Trai New Rule for OTP: TRAI ने बढ़ाई OTP की डेडलाइन, अब फर्जी कॉल से छुटकारा पाने में लगेगा इतना वक्त

Share on:

Trai New Rule for OTP: हाल के वर्षों में साइबर धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जैसे-जैसे तकनीक का उपयोग बढ़ा है, साइबर जालसाज भी ठगी के नए-नए तरीके अपनाने लगे हैं। इन धोखाधड़ी के मामलों को रोकने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है।

Trai New Rule for OTP: TRAI के नए नियम और टेलीकॉम ऑपरेटरों की चिंता

भारत के दूरसंचार ऑपरेटरों ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा लागू किए जा रहे नए नियमों पर चिंता व्यक्त की है। ये नियम 1 नवंबर से प्रभावी होने वाले हैं। इसके तहत बैंकों, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और अन्य वित्तीय संस्थानों से संबंधित लेनदेन और सेवा एसएमएस का पता लगाना अनिवार्य होगा। पहले इन सेवाओं को छूट दी गई थी।

टेलीकॉम कंपनियों ने ट्राई से इस नियम के कार्यान्वयन की तारीख बढ़ाने का अनुरोध किया है, जिसे स्वीकार करते हुए अब समय सीमा 1 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है। टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि कई प्रमुख संस्थाएं (पीई) और टेलीमार्केटर्स अभी तक इन मानदंडों के पालन के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं, जिससे ओटीपी और अन्य आवश्यक संदेशों की डिलीवरी में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

Trai New Rule for OTP: फर्जी कॉल और मैसेज के खिलाफ सरकार के कदम

सरकार ने फर्जी कॉल और मैसेज को रोकने के लिए भी कई कदम उठाए हैं। ट्राई के अनुसार, टेलीकॉम ऑपरेटर्स को निर्देश दिया गया है कि वे फर्जी कॉल रोकने के लिए प्रभावी उपाय करें। साइबर ठग लोगों को फर्जी कॉल और मैसेज के माध्यम से धोखा देकर उनके बैंक खातों को खाली कर रहे हैं, जिससे इसे रोकना अत्यंत आवश्यक हो गया है।

Trai New Rule for OTP: नए नियमों का प्रभाव

नए नियम के अनुसार, टेलीकॉम ऑपरेटर फोन पर आने वाली कॉल और मैसेज की पहले से जांच करेंगे। संदिग्ध नंबरों की पहचान करने के बाद, उन मैसेज और कॉल को तुरंत ब्लॉक किया जाएगा। यह उपाय न केवल ग्राहकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा, बल्कि साइबर धोखाधड़ी की घटनाओं को भी कम करने में मदद करेगा।

साइबर धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के मद्देनजर, सरकार और दूरसंचार कंपनियों का यह कदम महत्वपूर्ण है। इससे न केवल ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि साइबर अपराधियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। समय-समय पर इस तरह के नियमों का पालन करके ही हम एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण का निर्माण कर सकते हैं।