शरद पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व बताया गया है। हिन्दू धर्म के अनुसार ऐसे मान्यता है की इस दिन जो भी व्रत रखता हिअ उसकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि आज के दिन चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है। और इस शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा , माता लक्ष्मी और भगवा विष्णु की पूजा का विधान है।
ऐसा मन जाता है कि मॉनसून के पूरी तरह चले जाने के बाद साफ पूर्णिमा का चांद और साफ आसमान दिखना ही शरद पूर्णिमा का प्रतीक है। ऐसा कहा जाता है की इस दिन को बहुत ही शुभ और सकारात्मक मानते है और इस दिन छोटे छोटे उपाय करने से बड़ी बड़ी समस्याए टाल जाती है।
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
इस बार शरद पूर्णिमा में अमृतसिद्धि योग बन रहा है। और शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर 2020 शुक्रवार की शाम में 17:45 से शुरू होकर अगली रात 20:18 बजे (31 अक्टूबर 2020) पर खत्म होगी। 30 अक्टूबर 2020 शु्क्रवार के दिन मध्यरात्रि में अश्विनी नक्षत्र रहेगा. साथ ही इस दिन 27 योगों के अंतर्गत आने वाला वज्रयोग, विशिष्ट करण तथा मेष राशि का चंद्रमा रहेगा।
शारद पूर्णिमा पर पूजा विधि
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी बर्ह्म मुहूर्त में उठ कर किसी पवित्र नदी में स्नान करे।फिर एक चौकी में लाल कपडा बिछाये उसके बाद उस चौकी में माँ लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो की स्थापना करे। फिर माँ लक्ष्मी को सुगंधित चीजें जैसे लाल फूल, नैवेद्य, इत्र समर्पित करे। फिर देवी माँ का सूंदर वस्त्र एवं आभूषण से श्रंगार करे। मां लक्ष्मी का आह्वान करें और उनकी पूजा करे।
फिर माँ लक्ष्मी के मन्त्र और उनका चालीसा का पाठ करे। पाठ पूर्ण होने के बाद माँ की आरती करे एवं लक्ष्मी को खीर का भोग लगाए। और फिर किसी ब्राह्मण को खीर ज़रूर दान करे।