जमीन को विधि के विरूद्ध बंधक रखे जाने पर बैंकों के प्रबंधकों को भेजा नोटिस

Share on:

इंदौर 13 फरवरी 2021
अपर कलेक्टर एवं अपर जिला दण्डाधिकारी अभय बेड़ेकर द्वारा सेटेलाईट हिल्स कालोनी की भूमि को विधि के विरूद्ध बैंकों द्वारा बैंक में बंधक रखे जाने पर तीन बैंकों के प्रबंधकों को नोटिस जारी किये गये हैं। अपर कलेक्टर द्वारा यूनियन बैंक मुख्य शाखा एमजी रोड, पंजाब नेशनल बैंक मनोरमागंज और यूको बैंक न्यू पलासिया शाखा के मुख्य प्रबंधकों को उक्त के संबंध में अभिलेख सहित अपना जवाब 21 फरवरी तक समक्ष में उपस्थित होकर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गये हैं।

ALSO READ: 1 करोड़ साल पुराने Dinosaur के अंडे मिले, भू सर्वेक्षण अधिकारी भी हैरान

अपर कलेक्टर बेड़ेकर द्वारा जारी नोटिस अनुसार मे. नारायण निर्यात इंडिया प्रा. लि. को प्रदत्त 110.50 करोड़ के ऋण खाते की सुरक्षा हेतु मे. एवलांच रियलटी प्रा. लि. की ओर से संचालक कैलाश पिता बापूलालजी गर्ग द्वारा सेटेलाईट हिल्स कालोनी की भूमि सर्वे क्र. 111, 112 14/1 / 1, 114/2, 123, 124, 125, 130 / 3, 130/4, 138, 58/1,140/, 140/2, 215/1 /1, 215/1/2, 215/1/3, 215/1/4 को विभिन्न अनुमतियां प्राप्त कर पूर्व से भूखण्डों के रूप में विभाजित कर विक्रय कर दिये जाने के बावजूद विधि के विरुद्ध बैंक में बंधक रखा गया है।

सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल एक याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तीन कॉलोनियों कालिंदी गोल्ड सिटी, सैटेलाईट हिल्स और फोनिक्स टाउनशिप के भूखण्ड धारियों को समस्याओं को सुनकर हर करने के संबंध में दिशा-निर्देश प्रसारित किये गये हैं। अपर कलेक्टर द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि बैंको द्वारा फोनिक्स कॉलोनी की गिरवी रखी गई जमीनों के कारण फायनल सेटलमेंट एग्रीमेंट में दिक्कत आने की संभावना है।

ALSO READ: इंदौर में फिर जमा गोल्फ का रंग, चंचल सोनी ने जीता पदक

फोनिक्स कॉलोनी की गिरवी रखी गई जमीनों के संबंध में तथ्यात्मक जानकारी यह है कि ग्राम नायता मुंडला तहसील एवं जिला इंदौर के पटवारी हल्का नंबर 13 (नया नंबर 66) पर स्थित विभिन्न सर्वे क्रमांकों में कुल रकबा 37.460 हेक्टेयर भूमि पर मे. एवलांच रियलटी प्रा. लि. द्वारा सेटेलाईट हिल्स नामक कालोनी का विकास किया जाकर विभिन्न क्रेतागण के पक्ष में विभिन्न तिथियों में पंजीकृत विक्रय लेख निष्पादित कर कालोनी के भूखंडो को विक्रय किया गया है।

विभिन्न शिकायतकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत शिकायतों की जांच में ज्ञात हुआ है कि विभिन्न क्रेतागण के पक्ष में भूखण्डों के विक्रय विलेख का निष्पादन कर विक्रय किये जाने के पश्चात् 7 जनवरी 2011 को मेसर्स एवलांच रियलटी प्रा. लि. कंपनी की ओर से संचालक कैलाश गर्ग एवं सुरेश गर्ग द्वारा अपने सहयोगी कंपनी में नारायण निर्यात इंडिया लि. के ऋण खाते की सुरक्षा के बतौर कालोनी की भूमि में से विभिन्न सर्वे क्रमांक की भूमि को बैंकों के पास बंधक रखा गया है।

उक्त भूमि को बंधक रखे जाने से पूर्व मे. एवलाच रियलटी प्रा. लि. द्वारा उक्त भूमि पर कालोनी का विकास किये जाने हेतु आवश्यक अनुमतियां एवं अनुमोदन प्राप्त किए जा चुके थे। समस्त अनुमतियां प्राप्त कर मे. एवलांच रियलटी प्रा. लि. द्वारा उक्त भूमि पर सेटेलाईट हिल्स नामक कालोनी का विकास कर विभिन्न सर्वे क्रमांको की भूमि को भूखण्डों के रूप में विभाजित कर विभिन्न क्रेतागण को भूखण्डों का विक्रय किया जा चुका है परंतु बैंकों द्वारा उक्त समस्त तथ्यों को अनदेखा कर आवासीय प्रयोजन हेतु भूखण्डो के रूप में परिवर्तित हो चुकी उक्त भूमि को विधि के विपरीत मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया लि. के ऋण खाते की सुरक्षा के लिये बंधक रखा गया है।

उक्त संबंध में मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया लिमिटेड के विरूद्ध बैंकों द्वारा सरफासी का प्रकरण अपर जिला दण्डाधिकारी न्यायालय इंदौर में प्रस्तुत किया गया था, जो कि खारिज किया गया। इसके पश्चात भी बैंक द्वारा भूमि के विभिन्न सर्वे क्रमांकों के संबंध में एक समाचार पत्र में विज्ञप्ति जारी की गई, जबकि बैंक के पास उक्त भूमि का सरफासी एक्ट अंतर्गत धारा 13 (2) का सांकेतिक कब्जा है तथा मौके पर कब्जा है ही नहीं।

जारी नोटिस में कहा गया है कि बैंकों द्वारा उक्त भूमि को बंधक रखते समय अधिवक्ता के माध्यम से स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित जाहिर सूचना के प्रत्युत्तर में विभिन्न भूखण्ड धारकों द्वारा अपनी आपत्तियां प्रस्तुत की गई थी परंतु बैंकों द्वारा उक्त समस्त आपत्तियों को दरकिनार कर उक्त भूमि को बंधक रखा गया है। उक्त भूमि को तीनों बैंकों के कन्सोरटियम द्वारा हेड ऑफिस कमेटी के समक्ष रख स्वीकृत कराया गया है। इसलिये तीनों बैंकों के तत्कालीन अधिकारियों से स्पष्टीकरण आवश्यक है।

जब तक बैंकों द्वारा स्थिति स्पष्ट नहीं की जाएगी तब तक फायनल सेटलमेंट एग्रीमेंट किया जाकर भूखण्डधारकों को भूखण्ड दिलवाने में अत्याधिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय में उत्तर प्रस्तुत करने में भी कठिनाई होगी और ऐसी स्थिति में बैंकों के विरूद्ध विधि सम्मत कार्यवाही करने हेतु अधोहस्ताक्षरकर्ता बाध्य होगा। इसलिये उपरोक्त तीनों बैंकों के मुख्य प्रबंधकों को उक्त के संबंध में अभिलेख सहित अपना जवाब 21 फरवरी 2022 को दोपहर 3 बजे तक समक्ष में उपस्थित होकर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गये हैं।