नई दिल्ली। यूपी चुनाव में कांग्रेस की प्रियंका ने पहली लिस्ट जारी करते हुए चालीस प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की है। इनमें से उन्नाव गैंग रेप की पीड़िता की मॉं भी शामिल है, मानवीयता के नाम पर राजनीति… राजनीतिक सूत्रों की यदि माने तो कांग्रेस ने उन्नाव गैंग रेप पीड़िता की मॉं को टिकट देकर मानवीयता के नाम पर राजनीति करने का काम भी किया है। हालांकि, वह घटनाआज भी ताजा हो जाती है लेकिन कहीं न कहीं किसी न किसी रूप से उस घटना की धुंधलहाट भी लोगों के मन में आई है।
उन्नाव गैंग रेप कांड
उत्तर प्रदेश राज्य के उन्नाव शहर में 4 जून 2017 को 17 वर्षीय लड़की का कथित सामूहिक बलात्कार हुआ था। इसे ही उन्नाव बलात्कार मामला के रूप में संदर्भित किया जाता है। जनता पार्टी के नेता कुलदीप सिंह सेंगर के नाम पर दायर किया गया। दूसरा आरोप पत्र 13 जुलाई 2018 को कुलदीप सिंह सेंगर और उनके भाई, तीन पुलिसकर्मियों और पाँच अन्य लोगों पर बलात्कार पीड़ित लड़की के पिता को दोषी बताने के लिए दायर किया गया।
8 अप्रैल 2018 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के सामने बलात्कार पीड़ित लड़की ने प्रदर्शन किया। उसके पिता की कुछ ही समय बाद न्यायिक हिरासत में मौत हो गई। इन घटनाओं के कारण राष्ट्रीय मीडिया में इस मामले की व्यापक रूप से रिपोर्टिंग शुरू हुई।
कठुआ बलात्कार मामला भी इसी अवधि में हुआ और आम जनता दोनों पीड़ितों के लिए संयुक्त विरोध प्रदर्शन और न्याय की मांग करने लगी। 28 जुलाई 2019 को एक ट्रक की टक्कर में बलात्कार पीड़िता गंभीर रूप से घायल हुई और परिवार के दो सदस्यों की मौत हो गई थी। खबरों के अनुसार परिवार को धमकी दी गई थी और उन्होंने मदद के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भी लिखा था।
31 जुलाई 2019 को सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश ने मामले को स्वीकार कर लिया। अप्रैल 2018 में इस घटना ने भारत में सुर्खियां बटोरीं। दोनों पीड़ितों (देखें कठुआ बलात्कार मामला) को न्याय दिलाने की मांग को लेकर पूरे भारत में संयुक्त विरोध प्रदर्शन हुए। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बयान जारी कर घटनाओं की निंदा की।
एक बार फिर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए जब 28 जुलाई 2019 को पीड़िता की कार को ट्रक ने टक्कर मार दी। जिसमें 30 जुलाई 2019 को संसद में विपक्ष द्वारा विरोध प्रदर्शन भी शामिल था। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उन्नाव बलात्कार मामले की पीड़िता द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को लिखे गए पत्र को न्यायिक पक्ष में लिया।
पीड़ित लड़की और उसके परिवार के सदस्यों द्वारा लिखे गए पत्र में दावा किया गया है कि उन्हें आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के वकील द्वारा धमकी दी जा रही थी। इस बात का वरिष्ठ अधिवक्ता वी. गिरि ने उल्लेख किया गिरि ने इस विषय के संबंध में मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया। 20 दिसम्बर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने अपना अंतिम फैसला सुनाया जिसमे दोषी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा व 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।