शिवराज सरकार की “लाड़ली बहना योजना” की जमीनी हकीकत, पेट्रोल डालकर जिंदा जलाई गई प्राचार्य की अब तक किसी ने नही ली सुध

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नितिनमोहन शर्मा

गाजे बाजे के साथ प्रदेश में लागू की जाने वाली शिवराज सरकार की लाडली बहना योजना की जमीनी हक़ीक़त देखना हो तो इन्दौर के चोइथराम अस्पताल की बर्न यूनिट में चले आईये। यहां मौजूद एक लाड़ली बहना जीवन मौत से संघर्ष कर रही हैं। 5 दिन से। इस लाडली बहना की पूरी देह पेटोल डालकर झुलसा दी गई। 80 फीसदी से ज्यादा शरीर सुर्ख फफोलों के बीच कराह, कांप रहा हैं। अर्धबेहोशी की हालात हैं पर आंखों से आंसू थम नही रहें। लेकिन इस लाडली बहना का रोना कौन सुनेगा?

किसी के पास वक्त ही नही। न शहर के 8 विधायकों के पास वक्त हैं। न सांसद के पास समय हैं। न मंत्रियों के पास इतनी फुर्सत है कि वे इस बहना की पीड़ा को समझ सके। महिला नेताओ के पास भी रत्तीभर समय नही। महिला संगठन, लेडीज क्लबो के लिए ये इवेंट नही है। इसलिए ऐसे मसले शायद उनकी कामकाज की लिस्ट में नही होंगे। नोकरशाही के पास तो सत्ता को सम्भालने में ही वक्त जाया हो रहा। वह कहा से अतिरिक्त समय निकालकर इस घटना पर फोकस करेगी।

आज प्रदेश के वो ही मुखिया शिवराजसिंह चौहान इन्दौर आ रहें हैं जो महिला अपराध पर चेन से सो नही पाते। वे आ रहे है अपने मंत्री तुलसी सिलावट के लिए। मंत्री के धार्मिक आयोजन के लिए। सत्ता के साथ ‘जगत मामा’ बने शिवराज सिंह के पास कुछ वक्त निकल जाए और वे सुध ले ले इस बहना की जो सरकार की लाडली योजना का हिस्सा बनने से पहले वेंटिलेटर पर जीवन मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही हैं।

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हैरत तो इस बात की भी है कि एक प्रिंसिपल को, उसके ही कॉलेज में, उसके ही स्टूडेंट द्वारा बाल्टीभर पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया। वो भी इन्दौर में। तो क्या प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास ये घटनाक्रम नही पहुंचा? आज वो हेलीकॉप्टर से विशेष तौर पर मंत्री सिलावट की राम कथा के लिए वक्त निकालकर आ रहे हैं। लेकिन शिव के राज में एक लाडली बहना 20 फरवरी से जीवन की लड़ाई लड़ रही है, उसके लिए सरकार के पास क्या कोई विशेष समय या हेलीकॉप्टर नही हैं?

जबकि सीएम को तो महिला, बेटियों के लिए बेहद संवेदनशील माना जाता है और उनके खिलाफ अपराध करने वालो को जमीदोंज करने का उनका अभियान भी तो इसी प्रदेश में चल रहा हैं। फिर क्या कारण है कि जिंदा जलाई गई प्रिंसिपल के लिए प्रदेश के मुखिया की संवेदनाएं नही जागी। न दो शब्द मुंह से निकले। जबकि मंच से तो महिला अपराध को लेकर दहाड़े रोज प्रदेश उनके मुंह से सुन रहा है। तो फिर क्या गुनाह प्राचार्य विमुक्ता शर्मा का? प्राचार्य की बेटी देव्यांशी को भी अपने ” मामा ” का ये व्यवहार समझ नही आया। क्योकि वो तो ये मानकर ही चल रही थी कि इस घटना की जानकारी मामा को लगते ही सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन 4 दिन से अकेली देव्यांशी अपने पापा ओर परिजनों के साथ अस्पताल में अकेले संघर्ष कर रही है।

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हैरत तो इस बात की है कि इतना बड़ा घटनाक्रम इन्दौर जैसे शहर में हो गया लेकिन किसी को कोई फर्क ही नही पड़ा। न किसी ने पीड़ित की सुध ली। कितनी दूर है यूनिवर्सिटी से चोइथराम अस्पताल? कहा से विश्वविद्यालय के कुलपति? अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग भी तो इन्दौर में ही है न? क्या केवल कॉलेज के प्राचार्यों और प्राध्यापकों का ही ये विषय है? कितना शर्मनाक है ये इन्दौर जैसे शहर के लिए जहां जरा सी बात पर नेता घटनास्थल पर दौड़ जाते हैं। अफसर भी अपराधी का माजना बिगाड़ने में देर नही करते। फिर क्या कारण है कि आरोपी जलने का बहाना बनाकर खा पी रहा है और बिस्तर पर शान से नींद निकाल रहा है। न आरोपी के घर तक बुलडोजर पहुंचे। न आरोपी अब तक हवालात पहुँचा हैं।

प्राचार्य संघ ग़मगीन, न्याय मिलने तक लड़ेगा लड़ाई

पूरे मामले में सिर्फ अशासकीय कॉलेज का सँगठन प्राचार्य संघ मैदान में है। कमिश्नर को ज्ञापन के बाद दूसरे दिन मोन रैली निकालकर रोष जाहिर किया। संघ के अध्यक्ष राजीव झालानी और गिरधर नगर इस मूददे पर काफी उद्वेलित हैं। वे कहते है कि ये लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक प्राचार्य को इंसाफ नही मिल जाता। ज्ञापन के समय हंसी वाले फोटो से दुःखी संघ का कहना है कि ईश्वर जानता है कि हम सबके मन मे कितनी मर्मांतक पीड़ा हैं। उस वक्त हमारे सादे कागज पर हाथ से बने ज्ञापन पर हम सब पर सुदामा वाली टिप्पणी की गई और उसी वक्त में फोटो क्लिक हुआ। हम असहाय ओर दुःखी हैं। शहर साथ मे आये ताकि इस तरह की घटना की फिर कभी देवी अहिल्या की नगरी में पुनरावृत्ति न हो। ब्राह्मण समाज के संदीप जोशी ने समाज बंधुओं के साथ घटना पर ज्ञापन देकर पूरे मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाकर आरोपी को जल्दी सजा देने की मांग की।