विजय अड़ीचवाल
आज शुक्रवार, आश्विन कृष्ण तृतीया/चतुर्थी तिथि है।
आज अश्विनी/भरणी नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
👆 ( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
👉 आज चतुर्थी तिथि का श्राद्ध है।
👉 आज संकष्टी चतुर्थी व्रत है। चन्द्रोदय रात्रि 8:41 बजे होगा।
👉 चतुर्थी व्रत करने वाले के यहां यदि आज दिन में श्राद्ध हो तो वह ब्राह्मण को भोजन करा दे और अपने हिस्से के भोजन को सूंघकर गाय को खिला दे। फिर रात्रि में चन्द्रोदय के बाद स्वयं भोजन करें।
👉 श्राद्ध में निमन्त्रित ब्राह्मण उस दिन रात्रि में मैथुन करता है तो वह ब्रह्महत्या को प्राप्त होता है। (नारद पुराण)
👉 श्राद्ध में वेद के ज्ञाता, अपने वर्णाश्रम धर्म में तत्पर, उत्तम कुल में उत्पन्न, शास्त्र वचनों को मानने वाले ब्राह्मण को ही श्राद्ध में निमन्त्रित करना चाहिए।
👉 क़ुतप वेला के अलावा असमय में किया गया श्राद्ध निष्फल हो जाता है।
👉 श्राद्ध का भोजन करने वाले ब्राह्मण के आसन पर कुशा रख देना चाहिए और आसपास काले तिल बिखेर देना चाहिए।
👉 धूप देते समय सिर्फ दो आहुति ही डालें।
👉 पहली आहुति के समय सोमाय पितृमते स्वधा नमः ऐसा उच्चारण करें।
👉 दूसरी आहुति के समय अग्नये कव्यवाहनाय स्वाहा नमः ऐसा उच्चारण करें।
👉 इन्हीं दो आहुतियां से पितरों को अक्षय तृप्ति प्राप्त होती है।
👉 श्राद्ध कर्म करने और ब्राह्मण भोजन का समय प्रातः 11:36 बजे से 12: 24 बजे तक का है।
👆 इस समय को कुतप वेला कहते हैं। उक्त समय मुख्य रूप से श्राद्ध के लिए प्रशस्त है।