शांति और सदभाव विश्व के विकास का एकमात्र मार्ग है – महाराज त्रिलोचन

mukti_gupta
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दर्शन दास जी भगवान एक है इसलिए हम भी एक ही है, ईश्वर ने हमें कभी नहीं पूछा कि हमे हिन्दू, मुस्लिम, सिख , ईसाई या जैन बनना है उसने केवल मानव को बनाया और पूरी दुनिया सौंप दी और कहा यह दुनिया अब तुम्हारी है पर हम इंसानों ने जात-पात जाति धर्म बनाकर शांति के मार्ग में विघ्न उत्पन्न किया इसलिए हम सबका कर्तव्य बन जाता है कि हम शांति स्थापित करें क्योंकि हर इंसान और हर देश यही चाहता है कि उसके घर में उसके देश में शांति हो इसलिए हमने इंटरनेशनल पीस ऑफ आर्ट कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया और हमारा मानना है कि ईश्वर हर जगह है यह कहना है महाराज त्रिलोचन दर्शन दास जी का जो लाखों की संख्या में आये भक्तों को सम्बोधित कर रहे थे।

सचखंड नानक धाम के प्रमुख परम संत त्रिलोचन दास जी ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए कहा की कोई भी समाज और देश तब तक प्रगति नहीं कर सकता जब तक की वहां पूर्णतः शांति स्थापित न हो, शांति और न्याय दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं। जिस देश की व्यवस्था में न्याय न हो वहां शांति की आशा नहीं की जा सकती शांति और सद्भावन केवल विकास की और जाने वाले मार्ग है वरन ये दोनों स्वतः ही चहुमुखी विकास का मार्ग है। दास धर्म सेवादारी दिवस समागम के दूसरे दिन आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में महाराज त्रिलोचन दर्शन दास जी ने विश्व शांति और सद्भाव के विषय में अपने विचार रखे।

आज के पावन अवसर पर जो की दास धर्म का स्थापना दिवस है, लन्दन से मुख्य अतिथि के रूप बॉब ब्लैकमैन (मेंबर ऑफ़ पार्लियामेंट ऑफ़ यूनाइटेड किंगडम) उपस्थित रहे साथ ही दिल्ली की जनिमानी हस्तियों में जैन समाज से सत्य भूषण जैन, खाटू स्याम दिल्ली धाम से एस. एस. अग्रवाल, राजेश वर्मा सचखंड नानक धाम दर्शन दरबार यू. के. चेयरमैन दास जसपाल भंबरा, संदीप अरोरा, विक्रांत ठाकुर पी. पी. ज्वलैर्स के पवन गुप्ता लाल, महल चावल के प्रेम गर्ग ने बाबा का सत्संग सुना व आशीर्वाद प्राप्त किया।

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संस्था के संरक्षक दास हैरी बोगल व् दास दीपक मारवाह ने सभी आये अतिथियों सत्कार किया। लव कुश रामलीला से अर्जुन कुमार जिन्होंने बाबा जी का आशीर्वाद लिया और वो सनातन धर्म के अनुयायी है सचखंड नानक धाम द्वारा आयोजित चार दिवसीय दास धर्म सेवादारी दिवस के महान समागम के अवसर पर विदेश से जिनमे यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया व् अफ्रीका से हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे।