देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की हलचल काफी तेज हो गई है. राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने घोषणा पत्रों के जरिए वोटरों से कई बड़े-बड़े वादे कर रही हैं. मतदाताओं को लुभाने के लिए नौकरी, मकान, शिक्षा और सुरक्षा जैसे वादे, तो पारंपरिक हो गए हैं. लेकिन कुछ राजनेताओं ने ऐसे वादे भी किए है जो सुनने में बेहद अजोबोग़रीब हैं.
तमिलनाडु के तिरुपुर क्षेत्र में एएम शेख दाऊद नामक एक निर्दलीय उम्मीदवार ने लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं से वादा किया था कि अगर “मैं सांसद बना, तो हर महीने हर एक परिवार को 10 लीटर ब्रांडी चिकित्सकीय इस्तेमाल के लिए दी जाएगी.” ख़बरों के अनुसार, इस उम्मीदवार ने हर परिवार को हर महीने 25,000 रुपए देने का भी वादा किया था.
दूसरी ओर राजस्थान के सोजत में शोभा चौहान नामक एक महिला उम्मीदवार ने मतदाताओं से वादा किया था कि वे उनकी परंपराओं के साथ समझौता नहीं होने देंगी. उन्होंने ही कहा था कि बाल विवाह हमारे क्षेत्र की परंपरा है, अगर वो जीत गईं, तो पुलिस को बाल विवाह रोकने की इजाजत ही नहीं मिलेगी.
विदेशी नेता की बात करे तो, वे भी मतदाताओं को लुभाने के लिए ऐसे वादे कर चुके हैं. साल 2018 में नेशनल इलेक्शन के दौरान जिम्बाब्वे की एक पार्टी ने अपने घोषणापत्र में पांच सालों के अंदर 1.5 मिलियन घर बनवाकर देने का वादा किया. जब इन नंबरों को पांच साल के समय को ध्यान में रखकर तोड़ा गया, तो पता चला कि इस टारगेट तक पहुंचने के लिए सरकार को रोजाना 822 घर बनाने होंगे, जो कि मुमकिन ही नहीं है.
अमेरिका के वरिष्ठ नेता न्यूट गिंगरिच अजीब वादों के मामले में बाजी मारते हुए सबसे आगे निकल गए थे. साल 2012 में राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में हिस्सा लेने के लिए इस नेता ने मतदाताओं से वादा किया कि वे साल 2020 तक चांद पर मकान बनाकर आबादी बसवा देंगे.