अरविंद तिवारी
• प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अभी भले ही पूरी ताकत झोंक दी हो लेकिन इस बात का जवाब उनके लिए शायद मुश्किल होगा कि पिछले साल की मार्च से जुलाई तक की स्थिति से सबक लेते हुए सरकार ने भविष्य के लिए क्या योजना बनाई थी। चाहे इंदौर और भोपाल जैसे महानगरों के अस्पतालों में अतिरिक्त बेड का मामला हो, ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाने या फिर इस गंभीर बीमारी की लाइफ सेविंग ड्रग्स रेमडेसिविर की समय पर उपलब्धता, सरकार से सवाल किए जाने लगे हैं। दरअसल, लोगों के साथ सरकार ने भी यह मान लिया था कि कोरोना अब गया। और इसी के चलते शिवराज ने भी इस से नजर हटा ली थी और उनके एजेंडे से ये विषय गायब हो गए थे।
• मध्यप्रदेश कांग्रेस में दिग्विजयसिंह का नया प्लान अब अपने बेटे जयवर्द्धन के लिए ‘टीम-राहुल गांधी’ में जगह बनाना है। इसके लिए बाकायदा दिग्विजय ने दिल्ली में गोटियां बैठना शुरू कर दिया है। जेवी को लेकर दिग्विजय बहुत जल्दी में नहीं हैं, इसीलिए वे आहिस्ता-आहिस्ता राजनीतिक चौसर जमा रहे हैं। माना यह भी जा रहा है कि दिग्विजय ये समझ चुके हैं कि 2023 तक कमलनाथ प्रदेश की राजनीति से अपनी पकड़ छोड़ने को तैयार नहीं हैं, लिहाजा राघौगढ़ के राजा ने अपने बेटे की राजनीति का ‘प्लान-बी’ तैयार कर लिया है। वे चाहते हैं कि जयवर्द्धन मध्यप्रदेश में सक्रियता के साथ दिल्ली में राहुल गांधी के इर्द-गिर्द भी नज़र आएं। जेवी को राहुल के ऑर्बिट में मजबूत करने का जिम्मा उन्होंने कनिष्क सिंह और भंवर जितेंद्र सिंह को सौंपा है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी दिग्गी राजा की इस योजना में मदद कर रहे हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि राहुल गांधी की टीम में जितिन प्रसाद, गौरव गोगोई, सुष्मिता देब, आरपीएन सिंह जैसे नेता पुत्र-पुत्रियों की जमात में जल्दी ही जयवर्द्धन भी नज़र आने लगें….।
• कांग्रेस के कद्दावर लीडर महेश जोशी को याद किए बिना यह कॉलम अधूरा रहेगा। बहुत कम लोगों को मालूम है कि महेश भाई की खेलों में जबरदस्त रुचि थी। मध्य प्रदेश फुटबॉल और कबड्डी एसोसिएशन में अहम भूमिका में रहने के साथ ही वह मध्य प्रदेश ओलंपिक एसोसिएशन के भी अध्यक्ष रहे। 82 के दिल्ली एशियाड के साथ ही अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में खेल प्रशासक के रूप में उनकी सहभागिता रही। एक और खास बात यह है कि अपने भोपाल स्थित निवास पर महेश भाई हर साल ग़ज़ल की एक महफिल सजाते थे और इसमें देश के ख्यात ग़ज़ल गायक शिरकत करते थे। वह इस कार्यक्रम में पाकिस्तान की ख्यात ग़ज़ल गायिका रेशमा को भी लेकर आए थे।
• गुजरात की एक कंपनी से जब मध्य प्रदेश में काम देने के एवज में एडवांस पैसा मांगा गया तो कंपनी के कर्ताधर्ता ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दरबार में दस्तक दे दी। वहां से जिस अंदाज में बात भोपाल पहुंची उसके बाद प्रदेश भाजपा के एक जिम्मेदार पदाधिकारी ने संबंधित विभाग के मंत्री और उनके परिवार के एक सदस्य को भाजपा कार्यालय तलब कर सख्त हिदायत डे डाली। मंत्री जी से स्पष्ट तौर पर कहा गया कि यह सब यहां चलने वाला नहीं है। कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद भी अपना मंत्री पद बरकरार रखने में सफल रहे मंत्री जी को यह समझते देर नहीं लगी कि आखिर किस कारण उनके कान पकड़े गए।
• मध्यप्रदेश में सालों से पंचायत और ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण महकमे की कमान अपर मुख्य सचिव स्तर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के पास रही है। मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद हाल ही मनोज श्रीवास्तव को इस विभाग से बेदखल कर अब इसका जिम्मा एक अलग पहचान रखने वाले अफसर उमाकांत उमराव को सौंपा गया। उमराव प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी हैं और यह माना जा रहा है कि जिस अंदाज में उन्होंने सहकारिता विभाग में काम कर वहां के ढर्रे को सुधारा, उसी से प्रभावित होकर मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने एक राय से उन्हें उनके अच्छे काम के लिए पुरस्कृत किया।
• काफी समय से खाली पड़े रीवा के संभाग आयुक्त पद पर रविंद्र सिंह की पदस्थापना लगभग तय मानी जा रही थी लेकिन मौका मिला विदिशा में कलेक्टर रह चुके अनिल सुचारी को। दरअसल रविंद्र सिंह की पोस्टिंग के आर्डर जारी होने ही वाले थे तभी उच्च स्तर पर तय हुआ कि रीवा में किसी ब्राह्मण या ठाकुर अधिकारी को कमान न सौंपी जाए। इसी चक्कर में रविंद्र सिंह का नाम उड़ गया। कई और अफसर भी आयुक्त पद के लिए कतार में थे लेकिन वे देखते रह गए, फैसला सुचारी के पक्ष में हुआ। उन्हें वहां अपर आयुक्त बनाकर भेजा गया है और आयुक्त का प्रभार भी सौंपा गया है। सुचारी ने पहले विदिशा कलेक्टर के रूप में और बाद में गृह विभाग में अपर सचिव के रूप में अच्छा परफारमेंस दिया। मुख्य सचिव उनके कामकाज से बहुत खुश थे और उन्हें हाथों हाथ इनाम भी दे दिया।
• रिटायरमेंट के 21 दिन पहले सारे महत्वपूर्ण प्रभार छीन कर सरकार ने यह संकेत तो दे ही दिया है कि वरिष्ठ आईएएस अफसर मनोज श्रीवास्तव के लिए अब सारे रास्ते बंद। श्रीवास्तव को सेवानिवृत्ति के पहले ऐसे तगड़े झटके की उम्मीद नहीं थी। कहा यह जा रहा है कि मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और श्रीवास्तव के रिश्तो में खटास बहुत पुरानी है। कमलनाथ के मुख्यमंत्रीत्वकाल में बैंस को एक के बाद एक कई झटके मिले लेकिन दिग्विजय सिंह के सहारे श्रीवास्तव वजनदार विभाग में बने रहे। कहा यह जा रहा है मुख्य सचिव मुख्यमंत्री को यह समझाने में कामयाब रहे हैं कि ऐसे किसी अफसर को उपकृत करने का कोई मतलब नहीं जिसकी निष्ठा समय-समय पर बदलती रही। उनका यह दांव सही भी बैठ गया।
• पुलिस मुख्यालय में इन दिनों एक रंगीन मिजाज आला अफसर की बड़ी चर्चा है। दरअसल यह आईपीएस अफसर दो नावों पर सवारी के चक्कर में बुरे फंस गए हैं। उक्त आईपीएस अफसर की एक मित्र महिला पुलिस अधिकारी है तो दूसरी डॉक्टर। दोनों उन पर बराबरी का हक जताने लगी हैं। महिला पुलिस अधिकारी का जब साहब के बंगले पर आना-जाना बढ़ गया तब डॉक्टर भी एक दिन वहां अपना सामान लेकर पहुंच गई और अच्छा खासा हंगामा खड़ा कर दिया। उन्होंने अब बंगले पर ही डेरा डाल दिया है और साहब को यह हिदायत भी दे दी है कि अभी तक जो चल रहा था वह अब नहीं चल पाएगा। उनकी इस चेतावनी के बाद साहब भी परेशान हैं और बंगले पर उनकी खिदमत में लगा स्टाफ भी। उक्त अफसर की ईमानदारी और सादगी की भी बड़ी चर्चा है।
चलते चलते
चंबल संभाग का नया कमिश्नर कौन होगा, इसका फैसला ज्योतिरादित्य सिंधिया की पसंद पर ही होगा। इस पद के लिए जो नाम सिंधिया ने सुझाया था उस पर सहमति नहीं बन पाई है। दूसरे विकल्पों पर मंथन चल रहा है पर देरी अब सिंधिया की ओर से हो रही।
एसएएफ की 4 रेंज में आई जी के पद खाली हैं और कई रेंज में डीआईजी भी नहीं है। पीएचयू में खाली बैठे कई अफसर यहां जाने के लिए तैयार बैठे हैं पर बात बन नहीं पा रही है। कारण क्या है जरा पता तो कीजिए?
पुछल्ला
• इससे ज्यादा बुरी स्थिति क्या होगी कि भोपाल में एक सीएसपी की कोरोना संक्रमित पत्नी को 2 दिन तक किसी अस्पताल में बेड नहीं मिल पाया। तीसरे दिन जब चिरायु अस्पताल में उन्हें भर्ती करवाया गया तब तक हालत बहुत बिगड़ चुकी थी और तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। कुछ इसी तरह की स्थिति का सामना दमोह में राष्ट्रपति के आगमन के दौरान ड्यूटी करने गए भोपाल के एक आरक्षक को करना पड़ा। दोनों घटनाओं से पुलिस महकमे में बहुत आसंतोष है।
अब बात मीडिया की
दैनिक भास्कर के गुजराती संस्करण दिव्य भास्कर में गुजरात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का फोन नंबर हेडिंग में छाप कर जिस तरह का प्रयोग हुआ उसकी पूरे देश में चर्चा है। इंदौर के देवेंद्र भटनागर दिव्य भास्कर के स्टेट एडिटर है और उनकी पीठ थपथपाई जाना चाहिए।
कुछ अलग करके दिखाने की दैनिक भास्कर की सोच का खामियाजा भोपाल में हेल्थ बीट देखने वाले रिपोर्टर रोहित श्रीवास्तव को उठाना पड़ रहा है। उन्हें रिपोर्टिंग के लिए कोरोना संक्रमित मरीजों के वार्ड में भेजा गया था नतीजा यह मिला की वह खुद कोरोना संक्रमित हो गए। रोहित दूसरी बार संक्रमित हुए हैं।
नई दुनिया में चाहे भोपाल संस्करण हो यह इंदौर जिस तरह से संपादक की टीम दो भागों में बढ़ गई है वह आने वाले समय के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
संदीप सिंह सिसोदिया की अगुवाई में वेबदुनिया में जिस तरह कुछ हटकर काम हो रहा है उसे बहुत अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।
इंदौर में कई मैदानी पत्रकार कोरोना की चपेट में आकर इन दिनों या तो अलग-अलग अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं या फिर होम क्वारंटाइन है। इनमें न्यूज़ 18 के अरुण त्रिवेदी, एमपी न्यूज़ के महेंद्र सिंह सोनगरा, पत्रिका के प्रमोद मिश्रा,ईटीवी भारत के अंशुल मुकाती, वेबदुनिया के धर्मेंद्र सांगले और स्वतंत्र पत्रकार प्रवीण जोशी शामिल है। हम इनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।