जनता को भी बनना होगा विपक्ष – अन्ना दुराई

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आम चुनाव के परिणाम आने वाले हैं। मतदाताओं ने उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में बंद किया है जो कल खुलेगा। चुनाव परिणाम चाहें जो आएं लेकिन लोकतंत्र की असल खूबसूरती इसमें है कि सत्ता में रहो तो काम करो और विपक्ष में रहो तो संघर्ष। आजकल दोनों ही मोर्चों पर विभिन्न राजनीतिक दल कमजोर से प्रतीत होते हैं। जहां सत्ता पक्ष और उनके समर्थकों में निरंकुशता, घमंड और अहंकार सिर चढ़कर बोलने लगता है तो वहीं विपक्ष की ताकत कई मुद्दों पर सड़कों से नदारद हो जाती है। यह तय है कि चुनाव में ताकतवर जीतता है और कमजोर की हार होती है लेकिन जनता के हितों के मायने हो तो दोनों का ताकतवर होना बेहद जरूरी है। इस चुनाव में भी जीत या हार चाहे किसी भी राजनीतिक दल की हो, दोनों पक्षों की मजबूती ही जनता के लिए हर दृष्टि से लाभकारी साबित होगी। जन सामान्य की भी अपनी कई दुविधाएँ हैं। बाजार जाओ तो चीजें महंगी मिलती है। काम नहीं मिलने से लाचारी आ जाती है। बगैर पैसे दिए उनका कोई कार्य नहीं होता। पग पग पर दिखने वाले भ्रष्टाचार को वह सहन करता है। शिक्षा से वंचित हो जाता है। स्वास्थ्य देखें तो सुविधाओं के अभाव में सुधरता नहीं। सड़क हो या पानी, बिजली हो या अन्य कोई समस्या। आम नागरिक सदैव इनसे जूझता रहता है। सरकार को बनाना या बिगाड़ना उसके हाथ में जरूर होता है लेकिन फिर भी अपनी ही चुनी हुई सरकार से खुद का जीवन वो सुधार नहीं पाता। वो सदा एक ही ढर्रे पर नजर आता है। नेताओं का भाग्य वह जरूर चमकाता है लेकिन स्वयं अंधकार में जीता है।

वाकई जनता अपने नेता से बेहद प्यार करती है। वह उसके लिए मर मिटने के लिए तैयार हो जाती है किँतु नेता का ऐसा लगाव जनता के साथ नहीं दिखाई देता। कई आकांक्षाएँ और अपेक्षाएँ दोनों की होती है लेकिन काम की दृष्टि से देखें तो सरकारें वहीं की वहीं खड़ी दिखाई देती है। विकास की जो मूलभूत अवधारणाएँ हैं उनमें सरकारों की सफलता नगण्य होती है। विकास भी भ्रष्टाचार की जननी ही नजर आता है। आजकल बेबुनियाद बातों से ही देश चलता है। जनता भी इन बातों में स्वयं उलझकर अपना टाईम पास कर लेती है। अपने हक के लिए आने वाले समय में जनता को भी विपक्ष बनना होगा। राजनीतिक दलों को मजबूर करना होगा कि वे उनकी दशा और दिशा सुधारने के लिए कार्य करे तभी भारत के नागरिक पूरे विश्व में गर्व से अपना सीना चौड़ा कर सकेंगे।