इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने देश से थैलेसीमिया जैसी लाइलाज बीमारी को खत्म करने की दिशा में बहुत बड़ा कदम उठाया है। सांसद लालवानी ने देश की सबसे बड़ी पंचायत में थैलेसीमिया को रोकने के लिए विवाह पूर्व खून की जांच अनिवार्य करने के लिए कानून बनाने की मांग की है।
दरअसल, देश की करीब 15-20% आबादी थैलेसीमिया माइनर है लेकिन अगर दो माइनर व्यक्तियों का आपस में विवाह होता है तो बच्चे के थैलेसीमिया मेजर होने की संभावनाएं बहुत ज़्यादा होती है। ऐसे में विवाह के पूर्व थैलेसीमिया की जांच ही इस बीमारी को रोकने की दिशा में सबसे बड़ा कदम है। सांसद शंकर लालवानी ने इसे लोकसभा में उठाकर इसके स्थायी हल की तरफ पहला कदम बढ़ाया है।
सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि दुनिया के 14 देशों में कानून बने है जहां विवाह के पहले थैलेसीमिया का टेस्ट करवाना ज़रुरी है और इसी कारण उन देशों में थैलेसीमिया लगभग खत्म हो चुका है। सांसद लालवानी ने कहा कि थैलेसीमिया में छोटे-छोटे बच्चों को हर हफ्ते मृत्युतुल्य कष्ट से गुजरना पड़ता है। हर हफ्ते-10 दिन में खून चढ़वाना, खून के संक्रमित होने का खतरा, इससे होने वाली अन्य बीमारियां मेरा हृदय द्रवित कर देती है। छोटे मासूम बच्चे बेहद तकलीफ के गुजरते हैं और उनका जीवन भी सीमित होता है। पूरा परिवार आर्थिक और मनोवैज्ञानिक तौर पर टूट जाता है।
सांसद लालवानी की इस मांग पर थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों के परिवारों ने खुशी जताई है। इनमें से कई का कहना है कि तिल-तिल कर अपने ही बच्चों को मरते देखना बेहद दुखद है। इसलिए ज़रुरी है कि इस दिशा में सख्त कानून बनाया जाए जिससे थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों का जन्म ही ना हो और इस विषय मे जनजागृति लाई जाए।
थैलेसीमिया बीमारी का इलाज बेहद महंगा है इसलिए सांसद लालवानी ने इसे आयुष्मान योजना में लाने की मांग भी की है। इससे थैलेसीमिया से जूझ रहे लाखों परिवारों को बड़ी आर्थिक मदद मिलेगी।
साथ ही थैलेसीमिया के इलाज के लिए आने वाली ज़्यादातर दवाइयां और इंजेक्शन विदेश से मंगवाना पड़ता है। ऐसे में इन पर विदेशी मुद्रा खर्च होती है, अगर थैलेसीमिया के बारे में कानून बना दिया जाए तो इससे भी बचा जा सकता है।