हमारे द्वारा ब्रेकफास्ट से लेकर डिनर तक खाए जाने वाले प्रोडक्ट पूरी तरह केमिकल युक्त होते हैं, जो आगे चलकर कैंसर का कारण बनता है – Dr. Vinod Kumar Dhakad Associate Prof. Surgical onco. Dept. Aurobindo

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इंदौर। आज के दौर में हमारा खान पान पूरा हानिकारक केमिकल से तैयार होकर आता है। सुबह के ब्रेकफास्ट से लेकर रात के डिनर तक ऐसी शायद ही कोई चीज़ बचती होगी जो केमिकल से तैयार ना की गई हैं। यहां तक कि जो पानी हम पीते है वह भी इस केमिकल से अछूता नहीं हैं। इसे साफ करने के लिए जब हम पानी को फिल्टर करते है तब उसका टीडीएस लॉ हो जाता है। वहीं उसके अंदर लगे फिल्टर और मेमरेन भी एक केमिकल तैयार कर रहा हैं इसके बारे में तो कोई जानना ही नहीं चाहता। वहीं फल सब्जियों में अभी जिस केमिकल का इस्तेमाल होता है उसमें नाइट्रेस कंपाउंड होता है।

किसानों द्वारा जिस घास और खरपतवारनाशी का इस्तेमाल किया जाता है उसमें मौजूद नाइट्रेस कंपाउंड हमारे डीएनए से मैच कर इसमें इनकॉरपोरेट हो जाता हैं। इस वजह से हमारे शरीर का रिपेयर मैकेनिज्म फॉल्टी हो जाता हैं। जिसमें थोड़े भी कैंसर के के बदलाव होने से शरीर इसे कंट्रोल नहीं कर पाने से कैंसर डेवलप हो जाते हैं और यह हमें इसकी चपेट में ले लेता है। यह बात डॉ. विनोद कुमार धाकड़ ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही वह शहर के प्रतिष्ठित श्री अरविंदो इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस एंड हॉस्पिटल में सर्जिकल ऑनकोलॉजी डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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सवाल. क्या धूम्रपान और इन सबसे कैंसर के केस में बढ़त हुई है

जवाब.हमारे देश में धूम्रपान, तंबाकू, गुटका, सुपारी और अन्य चीजों के सेवन से कैंसर के केस कॉमन हो गए हैं और अगर बात आंकड़ों की करी जाए तो 85 प्रतिशत केस इससे संबंधित होते हैं। इन सब चीजों के सेवन से नई उम्र के नौजवानों में यह समस्या सामने आ रही हैं। आमतौर पर कैंसर ओल्ड एज में देखने को मिलता हैं लेकिन हमारे देश में धूम्रपान और इन सबके चलते यह यंग जनरेशन में देखने को मिल रहा हैं। जिसमें यह गला, जीभ, जबड़ा, हेड और अन्य हिस्सों में देखने को मिलता हैं। वहीं वेस्टर्न वर्ल्ड में स्मोकिंग ज्यादा होने से लंग कैंसर ज्यादा हैं। हमारे यहां वेस्टर्न वर्ल्ड के मुकाबले यंगर एज का पैटर्न है हमें इस पर रिसर्च करने की आवश्यकता हैं।

सवाल. महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के केस में काफी बढ़ोतरी हुई है, आप इसके क्या कारण मानते हैं

जवाब.आज के दौर में ब्रेस्ट कैंसर के भी काफी केस सामने आ रहे हैं। इसके कई कारण हैं लेकिन इसका एक कारण स्तनपान में देरी होना हैं। हमारे यहां लड़कियों की शादी लेट होती हैं जिस वजह से बच्चें भी लेट पैदा होते हैं। इस देरी के चलते ब्रेस्ट फीडिंग सही समय पर नहीं हो पाती हैं और यह कैंसर का कारण बनता हैं। जब महिलाएं ब्रेस्ट फीडिंग करती है तब उनके शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा को दूसरे हार्मोन कम देते हैं। मेरा ऐसा मानना हैं कि लगभग 30 साल की उम्र तक शादी हो जाने से इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता हैं। वहीं इस एज में शादी हो जाने से यह जच्चा और बच्चा दोनों के लिए फायदेमंद हैं।

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सवाल. क्या कैंसर के पेशेंट में बढ़ोतरी हुई है

जवाब.हमारे सीनियर डॉक्टर बताते हैं कि पहले 1 महिनें में कैंसर के एक, दो पेशेंट आ जाते थे लेकिन आज के दौर में तो रोजाना दो पेशेंट आ जाते है जो कि बहुत ज्यादा है। हमारी बदलती लाइफ स्टाइल और खान पान भी इन बीमारियों का एक कारण हैं। खान पान में विटामिन और पोषक तत्वों की मात्रा बराबर नहीं होने से भी हमारा शरीर कमज़ोर हो गया हैं। वहीं हमारा शारीरिक श्रम भी काफी हद तक कम हो गया हैं।

सवाल. क्या केमिकल के बढ़ते इस्तेमाल से कैंसर का खतरा बढ़ा है

जवाब.हमारे देश में जितने भी अनाज, फल, सब्जियां उगाई जाती हैं उनमें किस मात्रा तक केमिकल हैं इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता हैं। इन फसलों में केमिकल के इस्तेमाल के लिए किसी प्रकार के कोई रूल्स रेगुलेशन नहीं हैं। इन सब प्रॉडक्ट को तैयार करने में जो केमिकल इस्तेमाल होता है वह हमारे शरीर के लिए काफी हानिकारक हैं। हमारे यहां के फल और सब्जियां फॉरेन में एक्सपोर्ट करने पर वह इसमें केमिकल ज्यादा बताकर वापस रिटर्न कर देते हैं। लेकिन हमारे यहां तो कोई नियम कानून ही नहीं हैं। इस पर रिसर्च कर रूल्स एंड रेगुलेशन लाने चाहिए। केमिकल से तैयार इन चीज़ों के इस्तेमाल से कई बीमारियों के साथ साथ कई प्रकार के कैंसर होते है। केमिकल के बढ़ते इस्तेमाल से हमारी नींव उखड़ चुकी हैं हम काफी कमज़ोर हो गए हैं। हमारा डीएनए पहले किसी भी की समस्या से लड़ने में सक्षम था वह खुद को रिपेयर कर लेता था आज इन सब चीजों के चलते यह संभव नहीं है।

सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई कहां से पूरी की

जवाब.मैने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर से पूरा की इसके बाद नेताजी सुभाष चंद्र बॉस मेडिकल कॉलेज जबलपुर से एमएस की पढ़ाई पूरी की। वहीं एमसीएच सर्जिकल ऑनकोलॉजी बीजे मेडिकल कॉलेज एंड गुजरात कैंसर एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट अहमदाबाद से कंप्लीट किया। मैने देश के कई बड़े अस्पतालों में कंसल्टेंट और असोसिएट प्रोफ़ेसर के रूप में कार्य किया। मैने चिरायु मेडीकल कॉलेज भोपाल में कैंसर सर्जन और असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दी है। वर्तमान में मैं शहर के प्रतिष्ठित श्री अरविंदो इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस एंड हॉस्पिटल में सर्जिकल ऑनकोलॉजी डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।