दिनेश निगम ‘त्यागी’
भाजपा में सरकार और संगठन स्तर पर भोपाल से लेकर दिल्ली तक चल रही कवायद सिर्फ निगम-मंडलों में नियुक्तियों के लिए नहीं है। मुद्दा मंत्रिमंडल में फेरबदल का भी है। केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि बेहतर प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों के पास ही अच्छे विभाग रहें। जिनका परफारमेंस अच्छा नहीं है, उन्हें कमजोर विभाग दिए जाएं या मंत्रिमंडल से ही बाहर कर दिया जाए। इसीलिए दिल्ली में अमित शाह से मिलने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री सुहास भगत एवं सह संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के साथ दस घंटे तक मंथन किया।
चर्चा के केंद्र में मंत्रिमंडल शामिल रहा। पार्टी सूत्रों पर भरोसा करें तो आने वाले समय में शिवराज मंत्रिमंडल के आधा दर्जन से ज्यादा सदस्य प्रभावित हो सकते हैं। विभाग बदलकर कुछ के कद घटाए-बढ़ाए जा सकते हैं और कुछ की छुट्टी भी हो सकती है। इसका आधार होगा परफारमेंस। मुख्यमंत्री चौहान ने अपने सभी मंत्रियों की परफारमेंस रिपोर्ट तैयार कर रखी है। मंत्रिमंडल के खाली पदों को भरा भी जा सकता है। इस पर बैठक में लंबी चर्चा हुई। केंद्रीय नेतृत्व को भरोसे में लेकर इस पर अमल किया जाएगा।
वरिष्ठ विधायक फिर पा सकते हैं जगह
– ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से राज्य मंत्रिमंडल में पार्टी के कुछ वरिष्ठ विधायक जगह नहीं पा सके थे। इसकी वजह कुछ नए विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करना भी था। पार्टी ने नाम उजागर तो नहीं किए लेकिन चर्चा में सामने आया कि कुछ नए मंत्रियों का परफारमेंस ठीक नहीं है। कुछ पुराने मंत्री भी अपेक्षा पर खरे नहीं उतर रहे। सिंधिया समर्थक दो मंत्रियों के परफारमेंस से भी पार्टी संतुष्ट नहीं है। इनके या तो विभाग बदले जा सकते हैं या मंत्रिमंडल से छुट्टी कर कोई और दायित्व सौंपा जा सकता है। ऐसे में कुछ पूर्व मंत्रियों को फिर जगह मिल सकती है।
ज्योतिरादित्य से भी की पार्टी नेताओं ने बात
– पूरे पंद्रह साल बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। कांग्रेस ने सत्ता में वापसी कर ली थी। नेतृत्व का मानना है कि इसकी वजह कुछ मंत्रियों व सरकार के कामकाज से लोगों की नाराजगी थी। भाजपा यह गलती फिर नहीं दोहराना चाहती। इसलिए मंत्रिमंडल में उन्हें ही रखना चाहती है, जिनका प्रदर्शन अच्छा हो और जिनके कामकाज से पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ लोग संतुष्ट हों। खबर है कि इस संदर्भ में ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी बात की गई है। उन्हें बताया गया है कि उनके समर्थक जिन मंत्रियों का काम संतोषजनक नहीं है, उनके विभाग बदले जा सकते हैं।
तीन विषयों पर एक साथ विचार-विमर्श
– सूत्रों पर भरोसा करें तो दस घंटे के एकांत मंथन में तीन विषयों पर एक साथ चर्चा हुई। मंत्रिमंडल विस्तार के साथ निगम-मंडलों में नियुक्तियां एवं संगठन में प्रवक्ताओं-पैनालिस्टों के नामों पर भी विचार हुआ। कोशिश मंत्रिमंडल में फेरबदल एवं निगम-मंडलों में नियुक्तियां एक साथ करने की है, ताकि असंतुष्टों को कहीं न कहीं एडजस्ट किया जा सके। किसी को मंत्रिमंडल से हटाने की नौबत आए तो उसे निगम-मंडल में ले लिया जाए। इसके साथ संगठन में नियुक्तियों का काम अलग से होगा। यह सब कब तक होगा, इस बारे में पत्ते नहीं खोले गए हैं। हालांकि बैठक में क्या हुआ, यह भी कोई नेता बताने के लिए तैयार नहीं है।