने वरिष्ठ नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है, जबकि रामवीर उपाध्याय को पार्टी ने सदस्यता से निलंबित कर रखा है। जिसके बाद अब पार्टी सदस्यों की संख्या 10 के लगभग मानी जा रही है। वहीं, कांग्रेस के सात विधायकों में से दो बागी रुख अपनाए हुए हैं, जिसके चलते पांच ही विधायक पार्टी के साथ हैं।
बता दे कि, प्रदेश में अब एक एमएलसी सीट पर जीतने के लिए करीब 32 मतों की जरूरत होगी। 309 विधायकों के साथ बीजेपी 9 सदस्यों को भेज सकती है। इसके बाद भी बीजेपी के पास 21 वोट प्रथम वरियता के आधार पर बचेंगे। ऐसे में बीजेपी अपने सहयोगी अपना दल के 9 विधायकों के समर्थन से 10वीं सीट पर भी आसानी से जीत दर्ज कर सकती है।
वही बात करे समाजवादी पार्टी की तो सपा के मौजूदा 48 विधायक होने के नाते उसे भी विधान परिषद में एक सीट मिल जाएगी। जिसके बाद पति के पास 16 विधायक शेष रहेंगे। लेकिन वही दूसरी ओर सपा के 6 वरिष्ठ नेताओं का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इन नेताओं में अहमद हसन, आशु मलिक, रमेश यादव, राम जाटान राजभर, वीरेंद्र सिंह और साहेब सिंह सैनी शामिल हैं।