जीत के पीछे थी ये तीन शक्तियां- संघ , संगठन और सरकार

Suruchi
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Pushya Mitra Bhargav

इंदौर(Indore) : तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय, डॉ उमाशशि शर्मा , कृष्णमुरारी मोघे, मालिनी गौड के बाद अब 1 लाख 33 हजार मतो से जीतने वाले युवा पुष्यमित्र भार्गव अगले पांच साल तक महापौर के रूप में इंदौर नगर निगम की कमान संभालेंगे। राजनीति में नए खिलाड़ी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे पुष्यमित्र को इस मुकाम तक पहुंचाने में तीन बड़ी शक्तियों ने काम किया। सर्वप्रथम संघ ने पुष्यमित्र का नाम चुनकर आगे बढ़ाया, फिर संगठन ने इस पर विचार कर उन्हें मैदान में उतारा और सरकार ने उनका माहौल बना दिया।

प्रतिष्ठा दांव पर थी , इसलिए तीन बार इंदौर आकर माहौल बनाना पड़ा सीएम को

प्रदेश में इंदौर की सीट हाईप्रोफाइल होने के कारण शिवराज सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। इसलिए पुष्यमित्र के पक्ष में माहौल बनाने के लिए तीन बार इंदौर आए सभा ओर रोड शो किए। शपथ लेने के बाद महापौर की नई पारी की शुरुआत हो जाएगी। महापौर के नेतृत्व वाली टीम को कई चुनोतियों से लड़ना पड़ेगा।

पहले कोई नही जानता था कौन है पुष्यमित्र , चंद दिनों में ही पूरा शहर जानने लग गया

कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला के सामने जब महापौर प्रत्याशी के लिए अतिरिक्त महाअधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव का नाम सामने आया तो हर कोई चोंक गया , क्योकि ये नाम शहरवासियों के लिए के बिलकुल नया था। राजनीति में न तो उनकी कोई पहचान थी और न ही कोई उन्हें जानता था, लेकिन जब उनके पक्ष में सीएम शिवराज सिंह चौहान, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष , महामंत्री , राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय समेत इंदौर के विधायक व स्थानीय नेता आदि सभी ने चुनावी मैदान में उतरकर प्रचार शुरू किया तो चंद दिनों मेंं ही पुष्यमित्र पूरे शहर के मित्र बन गए।

अगले 5 साल ओर निगम पर रहेगा भाजपा का कब्जा

पुष्यमित्र ने चुनाव की बाजी मारकर इंदौर नगर निगम में भाजपा का कब्जा बरकरार रखा। विगत 20 साल से भाजपा ही नगर सरकार चला रही थी। इस चुनाव में जनता ने फिर से मौका देकर अगले पांच के लिए सरकार चलाने का मौका दे दिया। नए महापौर पुष्यमित्र भार्गव संघ संगठन और सरकार के विश्वास पर भले ही खरे उतरे हो , लेकिन उनकी असली परीक्षा तब शुरु होगी जब वे निगम की बागडोर संभाल कर कुछ नया करके दिखाएंगे।

तीन शक्तियों ने अपना अपना काम किया तब जाकर मिली जीत

पार्टी में चुनाव से पहले टिकिट को लेकर काफी खींचतान चल रही थी। सब कुछ ठीक होने के बाद संघ ने अपनी पहली पंसद के रुप में पुष्यमित्र भार्गव का नाम संगठन तक पहुंचाया। संगठन के पदाधिकारियों ने इस नाम पर अमल किया और चुनाव मैदान में उतार दिया। चूकिं मप्र में इंदौैर की सीट हाई प्रोफाइल थी। इस सीट को निकालने के लिए सरकार के मुखिया शिवराजसिंह चौहान खुद तीन बार इंदौर आए, ओर सभाएं , रोड शो व लोंगो से मिलकर पुष्यमित्र भार्गव का माहौल बना गए। संघ, संगठन और सरकार तीनों की नीति इतनी रही कि पुष्यमित्र भार्गव चुनाव जीतकर महापौर बन गए।

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शपथ होगी आसान और चुनौतियां मिलेगी कठिन

कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला पर लगभग सवा लाख से भी अधिक मतों से जीत हासिल करने वाले नए महापौर के रुप में पुष्यमित्र भार्गव जल्द ही महापौर पद की शपथ लेने वाले है। बताया गया है कि ऐसा माना जा रहा है की 20 तारीख को निगम चुनाव के दूसरे फेस के परिणाम घोषित होने वाले है। इसके बाद ही शपथविधि समारोह होगा। सीएम शिवराजसिंह चौहान शपथ दिलाएंगे। शपथ लेने के बाद उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण पारी शुरु शुरु होगी। उनके सामने कई बड़ी बड़ी चुनौतियां रहेगी। इसमें स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर की प्रतिष्ठा को बरकरार रखना यानी स्वच्छता का सिक्सर लगाना, शहर के विकास में गति लाना, आय के स्त्रोत को बढ़ाना सफाई कर्मियों और ठेकेदारों का समय पर पैमेंट करना आदि शामिल है।

“सबका साथ – सबका विकास” की तर्ज पर काम किया तो ही नई एमआईसी बन पाएगी सकारात्मक

नए महापौर के रुप में भार्गव जल्द ही शपथ लेकर नई पारी की शुरुआत करेंगे। साफ सुथरा छवि वाले युवा महापौर भार्गव की टीम पूरी युवा होगी। इस बार चुनाव में कई प्रत्याशी युवा , पढ़े लिखे योग्य ओर अच्छे घराने से आये है।
इस बार निगम को यंग मेयर इन काउंसिल मिलेगी। मेयर इन काउंसिल में कौन कौन सदस्य होंगे, महापौर का अधिकारियों किस तरह का समन्वय रहेगा जैसे कई सवाल है। अगर मेयर इन काउंसिल में सदस्यों ने सबक साथ – सबका विकास की तर्ज पर काम किया तो सफलता मिलेगी। इसलिए जरूरी है कि एमआईसी में सकारात्मक सोच वाले सदस्यों को लिया जाए ।

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टिकिट फाइनल होते ही नेताओं ने चुनाव से दूरी बनाना शुरू कर दिया, बाद में सब ठीक ठाक हो गया चुनाव घोषित होने के बाद इंदौर से करीब आधा दर्जन नेता महापौर टिकट की दौड़ में थे। पार्टी ने तमाम नेताओं के दांवों को दरकिनार कर अतिरिक्त महाधिवक्ता रहे पुष्यमित्र भार्गव के नाम पर मुहर लगा दी। जोशो खरोश पहले दिन तो दिखा मगर बाद में नेताओं ने चुनाव से दूरी बनाना शुरू कर दिया। संघ भी मैदान से नदारद दिखा। इस बात को लेकर तमाम खबरे फैलने लगी और आम कार्यकतार्ओं में भी उदासीनता छाने लगी थी। भाजपा प्रत्याशी भार्गव ने इस सब बातों से परे अपने कैम्पेन पर ध्यान केंद्रीत रखा।

जनसंपर्क के दौरान ना तो गलत बयानबाजी की ओर ना ही आपा खोया

पुष्यमित्र के लिए खास बात यह रही कि ना तो उन्होंने गलत बयानी की ना ही आपा खोया। जनता को उनका पढ़ा लिखा होने के साथ सहज सरल अंदाज पसंद आने लगा। सरल सौम्य अंदाज में वे जनता से रूबरू होते रहे और धीरे धीरे माहौल पक्ष का बना लिया।