इंदौर. कोविड के दौरान लोगों को स्टेरॉइड का डोज लंबे समय तक लेना पड़ा उसके दुष्परिणाम आज हमारे सामने बड़ी मात्रा में उभर कर आ रहे हैं। स्टेरॉइड के ज्यादा सेवन से ऑर्थोपेडिक की समस्या में इजाफा हुआ है अगर बात इसके आंकड़ों की करी जाए तो हर सप्ताह 5 से 7 केस ऐसे होते हैं जो एवैस्कुलर नेक्रोसिस से संबंधित समस्या को लेकर हमारे पास आते हैं। इसी के साथ आजकल हमारी लाइफ स्टाइल में बहुत ज्यादा बदलाव आया है अगर बात हमारे जॉब पैटर्न की करी जाए तो लगातार कई घंटों तक सीट पर बैठकर कार्य करने से कमर दर्द और गर्दन दर्द जैसी समस्याएं सामने आ रही है। वही सिडेंटरी लाइफस्टाइल, खानपान में बदलाव और व्यायाम कम होने के चलते, ऑस्टियोपोरोसिस , हड्डियों में कमजोरी और अन्य प्रकार की चीजें देखी जा रही है हमारे खान पान में अब कैल्शियम और मिनरल्स के प्रोडक्ट बहुत ज्यादा कम हो गए हैं वही फास्ट फूड का चलन काफी ज्यादा बढ़ गया है जो कि हमारे पूरे शरीर पर गलत प्रभाव डालता है। साथ ही सन एक्स्पोज़र की कमी की वजह से हम में विटामिन डी की भी कमी देखी जा रही है। जो समस्याएं पहले 50 साल की उम्र के बाद देखने को मिलती थी वह आजकल हमें अर्ली एज में देखने को मिल रही है साथ ही यह पहले के मुकाबले दोगुना रूप से सामने आ रही है। यह बात डॉक्टर प्रीतेश व्यास ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही व शहर के प्रतिष्ठित वी वन हॉस्पिटल में डायरेक्टर और मेडिकल ऑर्थोपेडिक सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सवाल. घुटने से संबंधित समस्या में कितने प्रतिशत बढ़त हुई हैं इसका क्या कारण है
जवाब. घुटने से संबंधित समस्या बहुत पहले से देखी जा रही है लेकिन इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि इसके कैस में बढ़त हुई है पहले जो घुटने से संबंधित समस्या हमें 40 की उम्र के बाद देखने को मिलती थी वह आजकल अर्ली एज में देखने को मिल रही है। इसके बढ़ते कारणों की अगर बात की जाए तो बढ़ता मोटापा बहुत ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी, हार्ड सर्फेस पर रनिंग करना और अन्य कारणों से इस प्रकार की समस्या देखी जाती है। आमतौर पर महिलाओं में पुरुष के मुकाबले यह समस्या ज्यादा देखी जाती है वही कई बार इसके जेनेटिक कारण भी होते। अगर इसके शुरुआती लक्षण की बात की जाए तो घुटनों में दर्द होना और धीरे-धीरे इसका बढ़ना इसके मुख्य कारण में से है। इन समस्याओं से बचने के लिए प्रि स्टेज में ही उसका ट्रीटमेंट करवाना ठीक रहता है वहीं भविष्य में इस प्रकार की समस्या से बचने के लिए हमें हमारे खानपान में कैल्शियम और विटामिन की मात्रा को बढ़ाना होगा साथ ही व्यायाम और जीवन शैली पर ध्यान देना होगा।
सवाल. हिप रिप्लेसमेंट से संबंधित समस्या कितने प्रतिशत बड़ी है इसका क्या कारण है
जवाब. कोविड-19 बाद से यह देखा गया है कि स्टेरॉयड के ज्यादा सेवन के चलते उसके साइड इफेक्ट के रूप में ई वैस्कुलर नैक्रोसिस जैसी समस्या देखने को सामने आ रही है। जिसमें कूल्हे में मौजूद बोल में ब्लड सप्लाई की कमी होती है इस वजह से ई वैस्कुलर नैक्रोसिस जैसी समस्या सामने आ रही है। इसी के साथ हिप रिप्लेसमेंट की समस्या अल्कोहल के ज्यादा सेवन और कूल्हे के आसपास के जॉइंट में कोई फ्रैक्चर की वजह से भी इस प्रकार के केस देखे जा रहे हैं। इसी के साथ यह भी देखा गया है कि सिकल सेल एनीमिया से संबंधित बीमारी के चलते भी इस प्रकार की समस्या देखने को सामने आ रही है। अगर इसके शुरुआती लक्षण की बात की जाए तो हिप में दर्द होना और वह घुटनों तक बना रहना शामिल है वहीं कई बार लोगों द्वारा घुटनों के दर्द को कमर के दर्द से जोड़ कर देखा जाता है जो कि सही नहीं है जब हमें कूल्हों के साथ हमारे जांघ और पेट के ज्वाइंट वाले फ्रंट हिस्से में अगर दर्द हो तो यह कूल्हे का कि समस्या का संकेतक होता है। इसे अर्ली स्टेज में डायग्नोसिस कर ठीक किया जा सकता है। अगर इसके आंकड़ों की बात की जाए तो इसमें 5 गुना तक की बढ़ोतरी देखने को सामने आ रही है।
सवाल. आज के दौर में ट्रॉमा से संबंधित किस प्रकार की समस्या सामने आ रही है क्या यह पहले के मुकाबले जानलेवा हुए हैं
जवाब. पहले के मुकाबले ट्रॉमा के केस में बहुत ज्यादा बदलाव आए हैं पहले जो केस आते थे उनमें गाड़ी से एक्सीडेंट होने पर व्यक्ति को मामूली चोट या एक दो हड्डी में फैक्चर जैसी समस्या देखने को सामने आती थे। लेकिन वर्तमान समय में यह बिल्कुल बदल गया है। हाई स्पीड वाहन चलाने के दौरान लोग हेलमेट और सीट बेल्ट का इस्तेमाल कम करते हैं इस वजह से कई बार एक्सीडेंट होने के चलते पॉलीट्रोमा और वाइटल इंजरी ट्रॉमा में डैमेज हो जाते हैं इसी के साथ कई पेशेंट की जान भी चली जाती। कई बार प्रायमरी केयर सही समय पर होने के चलते इन पेशेंट को बचाना संभव हो पाता है।
सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है
जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पूर्ण की इसके बाद मैंने एमएस ऑर्थोपेडिक एंड डीएनबी ऑर्थोपेडिक की पढ़ाई मुंबई के रेलवे एंड श्री लीलावती हॉस्पिटल से पूरी की। उसके बाद मुंबई से ज्वाइंट रिप्लेसमेंट और सिंगापुर के एनयूएच हॉस्पिटल से एडल्ट रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी में फेलोशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया। अपनी पढ़ाई कंप्लीट होने के बाद मैंने लीलावती हॉस्पिटल और मुंबई हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी उसके बाद मैं इंदौर आ गया यहां पर मैंने ग्रेटर कैलाश हॉस्पिटल, ग्लोबल एसएनजी हॉस्पिटल और अन्य जगह अपनी सेवाएं दी है अभी वर्तमान में मैं शहर के प्रतिष्ठित वि वन हॉस्पिटल में मेडिकल डायरेक्टर और ऑर्थोपेडिक सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।