इंदौर। मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति के शिवाजी सभागार में निमाड़ के गाँधी नाम से जाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राष्ट्रभक्त श्री काशिनाथ त्रिवेदी की स्मृति में व्याख्यान आयोजन किया गया, जिसका विषय ‘‘पचास साल का सफर और बदलते हुए सत्य’’ पर देश के वरिष्ठ पत्रकार व चिंतक श्री श्रवण गर्ग ने अपने बेबाक विचार व्यक्त किये। उन्होंने दादा को बड़े आदर से याद करते हुए उनके सिद्धांतों, विचारों के साथ कुछ पत्र भी पढ़ें। जो उनके पास धरोहर के रुप में अभी भी है।
श्रवण गर्ग ने कहा कि अब हमने बोलना बंद कर दिया है, चुप रहना अपनी आदत बना चुके है। तीर्थस्थलों पर अब पालकी और बैसाखियां बढ़ती जा रही है। वे नहीं चाहते है कि लोग खड़े हो सकें। प्रजातंत्र खत्म होने पर क्या व्यवस्था होगी, इस पर लोग चर्चा ही नहीं करते। अब हम चट्टानों की तरह मौन हो गये है, जहाँ सत्य की आवाज लौटकर नहीं आती है। उन्होंने युको पाइंट के माध्यम से उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे कि वहां पर बहुत कम लोग साहस कर पाते है आवाज देने की, शेष सभी तमाशबीन होते है, वहीं स्थिति देश की है।
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श्रवण गर्ग ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में दादा, इंदौर शहर और देश के नागरिक होने के नाते देश पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्हांने भावुक होकर कहा कि हमारे शहर का वैचारिक गुल्लक खाली हो गया है। हम उन्हें भूल चुके है, जो हमारी धरोहर रहे, अब यह शहर पोहा और जलेबी का हो गया है। समापन पर उन्होंने आग्रह किया कि लोगों को समय पर बोलना चाहिए, मौन रहना खतरनाक होता है। अतिथि का स्वागत डॉ. करुणाकर त्रिवेदी एवं अरविंद जवलेकर ने किया। कार्यक्रम का संचालन समाजवादी चिंतक अनिल त्रिवेदी ने किया तथा अंत में आभार कबीर जन विकास समूह के डॉ. सुरेश पटेल ने किया। कार्यक्रम में शहर के प्रबुद्धजन, साहित्यकार एवं सुधीजन उपस्थित थे।