आज है कार्तिक शुक्ल तृतीया तिथि, इन बातों का रखे ध्यान

Mohit
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विजय अड़ीचवाल

आज रविवार, कार्तिक शुक्ल तृतीया तिथि है।
आज ज्येष्ठा नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)

-मनुष्य शरीर ज्ञान – विज्ञान से सम्पन्न है।
-बृहत्कथा एवं कथासरित्सागर ग्रन्थ में समस्त देवयोनियों की कथाएं हैं।
-देवता अनेक प्रकार के होते हैं। इनमें विद्याधर, गन्धर्व, किन्नर, यक्ष, अप्सरा, गुह्यक, सिद्ध, चारण, रुद्रगण, पितृगण आदि योनियां हैं।
-देव योनियों में विद्याधरों का विशेष महत्त्व है।
-देव योनियों में मनुष्यों से विशेष सम्पर्क रखने वाली तथा मनुष्यों पर शीघ्र द्रवीभूत होने वाली देवताओं की यह विद्याधर श्रेणी ही है।
-विद्याधर विशिष्ट विद्याओं को धारण करते हैं। इनका लिखने – पढ़ने से विशेष सम्बन्ध नहीं है।
-वाल्मीकि रामायण में इनकी इस सहजात विद्या को महाविद्या नाम से अभिहित किया गया है।
-विद्याधरों में गुटिका, अञ्जन आदि सिद्धियां, अणिमा, महिमा आदि अष्ट सिद्धियां तथा अलक्षित या अन्तर्हित होने की शक्तियां रहती है।
-विद्याधर आकाशगामी, स्वर्ग या अन्तरिक्ष में भी विहार करते हैं। सत्यवादी होते हैं, रूप – यौवन से निरन्तर सम्पन्न होते हैं।
-विद्याधरों के बारे में विस्तृत वर्णन वाल्मीकि रामायण के सुन्दरकाण्ड में उल्लेखित है।
-विद्याधर गण विशाल जल राशि तथा सुन्दर पर्वतों की गुफाओं में निवास करते हैं।
-हिमालय, सुबेलगिरी, महेन्द्राचल, विन्ध्य, पारियात्र आदि श्रेष्ठ पर्वत इनकी निवास भूमियॉं कही गई हैं।
-यह अनेक विद्याओं में पारङ्गत होते हैं, विशेषकर संगीत – नृत्य में।
-विद्याधरों के पास अनायास अत्यन्त बहुमूल्य स्वर्ण पात्र, माल्य, अङ्गराग, अस्त्र-शस्त्र, भोजन के सभी उपकरण और दिव्य भक्ष्य – भोज्य पदार्थ भी सुलभ रहते हैं।
-विद्याधरों के अधिपति चित्रकेतु हैं।