आज गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन है। ऐसे में आज महाविद्या तारा देवी की पूजा अर्चना की जाती है। महाविद्या तारा देवी को मां काली का स्वरुप माना गया है। वहीं तारा देवी को श्मशान की देवी भी कहा जाता है। इसलिए तारा देवी नर-मुंड की माला पहनती हैं। साथ ही इन्हें तंत्र शास्त्र की देवी माना गया है।
इसलिए कहा जाता है कि आज के दिन मां तारा की पूजा अर्चना और व्रत करने से लोगों के सभी कष्ट दूर होते है। बता दे, तारा देवी के 3 रूप हैं- उग्र तारा, एकजटा और नील सरस्व। इन गुप्त नवरात्रों में दुर्गा मां की दस विद्या कही जानी वाली शक्तियों के विशेष पूजन का विधान है। आइए जानते हैं इन दस महाविद्याओं के बारे में।
काली मां
मां दुर्गा की दस विद्याओं का पहला रूप मां काली का है। इनका विस्तार से वर्णन कालिका पुराण में मिलता है। काली मां स्वभाव से उग्र हैं और राक्षसों का वध करने के लिए हाथ में त्रिशूल और तलवार धारण करती हैं। इनकी आराधना शुक्रवार और अमावस्या के दिन करने का विधान है।
तारा मां
भक्तों को संकटों से तारने के कारण मां के इस रूप को तारा कहा जाता है। इनका सबसे पहले पूजन वशिष्ठ ऋषि ने किया था। तंत्र साधना की मुख्य देवी हैं। इनका शक्ति पीठ बंगाल के वीरभूमि जिले में है और एक शक्ति पीठ शिमला में भी स्थित है।
मां त्रिपुर सुंदरी
पुराणों के अनुसार मां त्रिपुर सुंदरी की चार भुजाएं और तीन नेत्र हैं, इनका शक्ति पीठ त्रिपुरा में है। इन्हे ललिता देवी या राज राजेस्वरी के नाम से भी जाना जाता है। गुप्त नवरात्र में रुद्राक्ष की माला से मां के ऐं ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम: मंत्र का जाप करने से सिद्धि की प्राप्ति होती है।
भुवनेश्वरी माता
माता भुवनेश्वरी की आराधना विशेष रूप से पुत्र प्राप्ति के लिए की जाती है। इन्हें शताक्षी और शाकम्भरी के नाम से भी जाना जाता है। भुवनेश्वरी मां की आराधना करने से सूर्य के समान तेज की प्राप्ति होती है। इनकी सिद्धि मंत्र- ह्नीं भुवनेश्वरीयै ह्नीं नम: है।
मां छिन्नमस्ता
नाम के अनुरूप छिन्नमस्ता मां का सिर कटा हुआ है, जिससे रक्त की तीन धार निरंतर बहती रहती है। जिसे स्वयं मां छिन्नमस्ता और अन्य दो देवियां पीती रहती हैं। मां की पूजा उग्र और शांत दोनों स्वरूप में की जाती है। इनका शक्तिपीठ रांची में है।
मां भैरवी
भैरवी मां की उपासना से व्यक्ति सभी बंधनों और कष्टों से मुक्ति मिलती है। मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। मां भैरवी की पूजा से व्यापार में बढ़ोतरी और धन सम्पदा की प्राप्ति होती है। इनकी आराधना का मंत्र- ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा: है।
धूमावती मां
धूमावती मां अभाव और विपन्नता दूर करने वाली माता हैं। ये प्रलय काल में भी धूम्र के रूप में स्थित रहती हैं।इन्हें ही ऋग्वेद में ‘सुतरा’ कहा गया है। इनके पूजन का सिद्ध मंत्र- ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा: है।
बगलामुखी मां
मां बगलामुखी की साधना करने से शत्रु विजय की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि महाभारत काल में श्रीकृष्ण और अर्जुन ने भी कौरवों पर विजय हासिल करने के लिए बगलामुखी मां की पूजा अर्चना की थी।
मातंगी माता
मतंग भगवान शिव का एक नाम है, उनकी शक्ति को मातंगी माता के नाम से जाना जाता है। मातंगी महाविद्या की आराधना से खेल-कूद, कला और संगीत और रचनात्मक जगत में सफलता मिलती है। इनकी पूजा का मंत्र है – ऊँ ह्नीं ऐ भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:।
मां कमला
मां कमला का स्वरूप लक्ष्मी जी के समान है। इनकी साधना से धन- समृद्धि,अच्छी पत्नी तथा पुत्र की प्राप्ति होती है। इनकी साधना का मंत्र है- हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:।