अर्जुन राठौर
कोरोना पता नहीं कितने लेखकों पत्रकारों और साहित्यकारों की जान लेगा । अभी-अभी खबर आई कि जाने-माने लेखक कलाकार और विचारक प्रभु जोशी जी हमारे बीच नहीं रहे। इससे पहले स्टेट प्रेस क्लब में एक मैसेज आया कि प्रभु जोशी जी के लिए एक बेड की जरूरत है इसी बीच कुछ अस्पतालों की डिटेल्स जहां बेड खाली थे मैंने तुरंत अनिरुद्ध जी के व्हाट्सएप पर भेज दिए उनसे मेरी बात भी हुई उन्होंने कहा बताया कि प्रभु जी की स्थिति बहुत क्रिटिकल है इसी बीच अभी 1:30 बजे यह खबर आ गई कि प्रभु जी हमारे बीच नहीं रहे।
प्रभु जोशी जी के साथ मेरी मुलाकातों का सिलसिला बहुत लंबा है जब हम लोगों ने लिखना शुरू किया था तब प्रभु जी की कहानियां धर्मयुग में छपा करती थी वे बहुत अच्छे कहानीकार होने के साथ-साथ उच्च कोटि के चित्रकार तथा विचारक भी थे जब आकाशवाणी में थे तो उन्होंने पूरी कोशिश की कि इंदौर की अच्छी प्रतिभाओं को आकाशवाणी के कार्यक्रमों में लाया जाए उस समय पत्रिका कार्यक्रम आकाशवाणी में चला करता था जिसमें उन्होंने कई बार मुझे आमंत्रित किया एक बार तो उन्होंने मेरा डॉ शिवमंगल सिंह सुमन जी के साथ भी कविता पाठ रखा था तब मैंने कहा भी था कि इतने बड़े कवि के साथ मुझे आप क्यों जोड़ रहे हैं उन्होंने कहा नहीं सुमन जी के साथ रचना पाठ तुम्हें करना ही होगा।
प्रभु जोशी जी का प्रारंभिक समय बेहद संघर्ष के बीच बीता था लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपनी पहचान एक बहुत अच्छे कहानीकार के रूप में बना ली इसके बाद उनके बनाए गए चित्रों की प्रदर्शनी मुंबई से लेकर विश्व के कई देशों में लगी और उन्हें बेहद सराहा गया । प्रभु जोशी जी की वैचारिक सोच एक अलग मायने रखती थी उनके द्वारा लिखे गए अनेक लेख देश भर के अखबारों के साथ-साथ नईदुनिया में भी प्रकाशित होते थे, उन्हें सुनना भी एक बिरला अनुभव होता था वे अपने ढंग से समय और समाज के बारे में व्याख्या करते थे ।उनसे अक्सर मेरी मुलाकात जनवादी लेखक संघ की गोष्ठियों में भी होती थी । प्रभु जोशी अपने पीछे लेखन और पेंटिंग्स की एक बड़ी विरासत छोड़ गए हैं उन्हें भूलना इतना आसान नहीं होगा ।