हड्डियों से संबंधित समस्या हमारे खान पान और लाइफ स्टाइल में बदलाव से आती है सामने, सबसे ज्यादा आईटी सेक्टर में काम करने वाले लोग होते हैं शिकार – डॉक्टर भूपेश महावर सीएचएल केयर एंड शेल्बी हॉस्पिटल

Deepak Meena
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इंदौर. वर्तमान समय में भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारे खानपान और लाइफ स्टाइल में बदलाव के चलते आजकल हड्डियों से संबंधित समस्या बढ़ गई हैं। वही यह हड्डियों से संबंधित समस्या आईटी सेक्टर में काम करने वाले उन लोगों में ज्यादा देखी जाती है, जो सिस्टम के सामने बैठकर घंटो कार्य करते रहते हैं। उन लोगों में गर्दन दर्द, कमर दर्द, ज्वाइंट पैन, मांसपेशियों में खिंचाव जैसी समस्या देखने को सामने आती है। वही आजकल हमारी लाइफ स्टाइल सीडेंटरी होने के चलते खेल कूद, एक्सर्साइज और फोन एक्स्पोज़र बहुत कम हो गया है जिस वजह से विटामिन और मिनरल्स की कमी पूरी नहीं हो पाती और हड्डियों में कई प्रकार की समस्याएं देखने को सामने आती है। वहीं कई लोगों को सही मार्गदर्शन नहीं मिलने और लापरवाही के चलते लोग दर्द की दवाइयों पर ही निर्भर रहते हैं जो कि सही नहीं है। सही मार्गदर्शन और चेकअप की मदद से हड्डियों से संबंधित समस्या को कम किया जा सकता है। जब शरीर में कैल्शियम, विटामिन और प्रोटीन की मात्रा पर्याप्त हो जाती है तो बॉडी रिकवरी मोड में आ जाती है। वही मोटे लोगों में बॉडी का मूवमेंट कम होने के चलते हड्डियों से संबंधित समस्या देखी जाती है। जिसमें आमतौर पर जकड़न की समस्या सामने आती है। ऐसे लोगों में लाइफस्टाइल में बदलाव करने के बाद इस समस्या को ठीक किया जा सकता है। यह बात डॉक्टर भूपेश महावर ने अपने साक्षात्कार के दौरान कहीं। वह शहर के प्रतिष्ठित सीएचएल केयर और शेल्बी हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

सवाल. एड़ी से संबंधित समस्या किन कारणों से सामने आती है इससे कैसे बचा जाए

जवाब. एड़ी से संबंधित समस्या की अगर बात की जाए तो सबसे ज्यादा महिलाओं में यह कॉमन रूप से पाई जाती है। यह समस्या आमतौर पर 35 साल की उम्र के बाद देखी जाती है एक समय बाद लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या सामने आती है। वही विटामिन डी की डिफिशिएंसी इसका एक कारण होती है। इसी के साथ महिलाओं का हाई हील का पहनना, किसी भी वर्ग द्वारा ट्रेडमिल पर दौड़ने से जर्क लगने से भी यह समस्या सामने आती है। एड़ी की हड्डी को कैल्केनीअस कहां जाता है इसके नीचे एक तंतु चलता है जिसे मांसपेशी कहा जाता है इस पर कोई झटका लगता है या अन्य कारण से जब यह फट जाती है तो उसे प्लांटर फ़ेसियाइटिस कहा जाता है। इस बीमारी में सुबह मॉर्निंग में जब व्यक्ति चलना शुरू करता है तो 5 से 10 मिनट तक उसे बड़ी समस्याएं होती है। इन समस्याओं से बचने के लिए हमें हर 6 माह में विटामिन D और B 12 का चेकअप करवाने चाहिए साथ ही मोटापे और एक्सरसाइज पर ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि समस्या के डेवलप होने से पहले ही इसे खत्म किया जा सकें। अगर बात रिसर्च की की जाए तो 50% से ज्यादा लोगों में विटामिन D और विटामिन B 15 की कमी पाई जाती है जो इस प्रकार की समस्या का कारण बनती है।

सवाल. फ्लैट फुट से संबंधित समस्या क्या है यह किस वजह से होती है

जवाब. अगर बात पंजे से संबंधित समस्या कि की जाए तो इसमें सबसे ज्यादा कॉमन रूप से फ्लैट फुट की समस्या सामने आती है। इसमें आमतौर पर इससे पीड़ित व्यक्ति जब खड़ा होता है तो उसके पंजे के बीच में एक दो उंगली की गैप होती है वहीं कई लोगों का पंजा सपाट और नीचे की ओर होता है। जब यह समस्या बढ़ जाती है तो धीरे-धीरे ऐडी से लेकर घुटने तक की हड्डी पर इसका गलत प्रभाव पड़ता है। कई लोगों में यह समस्या जेनेटिक रूप से पाई जाती है वहीं कई लोगों में उम्र के साथ डेवलप होती है। इसमें आमतौर पर मांसपेशियों में ढीलापन आता है और ढीलेपन की वजह से हड्डियां अपनी जगह से खिसकना शुरू हो जाती है। और धीरे-धीरे फ्लैट फुट का रूप ले लेती है। यह समस्या ज्यादा बढ़ने पर लोगों को रनिंग करने, जूते पहनने और अन्य प्रकार की समस्या होती है। एक स्टडी के अनुसार महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले यह समस्या ज्यादा देखी जाती है।

सवाल. हड्डियों से संबंधित समस्या से बचने के लिए क्या किया जाए

जवाब. हमारे स्वस्थ शरीर के लिए पौष्टिक खानपान के साथ-साथ एक्सरसाइज भी बहुत ज्यादा जरूरी है। जैसे जैसे हम बड़े होते हैं वैसे ही हमारी हड्डियां कमजोर होती जाती है जिस वजह से ओस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या सामने आती है। और हड्डियां टूटने की संभावना बनी रहती है। अच्छा खानपान, मोटापे को कंट्रोल रखना और एक्सरसाइज हमें इस प्रकार कि समस्या से बचाता है। में अगर अपनी बात करू तो कुछ समय पहले मेरा वजन 107 किलो से ज्यादा था वही मेरे दोनों घुटनों की लिगामेंट सर्जरी हुई है उसके बाद भी मेरा हौसला नहीं टूटा और मैंने एक्सरसाइज और नेचुरल डाइट की मदद से अपनी बॉडी को इतना फिट कर लिया कि मैं फिटनेस कंपटीशन में पार्टिसिपेट करने लगा। मैंने न्यूट्रिशन साइंस का कोर्स भी किया है मैं अपने पेशेंट को खानपान किस तरह से और किस मात्रा में लेना चाहिए इसकी भी जानकारी देता हूं कि किस तरह से आप अपने खान-पान में प्रोटीन और कैल्शियम को शामिल कर सकते हैं। कई लोग प्रोटीन के लिए सप्लीमेंट का इस्तेमाल करते हैं लेकिन प्रकृति ने हमें इतनी चीजें दी है कि इसकी रिक्वायरमेंट पूरी जा सकती है।

सवाल. आपने-अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है

जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल से पूरी की वही ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज से मैंने ऑर्थोपेडिक में मास्टर की पढ़ाई पूरी की है। इसी के साथ मैंने मुंबई से एमसीएच की डिग्री प्राप्त की है। देश की प्रतिष्ठित फुट एंड एंकल सोसायटी आईफा का मैं सदस्य हूं वही पूरे मध्यप्रदेश में मैं फुट एंड एंकल से संबंधित समस्या में डील करता हूं। अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद मैंने कई गवर्नमेंट हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी हैं। वही शहर के लाइफ केयर और अन्य हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी है।वर्तमान में मैं शहर के प्रतिष्ठित शेल्बी और सीएचएल केयर हॉस्पिटल में कंसलटेंट सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।वही मैं अपने क्लीनिक केयर बड़ी डायग्नोस्टिक सेंटर पर भी अपनी सेवाएं देता हूं।