Bhopal : झाबुआ के तत्कालीन कलेक्टर, जिला पंचायत के सीईओ, और अन्य छह अफसरों को लोकायुक्त कोर्ट ने मनरेगा और समग्र स्वच्छता अभियान में प्रिंटिंग सामग्री के अधिक भुगतान के आरोप में शनिवार को चार-चार साल की जेल की सजा सुनाई है। साथ ही सरकारी प्रेस के दो तत्कालीन अफसरों को बरी कर दिया है।
क्या हैं पूरा मामला जानें
मामले का आरंभ मेघनगर के प्रिंटर राजेश सोलंकी द्वारा किया गया, जिन्होंने आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर लोकायुक्त पुलिस इंदौर से की थी। उन्होंने यह आरोप लगाया कि अगस्त से नवंबर 2008 के बीच प्रिंटिंग का काम भोपाल के राहुल प्रिंटर्स को 33.54 लाख का भुगतान करके किया गया, जबकि यह काम 5.83 लाख में हो सकता था।
इस मामले में शिकायत के आधार पर, तत्कालीन कलेक्टर, सीईओ, और अन्य अफसरों की भूमिका का विश्लेषण किया गया। सरकारी प्रेस के दो अफसरों को बरी कर दिया गया, जबकि दूसरे अफसरों को चार-चार साल की सजा सुनाई गई।
आरोपियों को जमानत नहीं मिलने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि मामले की तर्ज पर कोर्ट की कार्रवाई में समय लग जाना और अफसरों के पास जमानत के लिए पर्याप्त आधार नहीं था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पूर्व अफसरों को अंदेशा नहीं था कि उन्हें इतनी सजा मिलेगी।
इन अधिकारियों को सुनाई गई सजा
जगदीश शर्मा, तत्कालीन कलेक्टर
जगमोहन, तत्कालीन सीईओ, जिपं
नाथूसिंह, तत्कालीन परियोजना अधिकारी (तकनीकी)
अमित, तत्कालीन जिला समन्वयक (अभी इंदौर नगर निगम के स्वच्छता अभियान में कंसलटेंट)
सदाशिव, तत्कालीन वरिष्ठ लेखाधिकारी, जिला पंचायत
आशीष, तत्कालीन लेखाधिकारी, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, जिला पंचायत
मुकेश, राहुल प्रिंटर्स के मालिक, भोपाल