हर साल की तरह इस साल भी मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। जैसा की आप सभी लोग जानते हैं यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। मान्यताओं के अनुसार मकर सक्रांति के दिन को नए फल और नए ऋतु के आगमन के लिए मनाया जाता है। इस दिन हजारों की संख्या में लोग गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान और दान करने के लिए जाते है।
मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का वध कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा। इस साल मकर सक्रांति पर एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस मकर सक्रांति बन रहा है दुर्लभ संयोग, स्नान और दान से होगी हर समस्या दूर
बता दे, गुरुवार को श्रवण नक्षत्र होने से केतु अर्थात् ध्वज योग बनता है। वहीं इस योग में सूर्य देव का राशि परिवर्तन शुभ माना गया है। लेकिन मकर राशि में ही पहले से शनि और बृहस्पति चल रहे हैं। जिसकी वजह से दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषों का मानना है कि इन तीनों ग्रहों की तिकड़ी इस वर्ष के पूर्वार्ध में राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल मचा सकती है।
जिसकी वजह से इस दिन कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाएगा। दरअसल, मकर राशि में सूर्य के आने पर सभी शुभ कार्य जैसे शादी, गृह प्रवेश, मुंडन आरंभ हो जाते हैं लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा क्योंकि 17 जनवरी से गुरु अस्त हो जाएंगे। गुरु अस्त में विवाह, घर और गृहस्थी के कार्य करना अशुभ माना गया है, इसलिए इस बार विवाह मुहूर्त नहीं है।
इन सबके अलावा इस मकर सक्रांति श्रवण नक्षत्र में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से ध्वज योग बन रहा है। ये कई राशियों के लिए शुभ परिणाम लेकर आएगा। लेकिन कई के लिए ये ख़राब होगा। वहीं मकर संक्रांति के दिन श्रवण नक्षत्र होने से इस दिन का महत्व और बढ़ गया है। दरअसल, सूर्य के मकर राशि में आने से मकर संक्रांति के दिन 5 ग्रहों का शुभ संयोग बनेगा जिसमें सूर्य, बुध, चंद्रमा और शनि शामिल हैं, जो कि एक शुभ योग का निर्माण करते हैं। जिसकी वजह से इस दिन किया गया दान और स्नान जीवन में बहुत ही पुण्य फल प्रदान करता है और सुख समृद्धि लाता है।
शुभ मुहूर्त – आपको बता दे, मकर संक्रांति पौष माह का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रांति पर पूजा पाठ स्नान और दान के लिए सुबह 8 बजकर 30 मिनट से शाम 5 बजकर 46 मिनट तक पुण्य काल रहेगा। मकर संक्रांति पर स्नान के बाद दान करने से लोगों की हर मनोकामना पूरी होगी। पुण्य काल मुहूर्त- सुबह 08:03 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और महापुण्य काल मुहूर्त- सुबह 08:03 बजे से सुबह 08:27 बजे तक रहेगा।