शहर में डेढ़ लाख आवारा कुत्तों की नसबंदी, नसबंदी के बाद विभाग करता है 2 से 3 दिन देखरेख

Suruchi
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आबिद कामदार

आवारा कुत्तों की नसबंदी कर इनके बर्थ कंट्रोल को लेकर सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। शहर की अगर बात करें तो इनके बर्थ कंट्रोल करने के लिए दो एजेंसिया कार्यरत है, इन बेजुबानों को किसी प्रकार कि कोई समस्या ना हो इसके लिए एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की गाइडलाइन और एबीसी प्रोग्राम के तहत इनका ऑपरेशन और अन्य चीजों का ध्यान रखा जाता है। यह प्रोग्राम शहर में जोन वाइस किया जा रहा है, अगर पिछले 4 सालों के आंकड़ों की बात करे तो विभाग द्वारा लगभग डेढ़ लाख कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है।

दो एजेंसियों के 4 डॉक्टर और 25 कर्मचारी है कार्यरत

कुत्तों की नसबंदी के लिए 4 वेटनरी डॉक्टर और लगभग 25 कर्मचारियों के साथ दो एजेंसियां कार्यरत है, जिसमें
रेडिस सोसाइटी फॉर एनिमल वेलफेयर देवास और सोसायटी फॉर एनिमल वेलफेयर रूरल डेवलपमेंट हैदराबाद शामिल है। जानवरों को दर्द से बचाने के लिए इन डॉक्टर के पास अत्याधुनिक मशीन है। वहीं दोनों कंपनी के पीकिंग और अन्य कर्मचारी की बात की जाए तो लगभग 25 कर्मचारी कार्यरत हैं।

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नसबंदी के बाद दो दिन रखा जाता है डॉक्टर की निगरानी में

संबधित जोन से शिकायत मिलने पर उन्हें लाया जाता है, उसके बाद डॉक्टर द्वारा इनकी नसबंदी की जाती है। ऑपरेशन के बाद दो दिन देखभाल की जाती है। जिसमें घाव के भरने तक उन्हें दवाई और मरहम पट्टी की जाती है, वहीं दो दिन तक खान पान में दुग्ध, दलिया, चिकन, चावल और अन्य चीजें दी जाती है।

टोल फ्री नंबर 311 पर शिकायत आती है

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लोगों की ज्यादातर शिकायत अपनी गली मोहल्ले से कुत्ते हटाने की शिकायत होती है, लेकिन उन्हें कानूनन रूप से हटाया नही जा सकता, उनकी नसबंदी करके उन्हें दोबारा वही छोड़ दिया जाता है। बर्थ कंट्रोल ऑपरेशन के बाद उसी जगह छोड़ा जाता है जहां से उन्हे उठाया गया था।

लोग एनिमल को लेकर जागरूक हुए है

विभाग के अधिकारी उत्तम यादव बताते है कि पहले कुत्ते हटाने को लेकर कई शिकायते आती थी लेकिन यह कानूनन रूप से गलत है, हम लोगों को जागरूक भी करते है वही लोगों में भी अब इन बेजुबानों के प्रति दया भाव दिखाई देता है। अभी हर महीने आती है 25 से 30 शिकायते आती है।

छोटी और बड़ी मिलाकर 6 गाडियां है लाने ले जाने के लिए।

कुत्तों को सावधानी पूर्वक लाने और ले जाने के लिए दोनों कंपनी के पास 6 गाडियां है, इनमें से कुछ गाडियां छोटी तो वहीं कुछ गाडियां बड़ी है। इन गाड़ियों में कुत्तों को लाने ले जाने के हिसाब से डिजाइन करवाया गया है।