निगम बिल घोटाले की आंच अब सीनियर IAS पर भी, मनीष सिंह-प्रतिभा पाल की भूमिका की होगी जांच, विजयवर्गीय ने दिए संकेत

Share on:

नगर निगम के फर्जी बिल घोटाले के मामले में अब वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भी शामिल हो रहे हैं। गिरफ्तार इंजीनियर अभय राठौर की पत्नी ने कोर्ट में दिए गए हलफनामे के जरिए इंदौर से लेकर भोपाल तक बवाल मचा दिया है। राठौर के वकील मनोहर दलाल ने मनीष सिंह और प्रतिभा पाल को इस मामले में बड़ी भूमिका निभाने का आरोप लगाया है। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने यह स्पष्ट किया है कि कोई भी अधिकारी जितना भी प्रभावशाली हो, यदि उसने भ्रष्टाचार किया है, तो उसे सजा मिलेगी, क्योंकि यह सीएम मोहन यादव की सरकार है।

‘हलफनामे की जांच होगी और अगर कोई गलती पाई गई तो सख्त कार्रवाई’

मनीष सिंह (IAS), प्रतिभा पाल और तत्कालीन इंदौर संभागायुक्त पवन शर्मा के नाम हलफनामे में शामिल होने पर मंत्री विजयवर्गीय ने स्पष्ट किया कि पवन शर्मा का नाम इसमें नहीं है, लेकिन अन्य दो-तीन अधिकारियों के नाम शामिल हैं। वे बताते हैं कि निगम का खजाना जनता के टैक्स से भरा हुआ है, इसलिए कोई भी भ्रष्टाचार करके उसे नहीं ले जाएगा। हलफनामे की जांच होगी, और अगर कोई गलती पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

वकील दलाल ने कहा ‘राठौर किसी भ्रष्टाचार का हिस्सा नहीं बना’

राठौर के वकील मनोहर दलाल ने स्पष्टतः आरोप लगाए कि राठौर किसी भ्रष्टाचार का हिस्सा नहीं बना। उनके अनुसार, यह पूरा खेल तत्कालीन नगर निगम आयुक्त मनीष सिंह द्वारा शुरू किया गया था। उन्होंने खुद को सुरक्षित रखने के लिए अतिरिक्त आयुक्तों को वित्तीय अधिकार दिए, ताकि उनकी कलम पर कोई प्रभाव न डाले। उन्होंने यह भी कहा कि जब मेयर पद में नहीं थे, तो संभागीय आयुक्त पवन शर्मा नगर निगम प्रशासक थे। उस समय इन अधिकारियों ने भ्रष्टाचार का खेल खेला और प्रतिभा पाल ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया। इसमें अन्य अधिकारियों जैसे इंजीनियर सुनील गुप्ता भी शामिल हैं।

‘कोर्ट ने जमानत याचिका की खारिज’

उन्होंने संभागीय आयुक्त और तत्कालीन नगर निगम प्रशासक पवन शर्मा की सत्ता का दुरुपयोग किया, और निगम के 50 करोड़ रुपए के जनधन का अपने अधीनस्थों के माध्यम से बांट लिया। आयुक्त भी खुद भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उल्लेखनीय है कि शनिवार को कोर्ट ने राठौर और उनके सहयोगी उदय सिंह भदौरिया की जमानत याचिका खारिज कर दी है।