SC ने दिवालिया, फ्रीबीज, माइनिंग जैसे कई अहम मुद्दों पर सुनाया फैसला

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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमणा के कार्यकाल का आज आखिरी दिन है। जस्टिस यू यू ललित देश के नए सीजेआई होंगे। कार्यकाल के आखिरी दिन सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 5 अहम मामलों पर फैसला सुनाया। सीजेआई की बेच ने फ्रीबीज, 2007 गोरखपुर दंगे, कर्नाटक माइनिंग, राजस्थान माइनिंग लीजिंग और बैंकरप्सी केस में फैसला सुनाया। खास बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की पहली बार लाइव स्ट्रीमिंग भी की गई।

SC ने कर्नाटक के 3 जिलों में लौह अयस्क उत्पादन सीमा बढ़ाई

SC ने कर्नाटक के 3 जिलों में लौह अयस्क उत्पादन सीमा बढ़ा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने चित्रदुर्ग और तुमकुरु जिलों के लिए वार्षिक लौह अयस्क उत्पादन सीमा 7 MMT से बढ़ाकर 15 MMT कर दी. वहीं, बेल्लारी के लिए लिमिट 28 एमएमटी से 35 एमएमटी कर दी।

SC ने ‘फ्रीबीज’ केस को 3 जजों की बेंच के पास भेजा

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में मुफ्त सुविधाओं के वादे के मामले को 3 जजों की बेंच के पास पुर्नविचार के लिए भेज दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि चुनावी लोकतंत्र में असली ताकत मतदाताओं के पास होती है। वोटर ही पार्टियों और उम्मीदवारों का फैसला करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इस मसले पर विशेषज्ञ कमेटी का गठन सही होगा. लेकिन उससे पहले कई सवालों पर विचार जरूरी है। 2013 के सुब्रमण्यम बालाजी फैसले की समीक्षा भी जरूरी है। हम यह मामला 3 जजों की विशेष बेंच को सौंप रहे हैं. इस मामले में 2 हफ्ते बाद सुनवाई होगी।

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SC ने योगी को दी राहत

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा चलाने की अनुमति देने से मना कर दिया। राज्य सरकार ने मई 2017 में इस आधार पर अनुमति से मना कर दिया था कि मुकदमे में सबूत नाकाफी हैं। 2018 में इलाहाबाद हाई कोर्ट भी इसे सही ठहरा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि चुनावी लोकतंत्र में असली ताकत मतदाताओं के पास होती है। वोटर ही पार्टियों और उम्मीदवारों का फैसला करते हैं।

दिवालिया कानून

सुप्रीम कोर्ट एबीजी शिपयार्ड के आधिकारिक परिसमापक द्वारा राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका पर फैसला सुनाएगा। कोर्ट फैसला करेगा कि क्या एक सफल बोलीदाता द्वारा भुगतान के लिए भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) द्वारा प्रदान किए गए 90 दिन की खिड़की में परिसमापन विनियम 2016 के परिसमापन प्रक्रिया विनियम पूर्वव्यापी रूप से लागू होंगे। क्या उन मामलों में भी जहां परिसमापन प्रक्रिया 2019 में संशोधित दिशानिर्देशों के प्रभावी होने की तारीख से पहले शुरू हुई थी।

राजस्थान माइनिंग लीज केस

सुप्रीम कोर्ट 2016 के राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ राजस्थान सरकार की अपील पर फैसला सुनाएगा, जिसने अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी को भूमि में अपना चूना पत्थर खनन पट्टा जारी रखने की अनुमति दी थी। राज्य सरकार का दावा है कि वहां “जोहड़” या जल निकाय था। पिछले हफ्ते अदालत के समक्ष बहस के दौरान, राजस्थान सरकार ने तर्क दिया कि जिस क्षेत्र में चूना पत्थर की खदान स्थित है वह एक “मौसमी जल निकाय” है जो वर्षा जल एकत्र करता है। जल निकाय कई वर्षों से सूखा पड़ा है क्योंकि इस क्षेत्र में वर्षा नहीं हुई है। हालांकि, यदि खनन की अनुमति दी जाती है, तो वर्षा होने की स्थिति में आसपास के क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन गड़बड़ा जाएगा।

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कर्नाटक माइनिंग केस

कर्नाटक में लौह अयस्क खदानों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन के कारण 2009 में एक एनजीओ समाज परिवर्तन समुदाय ने जनहित याचिका दायर की थी। जिसके बाद खनन को बंद कर दिया गया था. हालांकि 2013 में कड़ी शर्तों के तहत कुछ खानों को फिर से खोलने की अनुमति दी गई और लौह अयस्क और छर्रों के निर्यात पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया।

शीर्ष अदालत में विभिन्न खनन कंपनियों द्वारा लौह अयस्क के निर्यात पर एक दशक पुराना प्रतिबंध और लौह अयस्क के खनन पर जिला स्तर की सीमा हटाने के लिए कई याचिकाएं दायर की गई थीं। खान मंत्रालय ने कर्नाटक के बाहर लौह अयस्क के निर्यात की अनुमति देने की मांग का समर्थन किया है। सरकार की ओर से तर्क दिया है कि देश को 192 मिलियन टन से अधिक लोहे की आवश्यकता है, लेकिन लगभग 120 मिलियन टन का उत्पादन होता है।

2007 गोरखपुर दंगा मामला

सुप्रीम कोर्ट 2007 के गोरखपुर दंगों में सीएम योगी आदित्यनाथ और अन्य के खिलाफ कथित भड़काऊ भाषण के आरोप में मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार करने वाली यूपी सरकार को चुनौती देने वाली याचिका पर आज अपना फैसला सुनाएगा। इस मामले में चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 24 अगस्त को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

शीर्ष अदालत में इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है। जिसमें एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा कथित भड़काऊ भाषण की जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था। इस मामले में राज्य सरकार ने पिछले साल आदित्यनाथ योगी को अभियुक्त बनाने से ये कहकर मना कर दिया था और कहा था कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं।

बता दें, 11 साल पहले 27 जनवरी 2007 को गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। इस दंगे में दो लोगों की मौत और कई लोग घायल हुए थे। इस दंगे के लिए तत्कालीन सांसद व मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ, विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और गोरखपुर की तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी पर भड़काऊ भाषण देने और दंगा भड़काने का आरोप लगा था। कहा गया था कि इनके भड़काऊ भाषण के बाद ही दंगा भड़का था।

मुफ्त चुनावी घोषणाएं 

सीजेआई एनवी रमना, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की बेंच राजनीतिक दलों द्वारा इलेक्शन फ्रीबीज पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर फैसला सुनाएगी। जिससे मतदाताओं को लुभाने और राज्य का बजट घाटा बढ़ाने पर प्रभाव पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका दिल्ली बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। इससे देश में एलेक्शन फ्रीबीज पर बड़ी बहस शुरू कर दी है। बीते बुधवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए CJI ने राजनीतिक दलों से पूछा था कि मुफ्त को कैसे परिभाषित किया जाए।