नई दिल्ली: देश में डिजिटल इंडिया के आये दिन नए नए उदहारण सामने आ रहे है. कोरोना महामारी के बाद इसका प्रचलन और उपयोग दोनों में काफी वृद्धि हुयी है. इसी कड़ी में दिल्ली उच्च न्यायलय से एक उदाहरण सामने आया है. जिसमें दिल्ली उच्च न्यायलय ने अब केस की हियरिंग के लिए “हाइब्रिड हियरिंग” प्रणाली का उपयोग किया जायेगा. इसकी जानकरी न्यायलय ने शुक्रवार को दी है. इस नई प्रणाली के उपयोग से किसी केस की सुनवाई के दौरान एक पक्ष फिजिकली मौजूद रह सकता है और दूसरा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केस में मौजूद माना जायेगा.
इस नई प्रणाली को लेकर उच्च न्यायालय ने एक प्रशासनिक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है जब कोई विशेष पीठ फिजिकली सुनवाई कर रहा है, तो कोई वकील पूर्व सूचना देकर मामले की डिजिटल सुनवाई का विकल्प चुन सकता है. कोरोना के बाद हाईकोर्ट ने फिजिकली सुनवाई को शुरू करने के लिए जारी अपने देश आदेश में 14 जनवरी को संशोधित किया है, जिसमे फिजिकल सुनवाई फिर से शुरू करने के लिए उच्च न्यायालय ने न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया था.
नए ‘हाइब्रिड’ सुनवाई प्रणाली के लिए आदेश जारी
उच्च न्यायालय में नए प्रणाली को लेकर शुक्रवार को जारी आदेश में कहा गया है ‘इस अदालत ने पहले ही ‘हाइब्रिड’ सुनवाई के लिए कदम उठाए हैं ताकि किसी मामले में एक पक्ष डिजिटल माध्यम से सुनवाई में शामिल हो सके, जबकि दूसरा अदालत में भौतिक रूप से मौजूद हो.’ दिल्ली उच्च न्यायालय के इस नए कदम को लेकर न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल के अदालत कक्ष में हाइब्रिड प्रणाली के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित करने के कदम पहले ही शुरू किए जा चुके हैं और डिजिटल तरीके से सुनवाई में अधिवक्ताओं के शामिल होने के लिए टीवी स्क्रीन भी लगा दिए गए है.
नए प्रणाली के आने के पहले हुआ विरोध
देश की राजधानी दिल्ली में उच्च न्यायलय के नई प्रणाली को लेकर उठाये कदम के लिए जिला अदालतों के वकीलों ने दिल्ली हाईकोर्ट के सामने शांतिपूर्वक तरीके से प्रदर्शन किया था.जिसमे वकीलों का कहना था, कोर्ट में हर मामले की सुनवाई के लिए फिजिकल सुनवाई और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग दोनों माध्यम उपलब्ध कराने के लिए हाईकोर्ट पहल करे.साथ ही अक्सर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में दिक्कत आने पर या फिर किसी एक पक्ष के फिजिकल हियरिंग में न पहुंच पाने के कारण 70 फीसदी मामलों में सुनवाई टल जाएगी. ऐसे में वकीलों की मांग थी की उनके लिए ऐसा नियम बने जिसमे हर मामले की सुनवाई के लिए वकीलों के लिए फिजिकल हियरिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग दोनों विकल्प हों, जिसके कारण किसी एक पक्ष के वकील के पेश न होने के कारण सुनवाई न टाली जाए. अगर इन दोनों विकल्पों के बावजूद वकील अनुपस्थित है, तो उसके खिलाफ कड़े आदेश जारी किए जाएं.