New Magnetic Wave of Earth: हर सात साल में मैग्नेटिक फील्ड की ताकत में आ रही गिरावट, वैज्ञानिकों ने किया खुलासा

Shraddha Pancholi
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यह तो आप जानते हैं कि विज्ञान वो है जिसके बारे में जितना ज्ञान हो वो भी कम पड़ जाता है। लेकिन साइंटिस्ट हमेशा कुछ नए प्रयोग करते रहते हैं। आपको बता दें कि हाल ही में एक नए प्रकार की चुंबकीय तरंगे मिली है। यह तरंगे धरती के केंद्र से निकलती है और इसका खुलासा एक स्टडी में हुआ है। वैज्ञानिकों ने इस नए प्रकार की चुंबकीय तरंगों (New Magnetic Wave) को मैग्नेटो- कोरियोलिस (Magneto- Coriolis) का नाम दिया है। यह धरती के घूमने के हिसाब से ही अपना कार्य करती है या फिर यह कहे कि धरती के घूमने के हिसाब से ही यह भी घूमती है। यह पूरब से पश्चिम की तरफ जाती है और हर साल 1500 किलोमीटर की यात्रा करती है।

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हालांकि वैज्ञानिक इस पर स्टडी कर रहे हैं और यह बात जानना चाहते हैं कि क्या इसका असर हमारी धरती की मैग्नेटिक फील्ड पर भी होता है या नहीं। वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि चुंबकीय तरंगों के अध्ययन से धरती के मैग्नेटिक फील्ड में होने वाले रहस्यमई बदलावों के बारे पता चल सकता है। क्योंकि धरती के केंद्र में तरल लोहा है और इसके घुमाओ की वजह से ही मैग्नेटिक फील्ड बना है और उसकी वजह से ही उसमें कुछ बदलाव भी होता रहता है। लेकिन इसके पीछे का सटीक करण ज्ञात नहीं हो पाया है।

 

इसकी स्टडी करने के लिए (ESA) यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सेटेलाइट का सहारा भी लेना पड़ा है। क्योंकि वैज्ञानिकों के धरती के तरल बाहरी कोर पर अलग तरह की तरंगे भी दिखाई दी थी और यह धरती की सतह से करीब 3000 किलोमीटर नीचे पथरीले मैटल धरती के केंद्र की बाहरी परत से मिलते है। लेकिन अभी इस पर रिसर्च भी की जा रही है। बताया जा रहा है कि पिछले 20 सालों से धरती के मैग्नेटिक फील्ड पर रिसर्च चल रही है। लेकिन 20 साल की स्टडी में भी इसको लेकर कुछ खास खुलासा नहीं हुआ। लेकिन यह बात जरूर सामने आई कि हर 7 साल में मैग्नेटिक फील्ड की ताकत में तेजी से गिरावट भी देखी गई है। इसकी स्टडी करते समय साइंटिस्ट को इन तरंगों का पता चला था। इसके बारे में प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में एक रिसर्च पेपर में भी जानकरी मिली थी ।