गौरीशंकर दुबे.
सीएसपी (कनाड़िया) संतोषकुमारसिंह तोमर (एसकेएस) खजराना की गली -गली मोहल्ले में दिन से देर रात तक कोरोना से बचने की जानकारी ताला बंदी के दिनों से लेकर अब तक देते आ रहे हैं। जब कभी वे किसी घर के सामने से गुजरते हैं, तो ओंटेले पर बैठे पुरुषों और घर के द्वार पर खड़ी महिलाएं उन्हें राम राम कहकर एक कप चाय के लिए रोक लेते हैं। एसकेएस फख्र से कहते हैं -इतने सयंमी लोग मैंने कहीं नहीं देखे। आज इन्हीं के सहयोग और समर्पण का परिणाम है कि जिस कोरोना ने खजराना में सबसे पहले डेरा डाला था, वो आज कोरोना मुक्त हो गया है। बकरईद की तैयारी के सिलसिले में उन्होंने तय किया है कि लोग सामाजिक दूरी का पालन करके त्यौहार मनाएंगे। लोगों ने हामी भी भर दी है। एसकेएस तोमर के जवाब:
– एक पॉजिटिव कोयला बाखल से खजराना आ गया, उसने परिवार के सत्रह लोगों को संक्रमित किया। उज्जैन से एक महिला खजराना मायके आई, उसने भी संक्रमण फैलाया। हमने तंजीम नगर और दाऊदी नगर को कंटेनमेंट एरिया बनाकर जगह जहग टेस्टिंग कराई। जिस जिस जगह खंबे बल्ली गाढ़े, रमजान के दिनों में तक लोगों ने उसे पार करने की कोशिश नहीं की। यहां के लोग अपने घर का डिब्बा खाली कर औरों को खिलाने का दम रखते हैं। नगर सुरक्षा समिति सदस्यों ने लगातार अठारह अठारह घंटे काम किया। पार्षद रुबीना इकबाल खान. उस्मान पटेल और सुनील पाटीदार ने राशन पानी की पूर्ति की। रोजाना एक हजार खाने के पैकेट आते थे, जिसमें से एसडीएम सोहन कनास, एडिशनल एसपी राजेश रघुवंशी, मैं टीआई संतोषसिंह यादव भी खाते थे। हमने लाउड स्पीकर पर कहा कि किसी को कोई भी दिक्कत हो, तो कहें हम उसे दूर करेंगे। लोगों ने हमारी बात मानी और घर से नहीं निकले। हमने पुलिस बनकर नहीं, परिवार का बनकर काम किया, इसीलिए चंदन नगर, पंढरीनाथ, रानीपुरा और आजादनगर की तरह यहां पुलिस पर पथराव नहीं किया गया।
– मैं खुद महालक्ष्मी नगर स्थित घर में अलग कमरे में रहता हूं। कपड़े धोने से लेकर घर की सफाई तक खुद कर रहा हूं। लोगों को बताया कि मॉस्क पहनने, हाथ धोने, सामाजिक दूरी बनाए रखने का क्या महत्व है। शुरुआत में सीएए और एनआरसी के कारण लोगों को लग रहा था कि पेशेंट बताकर हमें निशाना बनाया जा रहा है। नगर निगम, जिला प्रशासन, स्थानीय नेताओं, पुलिस विभाग के माध्यम से विश्वास में लेकर रूहानी तरीके से समझाया कि हमें आपको घर में बैठाकर क्या फायदा। हम आपकी जान बचाने के लिए यह सब कर रहे हैं। पढ़े लिखे के बजाय अक्षर ज्ञानी या अनपढ़ हमारी बात को जल्दी समझ जाते हैं, क्योंकि वे बात मानते हैं,
बहस नहीं करते।
– शुरुआत में खजराना में जानें गईं, लेकिन पॉजिटिवों में तीन सौ का आंकड़ा नहीं बढ़ा। अब केवल 58 लोग हैं, जिनका इलाज चल रहा है। नई टेस्टिंग में भी निगेटिव और निगेटिव नतीजे हैं।
– टीआई संतोषसिंह यादव जब पॉजिटिव पाए गए, तो मैं उसी दिन उनके साथ गाड़ी में बैठा था। मेरी रिपोर्ट निगेटिव आई। यादव वीर हैं। उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों ने मना किया, तो भी वे अस्पताल से सीधे थाने काम पर आ गए।
– बकरईद के लिए हम एक बजाय तीन जगह बकरों की मंडी लगा रहे हैं। कलेक्टर मनीष सिंह के आदेश का पालन करेंगे और कराएंगे। खजराना के लोग बहुत समझदार हैं। जानते हैं कि शांति का मार्ग ही सर्वश्रेष्ठ है।