कासनी का पौधा एक प्रकार का चमत्कारी पौधा है, जिसमे कई प्रकार की आर्युवेदिक गुण पाए जाते है। कासनी के पौधे की मांग न केवल देश भर में है बल्कि विदेशों तक है। विदेशों के डॉक्टर भी कासनी के सेवन करने की सलाह देते है। इस पौधे की जड़े व पत्तियां सभी दवाईयों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। बड़े-बड़े डॉक्टर भी इसके सेवन करने की सलाह देते है।
कासनी का पौधा हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र में है इस जगह से करीब लाखों की संख्या में कासनी के पौधे की ब्रिक्री हो चुकी है। कासनी का यह पौधा किडनी, डायबिटीज, लीवर और बवासीर जैसी अन्य बीमारियों के लिए कारगर नुस्खा है। इस पौधे की पत्तियों का सेवन करना बवासीर के मरीजों के रामबाण इलाज का काम करता है।
कासनी इसका वानस्पतिक नाम चिकोरियम इन्टाईबस है और यह एस्टेरेशिया कुल का पौधा है। इस पौधे को कासनी, काशनी और कासानी हमसे भी जाना जाता है। यह पौधा यूरोप में पाया जाता है, जिससे कई प्रकार की दवाइयों का निर्माण किया जाता है। यह भारत के उत्तराखण्ड, हिमांचल प्रदेश तथा जम्मू- कश्मीर के निचले क्षेत्रों और पंजाब, हरियाणा तथा दक्षिण के आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु एवं कर्नाटक में पाया जाता है।
कासनी का यह पौधा आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध पद्धति से इससे वनस्पति औषधि बनायी जाती है। बहुत सारी कम्पनी इस पौधे का उपयोग लीवर, बुखार, पेट रोगों और अन्य बीमारियों की दवा को तैयार करने के लिए करती है। आयुर्वेद चरक संहिता के द्वारा कासनी की खूबियों को महसूस किया जाता है। वर्ष 2011 में मदन सिंह ने करीब 10 लोगों पर कासनी खिलाकर उसका असर देखा फिर उसके बेहतर नतीजे दिखाई दिए तो लम्बे समय बाद 2014 से उन्होंने इस कासनी को मरीजों को देना शुरू किया| अब दुनिया में इसके जबरदस्त फायदे देखने को मिलते है।