नवरात्री 2020 : 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। नवरात्री के नो दिनों में माता रानी के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा होती है। इन नो दिनों के दौरान भक्त उनकी विशेष कृपा पाने लिए नौ दिनों तक पूजा पाठ एवं फलाहारी उपवास करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार,नवरात्री में देवी माँ को उन्हें उनका प्रिय भोग अर्पित करके प्रसन्न कर सकते हो और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते है।आइए जानते हैं इसके बारे में….
नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। प्रथम दिन माता रानी को गाय के दूध से बनी सामग्री अर्पित की जाएगी और न्हें गाय के दूध से बनी मिष्ठान का भोग भी लगाया जाएगा।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्माचारिणी की पूजा होती है।दूसरे दिन माता ब्रह्माचारिणी को चीनी का भोग लगाया जाता है।
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा पाठ एवं उपासना होती है। तीसरे दिन माता रानी प्रसन्न करने के लिए घी का भोग लगाया जाता है।
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा होती है। माता कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि माता रानी को मालपुआ बहुत पसंद है।
नवरात्रि के पाँचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है। मां स्कंदमाता को केला बहुत पसंद है इसलिए भक्त उन्हें केला का भोग लगते है।
नवरात्रि की छटवे दिन को मां नव दुर्गा के स्वरुप मां कात्यायनी की पूजा होती है। मां स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए शहद का भोग लगाया जाता है।
नवरात्रि की सातवे दिन मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना होती है। सातवे दिन माता रानी कोको गुड़ का भोग लगाया जाता है।
नवरात्रि की आठवा दिन माँ महागौरी का होता है। माता रानी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें नारियल चढ़ाया जाता है।
नवरात्रि का अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। मां सिद्धिदात्री को लाई बहुत पसंद है एवं उनको इसी का भोग लगाया जाता है ।