शनि को न्याय और कर्मफल का देवता माना जाता है। शनि को प्रसन्न करके व्यक्ति जीवन के कष्टों को कम कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि जब भी कभी ग्रहों में किसी तरह का कोई बदलाव होता है तो इसका सीधा असर हमारी राशि पर पड़ता है। जिस वजह से कुंडली पर शनि बैठ जातें हैं और ऐसे में व्यक्ति के जीवन में दुख भी आ सकते हैं तो खुशियां भी आ सकती हैं।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार शनि के नाराज होने से व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर पड़ता है। शनिदेव प्रसन्न होते हैं तो बिगड़े हुए काम बन जाते हैं और सफलता भी प्राप्त होती है। शनि ग्रह के किसी एक राशि में गोचर करने पर एक साथ पांच राशियों पर प्रभाव पड़ता है। तीन राशियां को शनि की साढ़ेसाती का सामना करना पड़ता है जबकि दो राशियों पर ढैय्या। शनि की साढ़ेसाती किसी राशि पर तीन चरणों से होकर गुजारती है। पहला चरण, दूसरा चरण और तीसरा चरण।
शनि की साढ़ेसाती का इस राशि पर अंतिम चरण
वर्तमान समय में शनि मकर राशि में हैं जिस कारण से धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। खास बात तो यह हैं कि धनु राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण चल रहा है। वहीं मकर पर दूसरा और कुंभ पर पहला चरण है। धनु राशि पर से साढ़ेसाती पूरी तरह से 29 अप्रैल 2022 को उतर जाएगी। माना जाता है कि शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण कम परेशानी वाला होता है। जैसे-जैसे समय बीतता है इसका प्रभाव कम होने लगता है। अगर किसी जातक की कुंडली में शनि शुभ भाव में बैठे हैं तो शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण शुभ फल भी प्रदान करता है।