नितिनमोहन शर्मा
फिर इन्दौर की सड़क पर वो नज़ारा देखने को मिला…जिसे देख देखकर अब मूल इंदोरियो का धैर्य जवाब देने लगा हैं। नशे में धुत लड़की ने जमकर उत्पात मचाया। पुलिस को भी कुछ नही समझा। परबस पुलिस उसकी इज्ज़त ढक रही थी और वो उगाड़ रही थी। खुद की इज्जत भी ओर पुलिस की भी। मौके पर पहुंची महिला पुलिस ने जैसे तैसे इस मोहतरमा को सम्भाला और मौके से रवाना किया। बॉयफ्रेंड पर केस दर्ज हुआ।
‘नशेड़ी बाई’ इतना उत्पात मचाने के बाद भी रवाना हो गई। बताते है वो हरियाणा की थी पर ‘काला मुंडा’ तो इन्दौर का कर गई न? इसके कुछ देर पहले ऐसी ही तीन अन्य नशेबाज लड़कियों में मारपीट भी हुई। ये उस मारपीट से अलग थी जिसमे मारने वाली लड़कियों को गिरफ़्तार कर कैमरे के सामने लाया गया था। वो घटना एमआईजी चौराहे पर सरेराह घटी थी और इंदौर की खूब छीछालेदर हुई थीं। ताज़ा मारपीट वाली तीन लड़कियों का क्या हुआ, कुछ पता नहीं। हंगामा कर घर जाकर सो गई होगी ताकि दूसरे दिन की ‘रात’ के लिए फिर रिचार्ज हो जाये?
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ऐसी ‘विष कन्याओं’ का नशे का जहर थानों में ही क्यो नही उतारा जाता? पब से बाहर आने के बाद नंगाई पर उतरने वाली इन विष कन्याओं का नशा हवालात में उतरना चाहिए। कोई तो धारा होगी न जो इस तरह की हरकत पर दो पांच दिन सलाखों के पीछे बिताने को मजबूर कर दे। तभी तो इनको अहसास होगा कि रात की शराब, सुबह कितनी खराब हो जाती है।
आप हम अदब से पेश आ रहे हैं कि ‘लड़की जात’ है। पर ये ‘लड़की जात’ तो कुछ समझ ही नही रही। तो फिर इसे उसके बॉयफ्रेंड के साथ ‘स्वजातीय’ बना दो न। अपराध की सजा में बराबर से भागीदार बनाओ न। गुजरने दो न कुछ राते हवालातो में। जेल भिजवाने के बंदोबस्त भी कीजिये। करवाने दो न इनको भी कोर्ट से जमानतें। रात की रंगीनियत में चमकने और चमकाने वालियों को दिन के उजाले में मुंह छुपाने दो न। तब ही तो पता चलेगा कि रात को क्या गुल खिलाये थे।
आप हम सबका अदब…हम सबका मज़ाक बन रहा है। पुलिस अदब से पेश न आये तो अलग से बवाल। ज्यादातर तो बिगड़ैल औलादे तो पैसे वालो की है। या किसी रसूखदार की। उन परिवारों की भी जिनके लिए ये खुलापन आधुनिकता की निशानी है। इनकी कथित आधुनिकता पर शहर की शांत-शालीन ओर सुसंस्कृत तासिर क्यो दांव पर लगे?
रात के लिए तेजतर्रार महिला पुलिस का अलग से दस्ता बनाया जाए। ये दस्ता मौके पर तुरंत पहुंचे और इन विष कन्याओं का सही ‘ट्रीटमैंट’ आन द स्पॉट तो करे। किसी को मौके से न छोड़ा जाए। कानून का सामना ओर सम्मान सीखाया जाए। इन दस्तों को केवल उसी 10-15 किमी के हिस्से में तो तैनात रखना है जो शहर के कर्णधारों में नाईट लाइफ के नाम पर खोला है जो इन सब सन्तापो की जड़ बनता जा रहा है। कल भी महिला पुलिस को मौके पर पहुचने में 15 मिनिट लग गए। जब तक पुरूष पुलिसकर्मियों को नशेड़ी युवती की बदतमीजी स्वीकार करना पड़ी। मौके पर अफसर ने भी इसे महसूस किया और सम्बंधित थाने को फटकार भी खाना पड़ी।
वक्त आ गया है कि हमे उनकी फिक्र करना बंद करना होंगी जिन्हें स्वयं की लोकलाज की चिंता नही। कीजिये ऐसी युवतियों को उज़ागर जो पब से बाहर आकर विष कन्या बन रही है और शहर की इज्ज़त से खेल रही है। हंगामा करने वाली, अश्लीलता फैलाने वाली लड़कियों को कानून की धाराओं का पाठ पढ़ाना लगता है जरूरी है? इससे सब सुधर जायेगा…संभव नही पर ये अहसास तो रहेगा कि इन्दौर में रात को शराब पीकर उत्पात मचाने वाले लड़के ही नही, लड़कियों को भी पुलिस नही छोड़ती। दो पांच दिन तक जमानत भी नही देने देती….शायद कुछ दहशत कायम हो…विषकन्याओं पर..!!!