इंदौर। हमारे खानपान में पौष्टिक आहार की जगह फास्ट फूड और जंक फूड ने ले ली है। वही हमारी लाइफस्टाइल सिडेंट्री होने के चलते व्यायाम और खेलकूद लगभग खत्म हो गया है। वही भाग दौड़ भरी जिंदगी में स्ट्रेस लेवल काफी बढ़ गया है। इन सब चीजों के चलते डायबिटीज, हाइपरटेंशन की समस्या कॉमन हो गई है। जिसके चलते किडनी से संबंधित देखी जा रही है। इसी के साथ अगर बात ग्रामीण क्षेत्र की की जाए तो वहां के लोगों में किडनी से संबंधित समस्या का मेन कारण पेस्टिसाइड का बढ़ता इस्तेमाल एक कारण के रूप में सामने आ रहा है। वही बच्चों में भी आजकल किडनी से संबंधित समस्या बहुत ज्यादा मात्रा में बढ़ रही है। यह बात डॉक्टर संदीप कुमार सक्सेना ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही वह शहर के प्रतिष्ठित राजश्री अपोलो हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सवाल. किडनी ट्रांसप्लांट में कितने प्रकार की पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है?
जवाब. किडनी ट्रांसप्लांट से संबंधित टेक्नोलॉजी में बहुत ज्यादा इंप्रूवमेंट हुआ है। पहले इन्फेक्शन, हेपेटाइटिस, डायबिटीज और अन्य कारणों से कई केस रिजेक्ट हो जाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है अब कई बार डोनर और रिसीवर के ऑर्गन मिसमैच होने के बाद भी सफल रुप से ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है।जिसके चलते ट्रांसप्लांट के बाद भी सर्वाइवल रेट में 96% से ज्यादा का इंप्रूवमेंट हुआ है। इंडिया में 95% ट्रांसप्लांट लिविंग रिलेटेड होते हैं वही 5% कैडेबरी ट्रांसप्लांट होते हैं इंडिया में इसे बढ़ाने के लिए कार्य किया जा रहा है और यह हमारा चैलेंज है हमें इसे बढ़ाना है। मैने अभी तक 500 से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट कर दिए हैं।
सवाल. डायलिसिस क्या है यह किस प्रकार कार्य करता है और इसको लेकर लोगों में क्या धारणा है?
जवाब.डायलिसिस की प्रक्रिया में पहले के मुकाबले टेक्नोलॉजी में बहुत ज्यादा इंप्रूवमेंट हुआ है। संग्राम भाषा में समझा जाए तो डायलिसिस वह प्रक्रिया है जब हमारी किडनी ब्लड को फिल्टर करना बंद कर देती है तो ब्लड में वेस्ट प्रोडक्ट के लेवल बढ़ जाते हैं इस प्रक्रिया में एक ट्यूब के माध्यम से फिल्टर से पास कराते हैं। उसके बाद फिल्टर ब्लड वापस बॉडी में आ जाता है। और मशीन की मदद से खून के अंदर मौजूद गंदगी साफ हो जाती है। किडनी संबंधित मरीज को सप्ताह में तीन बार डायलिसिस करवाना चाहिए इसकी मदद से हेल्थ ज्यादा अच्छी रहती है। डायलिसिस को लेकर लोगों में भ्रांति है लेकिन पहले के मुकाबले डायलिसिस प्रक्रिया बहुत ज्यादा इंप्रूव हो गई है और उसके रिजल्ट काफी ज्यादा बेहतर है। किडनी से संबंधित समस्या मैं जब आदमी समय पर डायलिसिस नहीं करवाता है तो सभी में अलग-अलग प्रकार के लक्षण देखे जाते हैं जिसमें कम भूख लगना, सुस्ती रहना, सुजन आना, पेशाब में ब्लड आना, बार बार पेशाब करना, पथरी की समस्या होना खून की मात्रा कम होना हड्डियां कमजोर होना और अन्य शामिल है।
सवाल. किडनी से संबंधित समस्या से बचने के लिए प्रिकॉशन के रूप में क्या किया जाना चाहिए?
जवाब. ऐसे व्यक्ति जो किडनी से संबंधित समस्या को लेकर हाई रिस्क है उन्हें समय-समय पर अपना चेकअप करवाना चाहिए ताकि अर्ली स्टेज में ही किडनी संबंधित समस्या को पकड़कर उसका इलाज करवाया जा सके। जो पेशेंट डायबिटिक, हाइपरटेंशन के मरीज है वही पेन किलर का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं उन्हें किडनी से संबंधित लक्षण दिखाई देने पर अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेना चाहिए। किडनी से संबंधित समस्या भी पांच स्टेज में होती है अगर इसे पहली स्टेज में पकड़ लिया जाए तो डायग्नोज किया जा सकता है। वहीं साफ तौर पर इसके लक्षण पांचवी स्टेज में पता चलते हैं जब तक काफी देरी हो जाती है और पेशेंट को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। किडनी संबंधित समस्या से बचने के लिए बढ़ता मोटापा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन जैसी समस्याओं पर कंट्रोल करना बहुत जरूरी है ताकि इस तरह की समस्याएं डेवलप ही ना हो।
सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है?
जवाब. मैने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई भोपाल गांधी मेडिकल कॉलेज से की है। वहीं एमडी की पढ़ाई मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज दिल्ली से कंप्लीट की है। मैंने डीएम नेफ्रोलॉजी एम्स दिल्ली से कंप्लीट किया है। इसी के साथ मैंने यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो से नेफ्रोलॉजी में 3 साल की फेलोशिप हासिल की। देश के कई संस्थान में अपनी सेवाएं देने के बाद मैने इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल, सिनर्जी हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी। वर्तमान में मैं शहर के प्रतिष्ठित राजश्री अपोलो में नेफ्रोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं। वही मैं अपने गोयल नगर स्थित किडनी केयर सेंटर पर भी अपनी सेवाएं देता हूं।