कल है बासोड़ा पूजन, इस विधि से करें मां शीतला की विशेष पूजा, रोग-बीमारियां होंगी कोसों दूर, घर में हमेशा बनी रहेंगी शांति

Simran Vaidya
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जैसा की हम सब जानते हैं कि होली के एक हफ्ते बाद और चैत्र कृष्णपक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला माता की पूजा की जाती है। इसे शीतला सप्तमी या शीतला अष्टमी को बसोड़ा पूजन भी कहा जाता है। इस दिन माता को बासी खाने का भोग लगाया जाता है। वहीं हिंदू पंचांग के मुताबिक चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की शीतला सप्तमी 14 मार्च 2023 की रात 08:22 मिनट से शुरू होगी और इसकी समाप्ति 15 मार्च 2023 की शाम 06:45 मिनट पर होगी। इस तरह 15 मार्च शीतला अष्टमी होगी। इस दिन शीतला माता की पूजा का मुहूर्त 15 मार्च की सुबह 06.30 मिनट से शाम 06.29 मिनट तक रहेगा।

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माता शीतला गधे की सवारी करती हैं। साथ ही उनके हाथों में कलश, झाड़ू, सूप या सूपड़ा रहता है। माता शीतल के गले में नीम के पत्तों की माला है। ये मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला की पूजा से परिवार खासतौर पर बच्चे निरोगी रहते हैं।

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शीतला सप्तमी  सामग्री 2023 (Sheetala Saptmi 2023 Puja Vidhi)

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शीतला सप्तमी के दिन प्रातकाल जल्दी उठकर स्नानादि कर साफ स्वच्छ वस्त्र पहन लें। इसके बाद पूजाघर में दीपक जलाएं। हाथ में फूल, अक्षत, जल और दक्षिणा लेकर व्रत का संकल्प लें। माता शीतला की पूजा के लिए एक चौकी तैयार करें और इसमें माता की मूर्ति या फिर प्रतिमा स्थापित करें। माता को रोली, लाल फूल, अक्षत, अर्पित कर धूप-दीप प्रज्जवलित करें। षष्ठी तिथि में तैयार किए दही, रबड़ी, चावल से बने पकवानों का भोग माता शीतला को लगाए। पूजा में शीतला स्त्रोत का पाठ जरूर पढ़ें और फिर लास्ट में आरती जरूर करें।

शीतला सप्तमी 2023 उपाय (Sheetala Saptmi 2023 Upay)

  • शीतला सप्तमी के दिन पूजा में मां शीतला को जल अर्पित करते वक्त कलश में थोड़ा जल बचा लें और मां शीतला का ध्यान करते हुए इस जल को पूरे घर के कोने और सभी जगहों पर छिड़कें। इससे घर में सुख शांति आती है।
  • मनोकामना पूर्ति के लिए शीतला सप्तमी पर पूजा में माता को कुमकुम, अक्षत और लाल रंग के फूल अवश्य चढ़ाएं। इससे आपकी सभी मनोकामना पूरी होगी और रोग-बीमारियां घर से दूर रहेगी।
  • घर पर सुख शांति बनी रहे इसके लिए शीतला माता की पूजा में ‘वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्‌,मार्जनीकलशोपेत…” मंत्र का जाप जरूर करें।

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हिंदू धार्मिक पंरपराओं के मुताबिक शीतला माता की पूजा 2 दिन तक की जाती है। कहीं चैत्र माह की सप्तमी तिथि के दिन शीतला माता की पूजा की जाती है, तो कहीं चैत्र माह अष्टमी तिथि के दिन ये पूजा होती है। इन्हें शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि इस बार शीतला सप्तमी 14 मार्च और शीतला अष्टमी 15 मार्च को मनाई जाएगी।

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इस विधि से करें पूजा

  • व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके इस मंत्र मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धियेशीतला सप्तमी/अष्टमी व्रतं करिष्ये व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद शीतला माता की पूजा करें। उन्हें जल चढ़ाएं, अबीर अर्पित करें, गुलाल, कुमकुम आदि चीजें भी चढ़ाएं। इसके साथ ही खाद्य पदार्थ, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाएं और फिर मां की परिक्रमा करें।
  • इस दौरान इस बात का खास ध्यान रखें कि शीतला माता की पूजा में दीपक न जलाएं और न ही अगरबत्ती जलाएं। ऐसा करने से इसलिए मना किया जाता है कि देवी शीतला ठंडी प्रवृति की होती हैं ऐसे में इनके पूजन में दीपक का प्रयोग वर्जित होता है।
  • पूजा के बाद शीतला स्तोत्र का पाठ करें। शीतला माता की कथा सुनें। दिनभर शांत भाव से सात्विकता पूर्ण रहें। इस दिन व्रती को और परिवार के किसी भी सदस्य को गर्म भोजन नहीं करना चाहिए।