शहर में सनातन धर्म के विलूप्त होते धार्मिक पौधों की तैयार कर रहे नर्सरी, शिवजी के प्रिय शमी और रुद्राक्ष के साथ अन्य पौधों को वास्तु के हिसाब से नर्सरी में लगाया गया

Suruchi
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इंदौर। हिंदू धर्म और संस्कृति का प्रकृति से शुरू से ही गहरा नाता रहा है. हिंदू धर्म में वृक्ष संस्कृति का हिस्सा माने जाते हैं। उनकी पूजा की जाती है. वहीं इन वृक्षों के लगाने को पुण्य माना जाता है. तो इन्हें काटना पाप की श्रेणी में आता है। लेकिन आज के अत्याधुनिक दौर में पेड़ों की कटाई धड़ल्ले से हो रही हैं। ऐसे कई पेड़ पौधे हैं जो अब विलुप्त होने वाले है या कम हो गए हैं। ऐसे ही हिंदू धर्म के पौधों को विलुप्त होने से बचाने के लिए शहर के रत्नेश रमेश टोंगिया धार्मिक नर्सरी तैयार कर रहे हैं। जिसमें वह हिंदू धर्म के धार्मिक पौधों को वास्तु के हिसाब से तैयार कर रहे हैं।

शिवजी को प्रिय शमी, रुद्राक्ष से लेकर हैं कई पौधें

 

बढ़ते शहरीकरण और अन्य कारणों से हमारे जंगल अब विलुप्त होने की कगार पर हैं। जिसमें हिंदू संस्कृति के ऐसे कई पौधें हैं जो दुर्लभ रूप से देखने को मिलते हैं। हमारी आने वाली पीढ़ी इन पौधों को देख सके इसलिए शहर के रत्नेश रमेश टोंगिया ने इंदौर से थोड़ी दूरी पर खंडवा रोड़ बलवाड़ा स्थित अपने फार्म हाउस पर एक धार्मिक नर्सरी तैयार की है। और खास बात यह है, कि इस नर्सरी में पौधें भी वास्तु के हिसाब से लगाए गए हैं। जिसमें शिवजी के शिव परिवार के रुद्राक्ष के पौधा, शमी के पौधे, धतूरे के पौधा, चंपा के पौधे, बेलपत्र के पौधे, भगवान महावीर जी को जिस साल के वृक्ष के नीचे मोक्ष की प्राप्ति हुई थी, उस शाल के पौधे और पीपल, अशोक, नीम,वटवृक्ष, कल्पवृक्ष, बरगद, तुलसी, आक और अन्य पौधों को लगाया गया है।

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नर्सरी के ईशान कोण पर तैयार की त्रिवेणी

वह बताते हैं, कि में जैन धर्म से हूं मुझे पहले इन सब चीजों के बारे में पता नही था. जब जाना तो पता चला की इनमें से आधे से ज्यादा पौधे तो मैने असलियत में देखे ही नहीं। फिर मन में विचार आया कि आने वाली पीढ़ी इन धार्मिक पौधों को देखे और इनके वैज्ञानिक महत्व को समझें. इसलिए इस नर्सरी की शुरुआत की। इस नर्सरी में पौधों को वास्तु के हिसाब से लगाया गया हैं। हर घर में ईशान कोण होता हैं, जहां लोग तुलसी माता को विराजित करते हैं। मैने अपनी नर्सरी के ईशान कोण में त्रिवेणी तैयार की हैं जिसमें नीम, पीपल और बड़ के पौधे लगाए हैं। वहीं अन्य कोनों के हिसाब से पौधे लगाए गए हैं।

देश के कई कोनों से लाए हैं दुर्लभ पौधें

में अभी हाल ही में लगभग 200 पौधे लेकर आया हूं, इसमें लगभग 27 प्रकार के पौधे शामिल हैं जो की अब दुर्लभ हैं। इन वृक्षों को देश के अलग अलग कोनों से लेकर आया हूं, जिसमें में राजस्थान, केरल, पूना, यूपी और देश के अलग अलग राज्यों और शहरों से इन धार्मिक और सांस्कृतिक पौधों का चयन करके लाया हूं। इसी के साथ इन पौधों में पानी के लिए नर्मदा मैय्या का शुद्ध जल डाला जाता है।