माहवारी एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। बावजूद इसके आज भी लाखों-करोड़ों महिलाओं को माहवारी को लेकर अनेक समस्याओं से जूझना पड़ता है। आज भी उनको स्वास्थ्य और इससे जुड़ी शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है। कोरोना महामारी ने तो इस स्थिति को और बिगाड़ दिया है क्योंकि महामारी के कारण सुरक्षित पीरियड प्रोडक्ट्स और पीरियड्स के प्रति जागरूकता एवं शिक्षा तक लोगों की पहुंच और सीमित हो गई है।
ब्रिटिश ब्यूटी ब्रांड ‘द बॉडी शॉप’ ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए एक भारतीय गैर-लाभकारी संगठन CRY: चाइल्ड राइट्स एंड यू के साथ मिलकर एक प्रयास शुरू किया है ताकि पीरियड्स को लेकर जागरूकता बढ़े। पीरियड्स को लेकर होने वाली शर्म और इससे लड़कियों और महिलाओं पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को लेकर भी बात होगी। इस पार्टनरशिप के जरिये द बॉडी शॉप की कोशिश पीरियड्स को लेकर होने वाली चर्चाओं को सामान्य बनाने की है। साथ ही फंड्स के जरिये महामारी के दौरान माहवारी से जुड़ी शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाना है।
पीरियड्स सामान्य हैं मगर भारत में आंकड़े कुछ और कहते हैं…
- ग्रामीण इलाकों में 20 प्रतिशत लड़कियां अपने पहले पीरियड के बाद स्कूल छोड़ देती हैं। यह सीधा प्रमाण है माहवारी से जुड़े सामाजिक बन्धन, शर्म और माहवारी स्वास्थ्य से जुड़े उत्पाद के अलावा मूलभूत सुविधाएं भी उनको नहीं मिल पाती हैं।
- घरेलू कामों के बाद, पीरियड्स और उससे जुडी जरुरी सुविधाओं की कमी जैसे पैड्स, लड़कियों के लिए टॉयलेट्स और डिसपोजल के लिए सुविधा की कमी, लड़कियों के स्कूल छोड़ने की एक बड़ी वजह है।
- 88 फीसदी महिलाएं आज भी माहवारी के दौरान सूखी पत्तियां, राख, लकड़ी की छाल, समाचार पत्र, कपड़े जैसी चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं।
- माहवारी के दौरान साफ-सफाई न होने से 70 फीसदी मामले इन्फेक्शन तक पहुँच जाते हैं। और नतीजे गम्भीर हो जाते हैं।
मेंस्ट्रुअल हाइजीन को यूएन ने कोविड-19 के साथ-साथ ग्लोबल हेल्थ इशू माना है। द बॉडी शॉप की कोशिश है कि इस प्रयास के जरिये माहवारी से जुड़ी सामाजिक समस्याओं में बड़ा अंतर लाया जा सके। CRY के साथ मिलकर समाज के हर वर्ग को जोड़कर इस स्थिति को बदलने के प्रयास किये जायेंगे। अगले 4 महीने दोनों संस्था मिलकर इन बिन्दुओं पर काम करेंगे:
- पीरियड्स को लेकर जागरूकता बढ़ाना: टचपॉइंट्स के रूप में स्टोर, वेबसाइट और सोशल मीडिया चैनलों के अपने विस्तृत नेटवर्क का उपयोग करके महिलाओं और पुरुषों दोनों के ही बीच पीरियड्स को लेकर आपसी बातचीत को सहज बनाना।
- महामारी से प्रभावित समुदायों में पीरियड प्रोजेक्ट्स के लिए धन जुटाना: द बॉडी शॉप अपने ग्राहकों से स्टोर पर या ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान सिर्फ 20 रुपए का छोटा-सा स्वेच्छिक सहयोग करके इस उद्देश्य के लिए 1.2 मिलियन की राशि जुटाना चाहता है।
- पीरियड प्रोडक्ट्स देना: सभी एक्सक्लूसिव द बॉडी शॉप स्टोर्स पर स्थापित रेड पीरियड बिन में उपभोक्ताओं से स्वैच्छिक दान के रूप में सील पीरियड प्रोडक्ट्स एकत्रित करके CRY के माध्यम से स्थानीय समुदायों को दान किए जायेंगे।
- सामूहिक प्रतिज्ञाएँ: द बॉडी शॉप स्टोर्स पर सहकर्मियों और उपभोक्ताओं से डिजिटल प्रतिज्ञाएँ एकत्रित की जाएगी। साथ ही उन्हें निम्नलिखित व्यक्तिगत पहल करके के लिए भी प्रेरित किया जाएगा :
- मैं प्रतिज्ञा करती हूँ कि मैं अपने पीरियड प्रोडक्ट्स को छिपाने के बजाए उन्हें गर्व के साथ लुंगी।
- मैं प्रतिज्ञा करती हूँ कि मैं अपने परिवार के पुरुष सदस्य को भी पीरियड्स के बारे में बताउंगी और सभी के साथ इस बारे में खुल कर चर्चा करुँगी।
- -मैं प्रतिज्ञा करती हूँ कि मैं पीरियड के दौरान अपने अनुभवों को लेकर ईमानदार रहूंगी और भ्रमित करने वाले कोड वर्ड्स के बजाएं सीधे ‘पीरियड’ शब्द का उपयोग करुँगी।
- -मैं प्रतिज्ञा करती हूँ कि मैं अपनी कम्यूनिटी में एक पीरियड फ्रेंडली एनवायरनमेंट बनाते हुए पीरियड शेम को दूर कर इस बारे में जागरूकता और शिक्षा का प्रसार करुँगी। मैं अपने आसपास सभी को गुणवत्तापूर्ण पीरियड प्रोडक्ट, निजी सुविधाएं और एक उचित डिस्पोजेबल यूनिट मुहैया करवाने में मदद करुँगी।
- मैं प्रतिज्ञा करती हूँ कि मैं अपने स्कूल के पाठ्यक्रम में एक्सपर्ट पीरियड एजुकेशन को शामिल करने के लिए प्रयास करुँगी।
इस पहल के माध्यम से, द बॉडी शॉप और CRY का लक्ष्य 4500 घरों में 10,000 से ज्यादा लोगों को पीरियड्स के बारे में स्वास्थ्य जागरूकता, शिक्षा और मुफ्त में पीरियड प्रोडक्ट्स मुहैया करवाना है। इस अभियान से सीधे तौर पर दिल्ली / NCR में झुग्गी बस्तियों की लड़कियों और महिलाओं को लाभ मिलेगा, जहां महामारी के कारण मेंस्ट्रुअल हेल्थ और इससे जुड़े उत्पादों की पहुंच कम हुई है। इस मुहिम में यह भी शामिल है:
- 1000 से ज्यादा किशोर लड़कियों और महिलाओं को पीरियड प्रोडक्ट बांटना
- पीरियड्स उत्पादों के उपयोग सहित मासिक धर्म के समय स्वास्थ्य और स्वच्छता पर किशोर लड़कियों और लड़कों को शिक्षित करने के लिए पीरियड पाठशाला सत्र का आयोजन करना।
- किशोर लड़कियों और लड़कों के साथ वीडियो और मूवी स्क्रीनिंग के जरिए इस बारे में जागरूकता बढ़ाना और मासिक धर्म के जुड़े प्रचलित मिथकों का पर्दाफाश करना।
- सामान्य मासिक धर्म स्वास्थ्य को जांचने के लिए एनीमिया चेक-अप कियोस्क शुरू करना
- कम्युनिटी के फ्रंट लाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं जैसे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा, एएनएम और परियोजना टीम के सदस्यों को ट्रेनिंग देना ताकि वे मासिक धर्म स्वच्छता योजना (MHS) और सार्वजनिक सेनेटरी पैड योजनाओं का लाभ अपने समुदाय के लोगों तक पहुंचा सकें।
द बॉडी शॉप इंडिया की सीईओ, श्रिति मल्होत्रा ने कहा, “दुनिया की मुलभुत समस्याओं को हल करने की हमारी कोशिश ही हमारी ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत है। फेमिनिज्म और महिला सशक्तीकरण पर हमारे मुख्य फोकस के साथ, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि महामारी ने पीरियड शेम और मासिक धर्म के दौरान आवश्यक सुविधाओं की कमी के गंभीर मुद्दे को और अधिक मुश्किल बना दिया है।
हमारे देश में इससे जुड़े आंकड़े भयावह हैं और कोविड महामारी के बाद भारत में इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा करना बेहद आवश्यक हो गया है। यह एक ऐसा परिवर्तन है, जिसका हम सभी हिस्सा बन सकते हैं – मासिक धर्म के बारे में ईमानदारी से बात करके और अपने आसपास के लोगों से इस बार में चर्चा करके तथा जरूरतमंदों को मासिक धर्म के दौरान जरुरी सुविधाएँ मुहैया करवाकर। शर्म-मुक्त मासिक धर्म, सुरक्षित मासिक धर्म उत्पाद और सटीक मासिक धर्म शिक्षा, यह सिर्फ महिलाओं से जुड़ा मुद्दा नहीं बल्कि मानवता से जुड़ा मुद्दा है।”
द बॉडी शॉप इंडिया की ब्रांड एंबेसडर श्रद्धा कपूर ने कहा, “मुझे एक ऐसे मुद्दे के लिए आवाज उठाते हुए बेहद ख़ुशी हो रही है, जो मेरे दिल के बहुत करीब है। पीरियड से जुडी शर्म हमारी परवरिश में गहराई से जुडी है और इसके अस्तित्व पर सवाल उठाने के लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता है।
ज्यादातर भारतीय लड़कियां खुले तौर पर पीरियड्स के बारे में बात करने में असहज महसूस करती हैं और इसके कारण महिलाओं में मासिक धर्म के प्रति जागरूकता की कमी होती है। द बॉडी शॉप के साथ, मैं हर संभव तरीके से इस नेक काम में योगदान देने की प्रतिज्ञा करती हूं। मैं आप सभी से अनुरोध करती हूँ कि पीरियड से जुडी शर्म को दूर करने के लिए प्रतिज्ञा लें और जो आप कर सकते हैं उसे दान करें। ऐसा करके आप भी इस सकारात्मक पहल का हिस्सा बन सकते हैं।”
द बॉडी शॉप इंडिया के साथ अपनी पार्टनरशिप पर, चाइल्ड राइट्स एंड यू (सीआरवाई) की सीईओ सुश्री पूजा मारवाहा ने कहा, “सीआरवाई द्वारा एकत्रित किए गए आंकड़ों के अनुसार लड़कियों के स्कूल छोड़ने की सबसे बड़ी वजह पीरियड ही है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-4) के आंकड़ों से पता चलता है कि 15-19 वर्ष के बीच केवल 57% किशोर लड़कियों को उनके मासिक धर्म चक्र के दौरान उपयोग करने के लिए सुरक्षित और हाइजीनिक उत्पाद तथा सुविधाएँ मिल पाती है।
CRY को बॉडी शॉप के साथ पार्टनरशिप करने में खुशी हो रही है। साथ में हम मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में सामाजिक जागरूकता पैदा करने का इरादा रखते हैं, और साथ ही, मुफ्त और गुणवत्ता वाले सैनिटरी नैपकिन, सुरक्षित डिस्पोजल मेकेनिज़्म, कार्यात्मक शौचालय और मेंस्ट्रुअल हाइजीन को लेकर नियमित सेशन करने का प्रयास करते हैं। हम दोनों का मानना है कि जागरूकता हमारे समाज में पीरियड्स से संबंधित वर्जना और शर्म को दूर करने की कुंजी है।”