यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन), पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार, भारतीय पुरातत्व संरक्षण और पर्यटन विभाग मध्य प्रदेश शासन द्वारा संयुक्त रूप से भोपाल में विश्व विरासत पर उप-क्षेत्रीय सम्मेलन (सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस) का आयोजन 17 अप्रैल से 18 अप्रैल 2023 तक किया जा रहा है। सम्मेलन का शुभारंभ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा यूनेस्को नई दिल्ली के ऑफिस-इन-चार्ज हिचकील देलमिनी और पर्यटन, संस्कृति, धर्मस्व एवं धार्मिक न्यास मंत्री उषा ठाकुर की गरीमामयी उपस्थिति में किया जाएगा।
प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति एवं प्रबंध संचालक टूरिज्म बोर्ड शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि, “17 अप्रैल से शुरू हो रहे दो दिवसीय सम्मेलन के लिए भोपाल पहुंच रहे प्रतिनिधियों द्वारा 16 अप्रैल को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल सांची में भ्रमण किया जाएगा। अगले 2 दिनों 17 अप्रैल एवं 18 अप्रैल 23 को विभिन्न सत्र आयोजित किये जाएंगे। भारत सहित भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका एवं देश के विभिन्न राज्यों से प्रतिनिधि विश्व विरासत स्थलों के संरक्षण के क्षेत्र में उपलब्धियों, चुनौतियों एवं आगामी रणनीति जैसे विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे।”
प्रमुख सचिव शुक्ला ने बताया कि सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर विश्व धरोहरों के संरक्षण की दिशा में पिछले 50 वर्षों की उपलब्धियों को देखेगा और अगले 50 वर्षों के बारे में मंथन करेगा, जिसका केंद्र विश्व विरासत और सतत विकास, विश्व विरासत और सतत पर्यटन, विश्व विरासत और वैश्विक रणनीति, ऐतिहासिक शहरी परिदृश्य जैसे विषय होंगे। सम्मेलन सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा और स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करेगा।
भारत, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका और देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि जिनमें सभी राज्यों के संस्कृति और पर्यटन के प्रमुख सचिव, पर्यटन मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के प्रतिनिधि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रतिनिधि, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सिविल सोसायटी, गैर सरकारी संगठन, देश की सांस्कृतिक एवं विरासत के संरक्षण के लिए कार्यरत सीएसआर फाउंडेशन, शिक्षण संस्थान एवं शासकीय संगठन इत्यादि सम्मेलन में भाग लेंगे। इस अवसर पर प्रबंध संचालक अपर प्रबंध संचालक टूरिज्म बोर्ड विवेक श्रोत्रिय भी उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि नवंबर 2022 में यूनेस्को वर्ड हेरिटेज कन्वेंशन की 50वीं वर्षगांठ है। गत 50 वर्षो में सांस्कृतिक विरासत का अर्थ ‘’स्मारक केन्द्रित’’ से परिवर्तित होकर “लोक केंद्रित” (People Centric) एवं “समग्र दृष्टिकोण” (Holistic approach) पर केन्द्रित हो चुका है। ऐतिहासिक नगर, आद्योगिक विरासत, ऐतिहासिक मार्ग, ऐतिहासिक परिदृश्य इत्यादि नए आयाम जुड़ चुके है।
उक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए इस कॉन्फ्रेस की उपयोगिता विशिष्ट है। मध्यप्रदेश ने यूनेस्को के साथ मिलकर इस दिशा में अनेक प्रयास किये है जिनमें HUL (ग्वालियर एवं ओरछा) प्रोजेक्ट, 4 ऐतिहासिक/पर्यटन स्थलों का यूनेस्को विश्व धरोहरो की संभावित सूची में चयन आदि मुख्य है।
HUL प्रोजेक्ट हेतु यूनेस्को ने साउथ एड़ियां देशो में प्रथम बार ग्वालियर एवं ओरछा का चयन किया जा कर इस हेतु रिकमंडेशन तैयार किये गए हैं।
कॉन्फ्रेंस की रूपरेखा
16 अप्रैल
– यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल सांची का भ्रमण
17 अप्रैल
– विश्व विरासत कन्वेंशन के 50 साल पूर्ण होने पर सत्र
– पिछले 50 वर्षों में उपलब्धियां और भविष्य के लिए चुनौतियां पर भारत, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका का प्रस्तुतिकरण
– सिविल सोसायटी और संस्थानों द्वारा वार्ता/प्रस्तुतियां
– स्थानीय समुदाय के लिए विश्व विरासत और सतत विकास पर सत्र
– विश्व विरासत और सतत पर्यटन पर सत्र
– यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क पर एक विशेष सत्र
– जनजातीय संग्रहालय और राज्य संग्रहालय का भ्रमण
18 अप्रैल
– विश्व विरासत और सांस्कृतिक लैंडस्केप पर सत्र
– ऐतिहासिक शहर और ऐतिहासिक शहरी लैंडस्केप पर सत्र
– ग्वालियर और ओरछा पर यूनेस्को ऐतिहासिक शहरी लैंडस्केप पायलट प्रोजेक्ट पर सत्र
– विश्व विरासत और जलवायु परिवर्तन और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर सत्र
– विश्व धरोहर के बारे में वह सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं- समूह वार्ता।
– आगामी 50 वर्षों की योजना पर उच्च स्तरीय वार्ता/पैनल चर्चा
– एमपीटी बोट क्लब भ्रमण एवं क्रूज राइड