कोविड के बाद पॉजिटिव रहने वाले भारतीयों में नकारात्मकता बढ़ी :रिपोर्ट

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दुनिया भर में कोरोना वायरस ने कहीं ना कहीं सभी की परेशानियां बढ़ाई है। कोरोना ने ना सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित किया, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य का भी बुरा हाल किया है। कंसलटिंग फर्म हैप्पी प्लस के अध्ययन में बताया है कि भारत में कोरोनावायरस के बाद से लोगों में तनाव, चिंता, गुस्सा और दुख जैसे भावों की बढ़ोत्तरी हुई हैं।

इस फर्म की रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ हैप्पीनेस 2023’ के अनुसार, भारत के लोगों में नकारात्मकता और ना खुशी के भाव बढ़ गए है। अध्ययन में 35% लोग जो शामिल हुए उन्होंने यह माना है कि वो यह सभी नकारात्मक भावों का सामना कर रहे हैं। बीते साल हुए एक रिसर्च की बात करें तो 2022 में 33% लोगों ने ऐसी नकारात्मक भावना जाहिर की थी, यानी इस साल इस परेशानी से जूझ रहे लोगों की संख्या में इजाफा होगा।

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स्टडी के अनुसार, पॉजिटिव रहने वाले भारतीयों की संख्या में तेजी से गिरावट देखी जा रही है। जहां पिछले साल पॉजिटिव एटीट्यूड रखने वालों की संख्या 70 फ़ीसदी थी तो वहीं इस साल यह घटकर 67% ही रह गया है। बेहतरी के तौर पर आने वाले ‘लाइफ एसेसमेंट स्कोर’ में भी गिरावट देखने को मिली है।

 

भारतीय के नाखुश होने के क्या कारण है?

कंसलटिंग फर्म हैप्पीप्लस की स्टडी की मानें तो कोरोना वायरस के बाद भारतीयों के ना खुश रहने के कई कारण रहे हैं, जिसमें मुख्य कारण है आर्थिक तंगी, वर्क प्लेस पर बढ़ता हुआ प्रेशर, सोशल स्टेटस मेंटेनेंस, अकेलापन और लोगों से कट ऑफ करना है। यह शोध देश के 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश के 14000 लोगों पर किया गया, जिसमें यह पता चला कि छात्रों में सबसे अधिक नेगेटिविटी का लेवल है और इस पूरे दौर में वे ही सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।