शनि को न्याय और कर्मफल का देवता माना जाता है। शनि को प्रसन्न करके व्यक्ति जीवन के कष्टों को कम कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि जब भी कभी ग्रहों में किसी तरह का कोई बदलाव होता है तो इसका सीधा असर हमारी राशि पर पड़ता है। जिस वजह से कुंडली पर शनि बैठ जातें हैं और ऐसे में व्यक्ति के जीवन में दुख भी आ सकते हैं तो खुशियां भी आ सकती हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार शनि के नाराज होने से व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर पड़ता है। शनिदेव प्रसन्न होते हैं तो बिगड़े हुए काम बन जाते हैं और सफलता भी प्राप्त होती है।
शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या
इस वर्ष शनि का राशि परिवर्तन नहीं होगा। जिस कारण से पूरे वर्ष शनिदेव मकर राशि में ही विराजमान रहेंगे। धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती और मिथुन और तुला राशि पर चल रही है।
धनु राशि पर साढ़ेसाती
धनु राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का आखिरी चरण चल रहा है। शनि की साढ़ेसाती किसी राशि पर तीन चरणों में आती है। पूरी तरह से साल 2023 में धनु राशि पर से शनि की साढ़ेसाती खत्म हो जाएगी।
मकर राशि पर साढ़ेसाती
मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है। 2025 में मकर राशि से शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव खत्म हो जाएगा। शनि जब मीन राशि में गोचर करेंगे तब मकर राशि के जातकों को शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव से मुक्ति मिलेगी।
कुंभ राशि पर साढ़ेसाती
शनि के मकर राशि में गोचर करने के कारण कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण चल रहा है। कुंभ राशि पर साढ़ेसाती होने की वजह से कई तरह की परेशानियां पीछा करती हैं। कुंभ राशि से पूरी तरह शनि की साढ़ेसाती 23 जनवरी 2028 को हटेगी।